153 देशों के 11,000 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने वैश्विक क्लाइमेट इमरजेंसी की घोषणा करते हुए दुनिया को आगाह किया है. मंगलवार 7 नवंबर को प्रकाशित एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने कहा है कि लोग ‘जलवायु परिवर्तन के कारण अनकही पीड़ा’ से जूझ रहे हैं.
ये रिपोर्ट ‘वर्ल्ड क्लाइमेट कॉन्फ्रेंस’ की 40वीं सालगिरह के मौके पर जारी की गई है. वैज्ञानिकों ने बयान में कहा है- “हम साफ तौर पर घोषणा करते हैं कि पृथ्वी क्लाइमेट इमरजेंसी का सामना कर रही है.’’
द गार्जियन में छपी रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि विश्व को अब वक्त नहीं गंवाना चाहिए. जलवायु संकट ज्यादातर वैज्ञानिकों के अनुमान की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है.
जलवायु बचाने के नाम पर सिर्फ कोरे वादे
वैज्ञानिकों ने इस बात पर भी चिंता जताई कि धरती का तापमान बढ़ रहा है और सागर गर्म हो रहे हैं. साथ ही समुद्र का स्तर भी बढ़ रहा है. समुद्रों में एसिड बढ़ रहा है. जंगलों में आग लग रही है. ये तब है जब कई दशक पहले से कई देश ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कमी लाने पर सहमति जता चुके थे.
“40 सालों के बड़े वैश्विक समझौतों के बावजूद, हमने ठीक उसी तरह का व्यवहार बनाए रखा और इस संकट से उबरने में नाकाम रहे.”विलियम जे रिपल, इकोलॉजी प्रोफेसर (ऑरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी)
तुरंत क्या करने की जरूरत है?
वैज्ञानिकों ने कहा है कि अति उपभोग की हमारी लाइफस्टाइल इस संकट को बढ़ा रही है. लिहाजा कुछ ऐसे उपाय करने की जरूरत है, जिससे बढ़ते संकट को रोका जा सके. ऐसे ही कुछ उपाय वैज्ञानिकों ने अपनी इस रिपोर्ट में बताए हैं-
- ऊर्जा का सही तरीके से इस्तेमाल हो
- जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में कटौती के लिए भारी कार्बन टैक्स लगाएं
- जनसंख्या को नियंत्रित करें
- जंगलों की कटाई रोकें
- कार्बन डाइ ऑक्साइड को सोखने वाले जंगल और मैन्ग्रोव को बढ़ाएं
- अधिक-से-अधिक शाकाहारी खाने का इस्तेमाल और कम मीट का उपयोग करें
- भोजन की बर्बादी पर रोक लगे
- फोकस सिर्फ जीडीपी बढ़ाने पर न हो
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