पृथ्वी के जलवायु को बचाने के लिए अंतिम मौका माना जा रहा और स्कॉटलैंड के ग्लासगो में चल रहा COP26 जलवायु सम्मेलन समाप्त हो चुका है. दो सप्ताह से अधिक की गहन वार्ता के बाद लगभग 200 देश ग्लासगो जलवायु समझौते (Glasgow Climate Pact) को अपनाने के लिए सहमत हुए हैं.
इन दो सप्ताह की बातचीत में सरकारों के बीच कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती और गरीब- विकासशील देशों को क्लाइमेट फाइनेंस उपलब्ध कराने जैसे मुद्दे गर्म रहे. इसके बाद ग्लासगो जलवायु सम्मेलन 13 नवंबर की रात को ग्लासगो क्लाइमेट पैक्ट नामक समझौता को अपनाने के साथ समाप्त हो गया.
जहां शामिल हो रहे अधिकांश देशों ने जोर दिया कि 1.5 डिग्री सेल्सियस के टारगेट को प्राप्त करने की उम्मीदों को जीवित रखने के लिए ग्लासगो समिट के बाद किसी समझौते पर पहुंचना महत्वपूर्ण है, लेकिन वहीं कई पर्यावरण एक्टिविस्ट और सिविल सोसाइटी ग्रुप्स ने पारित किये गए समझौते को उम्मीदों से कहीं कम माना है.
ऐसे में COP26 समिट खत्म होने और ग्लासगो जलवायु समझौता अपनाये जाने के बाद आपके हर सवाल, जैसे- COP26 समिट का लक्ष्य क्या था, ग्लासगो जलवायु समझौते में किन बातों पर सहमति बनी और सरकारों तथा दुनिया ने इसपर कैसी प्रतिक्रिया दी- का जवाब देने की कोशिश करते हैं.
COP26 Explainer: ग्लासगो जलवायु समझौते में इन 10 बातों पर बनी सहमति
1. ग्लासगो बैठक क्या है और यह क्यों आयोजित किया गया?
ग्लासगो बैठक जलवायु परिवर्तन पर UN फ्रेमवर्क कन्वेंशन, या COP26 के सदस्य देशों के सम्मेलन का 26 वां सत्र था.
यह बैठकें हर साल जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक एक्शन प्लान के निर्माण के लिए आयोजित की जाती है.
COP26 का मुख्य लक्ष्य पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिए नियमों और एक्शन प्लान को अंतिम रूप देना था.
Expand2. ग्लासगो जलवायु समझौते में किन बातों पर सहमति बनी
गौरतलब है कि 2015 में किये गए पेरिस समझौते का लक्ष्य है कि वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस से "अच्छी तरह से नीचे" तक सीमित होना चाहिए, और तमाम देशों को ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए "प्रयास" करना चाहिए.
COP26 से पहले देशों द्वारा प्रतिबद्धताओं और टेक्नोलॉजी में बदलाव की उम्मीद के आधार पर दुनिया 2.7 डिग्री सेल्सियस गर्म होने के ट्रैक पर थी. यही कारण था कि COP26 बैठक की अहमियत बहुत अधिक थी और इसे दुनिया को जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से बचाने का अंतिम मौका माना जा रहा था. इस बैठक के बाद सामने आए ग्लासगो जलवायु समझौते में इन बातों पर सहमति बनी है:
हर पांच साल के बजाय, जैसा कि पहले आवश्यक था, अगले साल (2022) तक सभी देश अपनी 2030 क्लाइमेट एक्शन प्लान्स, या NDC (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) को और मजबूत करेंगे
मिटिगेशन महत्वाकांक्षा और उसके कार्यान्वयन को तत्काल बढ़ाने के लिए एक वर्क प्रोग्राम की स्थापना
2030 क्लाइमेट एक्शन टारगेट को बढ़ाने के लिए देशों के मंत्रियों की वार्षिक बैठक बुलाई जाएगी
देश जलवायु परिवर्तन पर क्या कर रहे हैं, इस पर वार्षिक संश्लेषण रिपोर्ट (Annual Synthesis Report) जारी करेंगे
क्लाइमेट एक्शन टारगेट को बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव से 2023 में विश्व नेताओं की एक बैठक बुलाने का अनुरोध किया गया
देश ईंधन के स्रोत के रूप में कोयले के उपयोग को कम करें और जीवाश्म ईंधन पर "अक्षम" सब्सिडी को समाप्त करने के लिए प्रयास करें
सभी देश कोयले को चरणबद्ध तरीके से कम (phase-down) करेंगे
सभी देश जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त (phase-out) करेंगे
विकसित देश 2025 तक अनुकूलन (Adaptation) के लिए गरीब और विकासशील देशों को दिए जा रहे फाइनेंस को 2019 के स्तर से कम से कम दोगुना ज्यादा करें
अनुकूलन (Adaptation) पर वैश्विक लक्ष्य को परिभाषित करने के लिए दो साल का वर्क प्रोग्राम बनाया गया
Expand3. COP26 में अन्य किन बातों पर बनी सहमति
भारत ने COP26 में क्लाइमेट एक्शन के लिए पंचामृत मंत्र की घोषणा की. इसमें वर्ष 2070 तक नेट- जीरो तक पहुंचने का भी वादा
ब्राजील ने 2060 की जगह 2050 तक ही नेट- जीरो तक पहुंचने का वादा किया
इजरायल ने 2050 के लिए नेट- जीरो लक्ष्य की घोषणा की
दुनिया के दो सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक- अमेरिका और चीन ने जलवायु परिवर्तन उपायों पर सहयोग करने के लिए समझौता किया
100 से अधिक देशों ने 2030 तक मीथेन उत्सर्जन को वर्तमान स्तर से कम से कम 30% कम करने का संकल्प लिया
100 से अधिक देशों ने 2030 तक वनों की कटाई को रोकने और उसे उलटने का वादा किया
Expand4. दुनिया ने ग्लासगो जलवायु समझौते पर देशों ने कैसी प्रतिक्रिया दी?
