अमेरिका (America) ने भारत को 31 एमक्यू-9बी ड्रोन की प्रस्तावित बिक्री पर अपनी रोक हटा ली है. सीनेट की विदेश संबंध समिति (SFRC) के अध्यक्ष बेन कार्डिन ने कहा है कि अमेरिकी प्रशासन द्वारा उन्हें आश्वासन दिए जाने के बाद उन्होंने यह फैसला लिया है. दरअसल, पिछले साल भारत पर अमेरिकी धरती पर हत्या की साजिश रचने के आरोप के बाद अमेरिका ने इस ड्रोन सौदे पर रोक लगा दी थी.
"अमेरिकी सीनेटर ने दी भारत से ड्रोन सौदे की मंजूरी, "- बेन कार्डिन
कार्डिन सहित संबंधित नेतृत्व से प्रथम स्तरीय मंजूरी प्राप्त करने के बाद, अमेरिकी प्रशासन ने घोषणा की कि उसने प्रस्तावित विदेशी सैन्य बिक्री के बारे में कांग्रेस को सूचित कर दिया है. यदि अगले 30 दिनों में कांग्रेस के किसी सदस्य की ओर से कोई आपत्ति नहीं आती है, तो सौदे को विधायी मंजूरी मिल जाएगी. यह सौदा भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
कार्डिन ने 2 फरवरी को एक बयान में कहा...
“इस बिक्री को मेरी मंजूरी बाइडेन प्रशासन के साथ महीनों की चर्चा का परिणाम है. हालांकि, मुझे अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक हितों के लिए इस बिक्री के महत्व के बारे में पूरी तरह से पता है."
कार्डिन ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन ने उन्हें आश्वासन दिया था कि "भारत सरकार स्थिति की पूरी तरह से जांच करने और अमेरिकी न्याय विभाग की जांच में पूरा सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि इस मामले में विश्वसनीय जवाबदेही हो" उन्होंने कहा कि उनका इरादा इस मुद्दे पर प्रशासन को जवाबदेह ठहराने का है.
साथ ही, कार्डिन ने भारत के साथ व्यापक संबंधों के लिए अपना समर्थन दोहराया. उसी बयान में उन्होंने कहा...
“अमेरिका-भारत साझेदारी इंडो पैसिफिक स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, जिसमें क्वाड जैसे क्षेत्रीय तंत्र भी शामिल हैं. मैं भारत के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने का समर्थन करता हूं. लेकिन यह साझेदारी आपसी विश्वास और सम्मान पर आधारित होनी चाहिए.''
अमेरिका ने भारत पर क्या लगाए थे आरोप?
नवंबर में, अमेरिकी न्याय विभाग ने निखिल गुप्ता के खिलाफ अभियोग को रद्द कर दिया. निखिल गुप्ता पर आरोप लगाया गया था कि उसे पिछले जून में न्यूयॉर्क में गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के लिए भारत सरकार द्वारा तैनात किया गया था. बता दें पन्नू एक खलिस्तान समर्थक है, जो भारतीय मूल का अमेरिकी-कनाडाई नागरिक है.
अमेरिकी प्रशासन ने भारत को स्पष्ट संदेश भेजा कि यह अस्वीकार्य है. अमेरिका ने सार्वजनिक रूप से जवाबदेही की मांग की और इसने निजी तौर पर भारत को चेतावनी दी कि ऐसा दोबारा कभी नहीं होना चाहिए. भारत ने स्पष्ट किया कि यह भारत सरकार की नीति नहीं है.
भारत ने आरोपों और अमेरिकी इनपुट की जांच के लिए एक जांच समिति का गठन किया. भारत ने समिति की व्यापक संरचना को अमेरिका के साथ साझा किया. हालांकि, दोनों देशों ने यह सुनिश्चित करने के लिए सचेत प्रयास किया है कि रणनीतिक संबंध पटरी पर बने रहें और उच्च स्तरीय जुड़ाव जारी रहे.
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