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चीन का ब्रिटेन पर पलटवार- ‘भारत से विवाद में तीसरा पक्ष न दे दखल’

भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त सर फिलिप बार्टन ने दिया था चीन को लेकर बयान

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चीन ने भारत और हॉन्ग कॉन्ग को लेकर ब्रिटेन पर पलटवार किया है. दरअसल भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त सर फिलिप बार्टन ने कहा था कि चीन के कुछ कदमों ने दुनियाभर में चुनौतियां पैदा की हैं. बार्टन ने अपने इस बयान में भारत और हॉन्ग कॉन्ग का जिक्र किया था. अब इस बयान पर भारत में चीन के राजदूत सुन वीडोंग ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.

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वीडोंग ने ट्वीट कर कहा है, ''भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त द्वारा चीन के संबंध में बयान देखे, जो गलतियों और झूठे आरोपों से परिपूर्ण हैं. भारत और चीन के बीच सीमा का मामला द्विपक्षीय दायरे में आता है. हमारे पास मतभेदों से निपटने की क्षमता है. तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है.''

उन्होंने अगले ट्वीट में दक्षिण चीन सागर का भी जिक्र करते हुए कहा, ''दक्षिण चीन सागर में वास्तविक चुनौतियां क्षेत्रीय और समुद्री विवादों को फैलाने वाले क्षेत्र के बाहर की शक्तियों से आती हैं और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कम करती हैं.'' वहीं, हॉन्ग कॉन्ग को लेकर उन्होंने कहा कि उसके मामले में चीन किसी भी विदेशी दखल की अनुमति नहीं देता.

ब्रिटेन के उच्चायुक्त ने क्या-क्या कहा था?

फिलिप बार्टन ने एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा था, ''चीन के कदमों की वजह से दुनियाभर में चुनौतियां पैदा हुई हैं. हमारा ध्यान खास तौर पर हॉन्ग कॉन्ग पर है. भारत के लिए खास तौर पर एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर ध्यान है. ये चिंताजनक चीजें हैं.’’

इसके अलावा उन्होंने कहा था, ''क्षेत्र और दुनियाभर में चीन की तरफ से पैदा की गई चुनौतियों को हमने साफ तौर पर देखा है. ब्रिटेन चीन के साथ काम करना चाहता है. हमें सकारात्मक और ठोस भागीदारी की अपेक्षा है...लेकिन हमारे लिए चुनौतियां हैं. हॉन्ग कॉन्ग भी एक चुनौती है.''

पूर्वी लद्दाख, हॉन्ग कॉन्ग और दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक रवैये से जुड़े सवाल पर बार्टन ने कहा था, ‘‘हमारे हितों के खिलाफ देशों की कार्रवाई के सबंध में हम साझा हित वाले लोगों के साथ सहयोग करते हैं.’’

बता दें कि हॉन्ग कॉन्ग में नया सुरक्षा कानून थोपे जाने के बाद चीन और ब्रिटेन के रिश्तों में तनाव पैदा हो गया है. इस मामले में ब्रिटेन का आरोप है कि 1997 में हॉन्ग कॉन्ग को चीन को सौंपते समय जो समझौता हुआ था, चीन ने उसका उल्लंघन किया है.

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