शनिवार, 5 फरवरी को पूरे भारत में मनाए जा रहे त्योहार बसंत पंचमी (Basant Panchmi) का हिन्दू धर्म में एक विशेष महत्व है. इस दिन देवी सरस्वती की पूजा होती है, जिन्हें ज्ञान, विद्या, वाणी, संगीत और कला की देवी कहा जाता है. ऐसी आस्था प्रचलित है कि इस दिन देवी सरस्वती कमल पर हाथ में वीणा और किताब पकड़े हुए प्रकट हुई थीं. बता दें कि सरस्वती को वाग्देवी, भारती, शारदा जैसे कई नामों से जाना जाता है.
आज के दिन मां सरस्वती को पीले रंग के कपड़े, पीले फूल, पीले भोग, गुलाल, अक्षत, धूप और दीपक भोग लगाया जाता है. कहा जाता है कि वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान में वृद्धि होती है.
ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में की जाती है.
भारत के अलावा नेपाल, इंडोनेशिया, म्यांमार, चीन, थाईलैंड, जापान, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, इंग्लैंड, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया और यूरोपीय देशों में मां सरस्वती को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है और उनकी पूजा की जाती है.
कई देशों में अलग-अलग नामों से पहचानी जाती हैं सरस्वती
म्यांमार में देवी सरस्वती की पूजा थुयथाड़ी, सुरसती और तिपिटक मेदा के रूप में की जाती है. वहीं, चीन में बियानचैतियन के नाम से की जाती हैं.
इसी तरह जापान में बेंजाइटेन के नाम से और थाईलैंड में सुरसावदी के रूप में ज्ञान की देवी की पूजा की जाती है.
देवी सरस्वती के नाम से जापान में कई मंदिर बनाए गए हैं. ऋग्वेद में बताया गया है कि मां सरस्वती ज्ञान, कला और संगीत की देवी हैं और वह कमल के फूल पर विराजमान हैं.
जापान में बेंजाइटेन देवी को जल, काल, वचन, वाक्, वाक्, संगीत और ज्ञान की देवी कहा जाता है.
यूरोप में मिनर्वा के नाम से एक देवी की पूजा होती है, जिन्हें शिल्प और ज्ञान की देवी माना जाता है.
बता दें कि प्राचीन ग्रीस में एथेंस शहर की संरक्षक के रूप में देवी एथेना को ज्ञान, कला, साहस, प्रेरणा, सभ्यता, कानून-न्याय, गणित और जीत की देवी माना जाता था.
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