अमेरिका ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सक्रिय 20 आतंकी संगठनों की लिस्ट तैयार कर ली है. ऐसा माना जा रहै कि इस लिस्ट को पाकिस्तान के साथ साझा भी किया है. मीडिया में गुरुवार को पब्लिश रिपोर्ट्स में ये जानकारी दी गई है. सूत्रों कने डॉन न्यूज को बताया है कि ये लिस्ट अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने पाकिस्तानी प्रशासन को नहीं सौंपी थी जिन्होंने पिछले सप्ताह इस्लामाबाद की यात्रा की है.
लिस्ट में 3 तरह के आतंकी संगठन
व्हाइट हाउस की सूची में तीन तरह के आतंकवादी संगठन हैं. पहला वे जो अफगानिस्तान में हमला करते हैं, दूसरे वे जो पाकिस्तान को निशाना बना रहे हैं और तीसरे वे जो कश्मीर को निशाना बनाकर हमले करते हैं.
अमेरिका का दावा है कि इस सूची में हक्कानी नेटवर्क टॉप पर है, जो पाकिस्तान के कई इलाकों में ठिकाना बनाए हुए है और इन ठिकानों से अफगानिस्तान पर हमले करता है. पाकिस्तान इस तरह के आरोप से इनकार करता रहा है. उसका कहना है कि देश के भीतर आतंकवादियों के इस तरह के कोई सुरक्षित ठिकाने नहीं हैं.
भारत पर हमला करते हैं ये संगठन
हरकत उल मुजाहिदीन, जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा जैसे भारत को निशाने पर लेने वाले संगठन इस लिस्ट में हैं. हरकत-उल-मुजाहिदीन पाकिस्तान में रहकर मुख्य तौर पर कश्मीर में आतंकी गतिविधियां चलाता है. अमेरिका का कहना है कि इस संगठन का ओसामा बिन लादेन और अलकायदा से भी तार जोड़ रहा है. जैश ए मोहम्मद भी कश्मीर में ही सक्रिय है.
लश्कर-ए-तैयबा सबसे बड़ा आतंकी संगठन
अमेरिका दक्षिण एशिया में लश्कर-ए-तैयबा को सबसे बड़ा और सबसे सक्रिय आतंकवादी संगठन मानता है. इसकी स्थापना 1987 में अफगानिस्तान में हाफिज सईद, अब्दुल्ला आजम और जफर इकबाल ने की थी. लश्कर का मुख्यालय पंजाब प्रांत के मुरिदके में है और उसके भी निशाने पर कश्मीर है.
साल 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले और 2008 में मुम्बई में हुए हमले में उसी का हाथ था. अमेरिका उसे पाकिस्तान के अंदर भी निशाना बनाकर सैकड़ों लोगों को मारे और दर्जनों सामूहिक हमलों के लिए दोषी मानता है.
आतंकी गुटों के समूह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, हरकत जिहाद ए इस्लामी, जमातुल अहरार, जमातुद दावा अल कुरान और तारिक गिदार ग्रुप जैसे दूसरे संगठनों के नाम भी इस लिस्ट में हैं. साल 2014 में पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर हुए घातक हमले में तारिक गिदार ग्रुप का ही हाथ था. इस हमले में 132 बच्चे और 9 कर्मचारी मारे गये थे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)