साल 2019 अपने आप में खास है, भारत में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन से लेकर सूडान में तख्तापलट तक, ऐसी अनेक प्रदर्शन हुए जिसने इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है. साल 2019 में आर्थिक मंदी, भ्रष्टाचार और राजनीतिक असमानता प्रदर्शन के मुख्य मुद्दे रहे.
भारत: नागरिकता कानून को लेकर प्रदर्शन
नागरिकता संशोधन कानून को संसद की मंजूरी मिलने के बाद भारत के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए . इस कानून के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये हुए गैर मुस्लिम शरणार्थियों यानी हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.
वेनेजुएला: आर्थिक संकट को लेकर प्रदर्शन
कभी लैटिन अमेरिका का सबसे समृद्ध देश कहा जाने वाला वेनेजुएला आज आर्थिक संकट से जूझ रहा है. राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के खिलाफ 2019 में पूरे साल विरोध प्रदर्शन चलता रहा. वेनेजुएला के विपक्षी नेता खुआन गोइदो ने मादुरो के सत्ता पर बने रहने के विरोध में एक बड़ी रैली का आयोजन किया जिसे अमेरिका समेत कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने अपना समर्थन दिया.
सूडान में तख्तापलट
इसी साल तीन दशक तक सत्ता में रहने वाले सूडान के राष्ट्रपति ओमर-अल बशीर का तख्तापलट भी हुआ. 1989 से ही सूडान पर राज कर रहे बशीर के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे थे.
बशीर के शासन काल में सूडान ने भयंकर गृहयुद्ध झेला. 2005 में साउथ सूडान में गृहयुद्ध समाप्त हुआ और 2011 में ये एक नया देश बना.
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने बशीर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखा था. उन पर सूडान के पश्चिमी इलाके दारफ़ुर में युद्ध अपराध को संगठित करने और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए गए थे.
चिली: ट्रेन किराया बढ़ने के खिलाफ प्रदर्शन
चिली की राजधानी सैंटियागो में मेट्रो किराया बढ़ाने के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए, जिसके बाद सरकार को आपात स्थिति की घोषणा करनी पड़ी.
प्रदर्शनकारियों में हाई स्कूल और विश्वविद्यालय के कई छात्र शामिल थे. इस हिंसक प्रदर्शन के दौरान आगजनी हुई जिससे शहर में काफी नुकसान हुआ और हजारों यात्रियों को परिवहन नहीं मिला.
स्पेनः आजादी के लिए कैटालोनिया में प्रदर्शन
साल 2019 में एक आजाद मुल्क के लिए स्पेन के सबसे समृद्ध प्रान्त कैटालोनिया में भी लगातार विरोध प्रदर्शन हुए. साल 2017 में अपनी स्वायत्तता को लेकर यहां जनमत संग्रह करवाया था, जिसमें 90% लोगों ने आजाद मुल्क के पक्ष में वोट किया था.
कैटलन स्वतंत्रता आंदोलन के कई नेताओं को हाल ही में स्पेनिश सुप्रीम कोर्ट से जेल की सजा सुनाए जाने के खिलाफ बार्सिलोना में पांच लाख से ज्यादा लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया.
इराक: भ्रष्टाचार के विरोध में प्रदर्शन
बेरोजगारी, खराब बुनियादी ढांचे और भ्रष्टाचार को लेकर आदिल अब्दुल-महदी सरकार के खिलाफ इराक में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ. अक्टूबर की शुरुआत से लेकर अब तक 200 से भी अधिक लोग मारे जा चुके है, जबकि हजारों जख्मी है.
तेल के प्रचूर भंडार होने के बावजूद, लंबे समय से संघर्ष में रहे इराक के लिए वापस खड़ा होना एक चुनौती है.
लेबनान: व्हाट्सएप टैक्स को लेकर प्रदर्शन
लेबनान की सरकार ने तम्बाकू, पेट्रोल और व्हाट्सएप कॉल जैसी सेवाओं पर टैक्स लगाया, जिसका जमकर विरोध हुआ. स्थिति इतनी बिगड़ गयी की लेबनान के प्रधानमंत्री साद हरीरी को इस्तीफा देना पड़ा. लेबनान आर्थिक संकट से गुजर रहा है. देश के 37% युवा बेरोजगार है और पूरी आबादी का 27% गरीबी रेखा के नीचे रहता है.
हॉन्ग कॉन्ग: प्रत्यर्पण कानून को लेकर प्रदर्शन
हॉन्ग कॉन्ग 1997 तक ब्रिटेन का एक उपनिवेश था. उसके बाद यह "एक देश, दो प्रणालियों" वाली व्यवस्था के तहत चीन का हिस्सा बना.
इस व्यवस्था के तहत हॉन्ग कॉन्ग को काफी स्वायत्तता हासिल है और उनको हर चीज के लिए चीन पर निर्भर रहना नहीं पड़ता है.
तभी चीनी सरकार के एक बिल पास करने की योजना के बाद जून 2019 में प्रदर्शन शुरू हुए थे. इस बिल में दोषियों को चीन को प्रत्यर्पित करने की बात कही गयी थी.
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि इस बिल से हॉन्ग कॉन्ग के लोगों को मिलने वाली स्वतंत्रता कमजोर हो जाएगी.
हालांकि बाद में इस बिल को वापस ले लिया गया लेकिन हॉन्ग कॉन्ग में विरोध प्रदर्शन जारी रहा.
ईरान: तेल के दाम बढ़ाने को लेकर प्रदर्शन
15 नवंबर 2019 को हसन रूहानी की सरकार ने तेल की कीमतों में अचानक वृद्धि कर दी, जिसपर भारी विरोध प्रदर्शन हुआ. शाम तक ही ये प्रदर्शन ईरान के 21 शहरों में फैल चुका था. न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक सरकार ने इस प्रदर्शन को रोकने की खातिर सारे पैंतरे अपना लिए जिसमे इंटरनेट शटडाउन, रूफटॉप शूटिंग से लेकर मशीनगन तक का स्तेमाल किया गया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रदर्शन में लगभग 1000 से ज्यादा लोग मारे गए.
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