चीन काफी समय से दक्षिण चीन सागर में मिलिट्री एक्सरसाइज आयोजित कर रहा है. फिलीपींस और वियतनाम इस पर चिंता जाहिर कर चुके हैं. चीन जिस पारासेल आइलैंड के पास ये मिलिट्री ड्रिल कर रहा है, वियतनाम उस पर दावा करता रहा है. अब खबर आ रही है कि अमेरिका ने अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर दक्षिण चीन सागर में भेजने का फैसला किया है.
पहले ट्रेड वॉर और फिर उसके बाद कोरोना वायरस महामारी को लेकर चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ा हुआ है. ऐसे समय में वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अमेरिकी नेवी के एक टॉप अधिकारी के हवाले से दक्षिण चीन सागर में दो यूएस एयरक्राफ्ट कैरियर भेजे जाने की खबर दी है.
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि यूएसएस रोनाल्ड रीगन और यूएसएस निमित्ज 4 जून से दक्षिण चीन सागर में मौजूद होंगे. रियर एडमिरल जॉर्ज एम विकॉफ ने कहा, “ये हमारे पार्टनर और मित्र देशों के लिए संकेत है कि हम क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं.”
पेंटागन ने चीन की मिलिट्री ड्रिल की आलोचना की
रियर एडमिरल जॉर्ज एम विकॉफ ने कहा कि अमेरिका का ये कदम चीन की मिलिट्री ड्रिल का जवाब नहीं है. चीन की इस ड्रिल की पेंटागन हाल ही में आलोचना कर चुका है. पेंटागन ने कहा कि 'ये तनाव और स्थिरता बनाए रखने की कोशिशों को नाकाम' करने जैसा है.
चीन ने 3 जुलाई को अमेरिका की इस आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि अमेरिका ही तनाव बढ़ाने का जिम्मेदार है.
रियर एडमिरल विकॉफ ने अमेरिका की दक्षिण चीन सागर में ड्रिल की जगह का खुलासा नहीं किया है. हालांकि वॉल स्ट्रीट जर्नल ने रिपोर्ट में बताया है कि ये ड्रिल दो एयरक्राफ्ट कैरियर और चार दूसरे वॉरशिप के जरिए होगी और 24 घंटे उड़ानें भरी जाएंगी.
चीन ने पिछले हफ्ते ऐलान किया था कि वो 1 जुलाई से पांच दिन तक पारासेल आइलैंड के पास मिलिट्री ड्रिल आयोजित करेगा. इसके बाद अमेरिका ने चीन पर अपने एशियाई पड़ोसी देशों को डराने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.
दक्षिण चीन सागर के 90 फीसदी हिस्से पर चीन अपना दावा करता है. लेकिन ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम भी इसके कई हिस्सों पर दावा करते हैं. इस सागर से हर साल 3 ट्रिलियन डॉलर के सामान की आवाजाही होती है.
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