चीन ने भारत के साथ सीमा संबंधी मौजूदा गतिरोध खत्म करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. ट्रंप ने हाल ही में ट्वीट करके भारत और चीन के बीच सीमा विवाद में मध्यस्थता करने की पेशकश की थी.
उन्होंने कहा था, ‘’हमने भारत और चीन दोनों को सूचित किया है कि अमेरिका उनके इस समय जोर पकड़ रहे सीमा विवाद में मध्यस्थता करने के लिए तैयार, इच्छुक और सक्षम है.’’
अमेरिका के इस प्रस्ताव पर पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि दोनों देश मौजूदा सैन्य गतिरोध सुलझाने के लिए तीसरे पक्ष का ‘‘हस्तक्षेप’’ नहीं चाहते हैं.
झाओ ने ट्रंप के प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘चीन और भारत के बीच सीमा संबंधी तंत्र और संवाद माध्यम हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम वार्ता और विचार-विमर्श के जरिए समस्याओं को उचित तरीके से सुलझाने में सक्षम हैं. हमें तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है.’’
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) कही जाने वाली 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा पर विवाद है. पूर्वी लद्दाख में 5 मई की शाम को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद स्थिति खराब हो गई. इस हिंसा में कई भारतीय और चीनी सैनिक घायल हो गए थे. उत्तरी सिक्किम में भी 9 मई को इसी तरह की घटना घटी थी.
भारत ने हाल ही में कहा कि चीनी सेना लद्दाख और सिक्किम में एलएसी पर उसके सैनिकों की सामान्य गश्त में बाधा पैदा कर रही है. भारत ने चीन की इस दलील को भी पूरी तरह खारिज कर दिया कि भारतीय बलों द्वारा चीनी पक्ष की तरफ अतिक्रमण से दोनों सेनाओं के बीच तनाव बढ़ा. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की सभी गतिविधियां सीमा के इसी ओर संचालित की गई हैं.
इसके अलावा भारत ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध को सुलझाने के लिए वह चीन के साथ सैन्य और राजनयिक स्तर पर बात कर रहा है. उसने कहा कि देश अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने के अपने संकल्प पर अटल है.
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