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रेगिस्तान में बाढ़, तुर्की में आग...दिखने लगा है जलवायु परिवर्तन का खतरनाक असर?

जलवायु परिवर्तन के असर के रूप में प्राकृतिक आपदाओं का कहर पूरी दुनिया पर बरस रहा है.

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उत्तरी California के जंगल में 13 जुलाई को लगी आग का प्रकोप न सिर्फ अब तक जारी है बल्कि अपने भीषण रूप में है. उत्तरी कैलिफोर्निया के इतिहास की ये अब तक की तीसरी सबसे बड़ी Wild Fire बन गई है. दमकल विभाग के मुताबिक पिछले साल इसी महीने में लगी आग के मुकाबले इस साल की आग 151% ज्यादा भीषण है.

जलवायु परिवर्तन के असर के रूप में प्राकृतिक आपदाओं का कहर पूरी दुनिया पर बरस रहा है.

4 अगस्त: आग ग्रीनविले स्थित घर को अपनी चपेट में ले लिया

फोटो : SFGATE/Noah Berger/AP

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लेकिन, सिर्फ कैलिफोर्निया ही इस वक्त आपदा का सामना नहीं कर रहा. क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन के चलते प्राकृतिक आपदाओं का कहर पूरी दुनिया पर बरस रहा है. फिर चाहे वह भारत, चीन में आई हालिया बाढ़ हो, टर्की के जंगल में लगी आग हो या फिर कनाडा में बरपा हीट डोम इफेक्ट (भीषण गर्म लपटों) का कहर.

एक तरफ जहां दुनिया पिछले 2 सालों से कोरोना महामारी से जूझ रही है. वहीं दूसरी तरफ प्राकृतिक आपदाओं ने भी जन जीवन को मुश्किल में डाला हुआ है. और इन सबके पीछे बड़ी वजह है जलवायु परिवर्तन. ये घटनाएं हमें आगाह कर रही हैं कि अगर जल्दी ही जलवायु परिवर्तन को लेकर हमने ठोस कदम नहीं उठाए तो आगे तस्वीरें और भी बदतर हो सकती हैं.

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चीन : 1000 सालों की सबसे भारी बारिश, तपिश भी लगातार बढ़ रही

चीन ने जहां पिछले महीने बाढ़ का सामना किया. वहीं दूसरी तरफ यहां लगातार ग्लोबल एवरेज से भी ज्यादा तपिश बढ़ रही है. जुलाई के दूसरे सप्ताह में चीन ने बाढ़ का सामना किया. 12 लाख लोगों को इस आपदा ने प्रभावित किया. दीवार गिरने और डूबने से मौतें हुईं. चीन के सेंट्रल हेनान प्रोविंस में 1000 सालों की सबसे भारी बारिश दर्ज की गई.

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एक तरफ बारिश तो दूसरी तरफ लगातार साल दर साल बढ़ रही तपिश. लगातार बढ़ रही तपिश का नतीजा है कि 2020 में यहां तटीय इलाकों का समुद्री स्तर सामान्य से 73MM ज्यादा दर्ज किया गया. जो कि 1993 - 2011 के औसत से कहीं ज्यादा था. वहीं 1980 के बाद का सबसे ज्यादा समुद्री स्तर है. बता दें कि तपिश बढ़ने से बर्फ तेजी से पिघलती है और समुद्री जलस्तर बढ़ता है.

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भारत : कई हिस्सों में बाढ़, जलवायु परिवर्तन को बताया जा रहा वजह

मध्यप्रदेश में ऑरेंज अलर्ट है, ग्वालियर-चंबल का इलाका ज्यादा प्रभावित है. राजस्थान के कई हिस्सों में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है.

इधर पश्चिम बंगाल में भारी बारिश ने तबाही मचा रखी है, राज्य के 6 जिलों में करीब तीन लाख लोग प्रभावित हुए हैं. थल सेना और वायुसेना ने 2 अगस्त को सभी बाढ़ प्रभावित जिलों में बचाव अभियान चलाया था.

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पिछले महीने महाराष्ट्र में भी भारी बारिश और बाढ़ ने तबाही मचाई. कोंकण इलाके में लगातार बारिश होने से कई जिलों में बाढ़ आ गई.

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यूएस -  कनाडा में हीट डोम की तबाही

जून महीने के अंत में यूनाइटेड स्टेट्स और कनाडा में हीट डोम (गरम लपटों) ने तबाही मचाई. ये प्रकोप इतना भयावह था कि कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रोविंस में पांच दिनों के भीतर 486 मौतें हो गईं. इस दौरान वॉशिंगटन में तापमान 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा. वहीं ओरेगोन में अब तक का सर्वाधिक 47 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया.

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जर्मनी - बेल्जियम में बाढ़ ने मचाई तबाही

पश्चिमी यूरोपीय देश जर्मनी और बेल्जियम में जुलाई के महीने में बाढ़ ने तबाही मचाई. इस आपदा ने तकरीबन 200 लोगों की जान ली.

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टर्की के जंगलों में भी आग का प्रकोप 

4 अगस्त, 2021 को टर्की में हालात उस वक्त बिगड़ गए जब जंगल की आग रिहायशी इलाके के पास स्थित एक पॉवर प्लांट तक पहुंच गई. आनन फानन में लोगों को समुद्र के रास्ते से दूसरे स्थानों पर शिफ्ट किया गया. क्योंकि जहां-जहां पेड़ थे वहां आग के पहुंचने का खतरा था. बेकाबू हुई आग ने 8 लोगों की जान भी ले ली.

टर्की के एंटल्या प्रोविंस में 28 जुलाई को पहली बार जंगल में आग लगने की घटना हुई. इस बार जैसे तैसे काबू पाया गया, 29 जुलाई को फिर Akseki जिले में वाइल्ड फायर हुई. इसके बाद लगातार आग बेकाबू होती चली गई.

जलवायु परिवर्तन के असर के रूप में प्राकृतिक आपदाओं का कहर पूरी दुनिया पर बरस रहा है.

टर्की के जंगल में लगी आग 

सोर्स :Greekcitytimes

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भारत समेत दुनिया भर में आ रही इन आपदाओं की वजह क्या है?

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में लगातार विक्राल रूप ले रहे मानसून के पीछे वजह जलवायु परिवर्तन ही है. संयुक्त राष्ट्र के ही संगठन ''इकनॉमिक कमीशन फॉर एशिया एंड द फॉर ईस्ट'' (ESCAP) में डिजास्टर रिडक्शन विभाग के चीफ संजय श्रीवास्तव ने PTI को बताया कि एशिया और यूरोप के कुछ देशों में हाल में आई प्राकृतिक आपदाओं के पीछे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन भी है.

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