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COP26 समझौते का ड्राफ्ट पब्लिश, इसमें क्या है खास?

COP26 समझौते के ड्राफ्ट में 2022 के अंत तक देशों से अपने कार्बन उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को मजबूत करने का आग्रह

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COP26 ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में शामिल हो रहे देशों ने अपने समझौते का ड्राफ्ट (first draft) पब्लिश कर दिया है, जिसमें 2022 के अंत तक देशों से अपने कार्बन उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को मजबूत करने की अपील की गई है.

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UK के प्रेसीडेंसी में पब्लिश किये गए ड्राफ्ट समझौते पर COP26 में शामिल हो रहे देश आपस में बातचीत करेंगे और एक सहमति पर पहुंचने की कोशिश करेंगे.

पेरिस समझौते के लक्ष्य को पूरा करने से दूर होती दुनिया के लिए यह ड्राफ्ट समझौता देशों से आग्रह करता है कि वे अपनी राष्ट्रीय योजनाओं में 2030 तक उत्सर्जन में कटौती के लक्ष्यों को "फिर से देखें और मजबूत करें".

COP26 जलवायु सम्मेलन में लिए जाने वाले निर्णय भी पेरिस समझौते की तरह कानूनी रूप से बाध्यकारी है. इसलिए यह ड्राफ्ट समझौता अपने आप में महत्वपूर्ण है. यह एक ऐसा डॉक्यूमेंट भी है जिसे केवल सभी देशों की सहमति से ही स्वीकार किया जा सकता है, इसलिए इसके भाषा का अधिकांश भाग सतर्क है और कुछ हिस्सा अस्पष्ट है.

इस ड्राफ्ट में क्या है?

“COP cover decision” का पहला मसौदा देशों को "2030 के अंत तक पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्य के अनुरूप करने के लिए आवश्यक राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान में 2030 लक्ष्यों को फिर से देखने और मजबूत करने के लिए कहता है."

गौरतलब है कि 2015 में अपनाया गया पेरिस समझौता वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए, वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को औद्योगिक काल के स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने का लक्ष्य निर्धारित करता है.

पहली बार यह ड्राफ्ट समझौता देशों को कोयला और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को समाप्त करने का आह्वान करता है.

यह "नेट जीरो उत्सर्जन के लिए न्यायसंगत संक्रमण" का भी आह्वान करता है और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति संवेदनशील विकासशील देशों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, और अधिक वित्तीय संसाधनों के महत्व पर जोर देता है.

COP26 जलवायु सम्मेलन के परिणाम को पूरी दुनिया बारीकी से देख रही है कि तमाम देश अपने वर्तमान जलवायु लक्ष्यों के बीच की खाई को पाटने के लिए क्या करने के लिए प्रतिबद्ध हो सकते हैं और अधिक महत्वाकांक्षी कार्रवाई की चाहत लिए वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के विनाशकारी स्तरों को रोकने के लिए यह आवश्यक है.

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क्या यह अपर्याप्त प्रतिज्ञा है?

क्लाइमेट एक्सपर्ट्स ने कोयले को चरणबद्ध तरीके से हटाने की प्रतिबद्धता का स्वागत किया है, लेकिन सवाल किया है कि क्या ड्राफ्ट में किये वादे अपर्याप्त हैं?

ऑक्सफैम के COP26 प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख ट्रेसी कार्टी ने कहा कि ड्राफ्ट "बहुत कमजोर" है.

“यह 1.5 डिग्री की उम्मीद जीवित रखने के लिए अगले साल 2030 उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य की महत्वाकांक्षा को बढ़ाने के लिए स्पष्ट और प्रतिबद्धता को शामिल करने में विफल है. उत्सर्जन बढ़ रहा है, कम नहीं हो रहा है और इस लक्ष्य को पहुंच के भीतर रखने के लिए मौजूदा प्रतिबद्धताएं पटरी से उतर रही हैं."
ट्रेसी कार्टी

वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट के जलवायु वार्ता निदेशक यामाइड डैगनेट ने इस ड्राफ्ट में विकासशील देशों को आवंटित वित्तीय सहायता पर चिंता जताई है. उन्होंने न्यूज एजेंसी अल-जजीरा से कहा कि

"हमने कुछ प्रगति देखी है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह उन मानकों को पूरा करने वाला है जो तीसरी दुनिया के देशों को उम्मीद है”

क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क कनाडा के एडी पेरेज ने भी कहा कि ड्राफ्ट का टेक्स्ट "बेहद समस्याग्रस्त" है क्योंकि "यह अनुकूलन के लिए (विकासशील देशों को) वित्तीय सहायता को बढ़ाने की आवश्यकता को संबोधित नहीं करता है ".

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