"हमने एक आम सहमति बनाने का प्रयास किया जो विकासशील देशों के लिए उचित हो और जलवायु न्याय के लिए उचित हो" - भारत के पर्यावरण और जलवायु मंत्री भूपेंद्र यादव
"COP26 में सरकारों के पास भारत की कोयला पर ड्राफ्ट में परिवर्तन के स्टैंड को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था"- अमेरिकी जलवायु दूत जॉन केरी
“COP26 शिखर सम्मेलन की सबसे बड़ी सफलता रूल बुक को अंतिम रूप देना है” - चीनी वार्ताकार झाओ यिंगमिन
“अब हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि हमने 1.5 C की उम्मीद को जिंदा रखा है लेकिन इसकी नब्ज कमजोर है”- ब्रिटेन के कैबिनेट मंत्री आलोक शर्मा
Expand5. दुनिया ने ग्लासगो जलवायु समझौते पर कैसी प्रतिक्रिया दी?
" COP26 खत्म हो गया है. यह रहा इसका संक्षिप्त सारांश: ब्ला, ब्ला, ब्ला" - ग्रेटा थनबर्ग, पर्यावरण एक्टिविस्ट
"यह दब्बू है, यह कमजोर है और 1.5C लक्ष्य केवल जीवित है”- ग्रीनपीस इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक जेनिफर मॉर्गन
"COP26 ने कुछ प्रगति की है, लेकिन जलवायु आपदा से बचने के लिए यह कहीं से भी पर्याप्त नहीं है." - मैरी रॉबिन्सन, पूर्व संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त
“ग्लासगो ने 1.5 डिग्री सेल्सियस डिलीवर नहीं किया है. इसने केवल लक्ष्य को जीवित रखा है वो भी यदि देश इस COP के तुरंत बाद पर्याप्त मेहनत करें"- ली शुओ, ग्रीनपीस ईस्ट एशिया
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ग्लासगो बैठक क्या है और यह क्यों आयोजित किया गया?
ग्लासगो बैठक जलवायु परिवर्तन पर UN फ्रेमवर्क कन्वेंशन, या COP26 के सदस्य देशों के सम्मेलन का 26 वां सत्र था.
यह बैठकें हर साल जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक एक्शन प्लान के निर्माण के लिए आयोजित की जाती है.
COP26 का मुख्य लक्ष्य पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिए नियमों और एक्शन प्लान को अंतिम रूप देना था.
ग्लासगो जलवायु समझौते में किन बातों पर सहमति बनी
गौरतलब है कि 2015 में किये गए पेरिस समझौते का लक्ष्य है कि वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस से "अच्छी तरह से नीचे" तक सीमित होना चाहिए, और तमाम देशों को ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए "प्रयास" करना चाहिए.
COP26 से पहले देशों द्वारा प्रतिबद्धताओं और टेक्नोलॉजी में बदलाव की उम्मीद के आधार पर दुनिया 2.7 डिग्री सेल्सियस गर्म होने के ट्रैक पर थी. यही कारण था कि COP26 बैठक की अहमियत बहुत अधिक थी और इसे दुनिया को जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से बचाने का अंतिम मौका माना जा रहा था. इस बैठक के बाद सामने आए ग्लासगो जलवायु समझौते में इन बातों पर सहमति बनी है:
हर पांच साल के बजाय, जैसा कि पहले आवश्यक था, अगले साल (2022) तक सभी देश अपनी 2030 क्लाइमेट एक्शन प्लान्स, या NDC (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) को और मजबूत करेंगे
मिटिगेशन महत्वाकांक्षा और उसके कार्यान्वयन को तत्काल बढ़ाने के लिए एक वर्क प्रोग्राम की स्थापना
2030 क्लाइमेट एक्शन टारगेट को बढ़ाने के लिए देशों के मंत्रियों की वार्षिक बैठक बुलाई जाएगी
देश जलवायु परिवर्तन पर क्या कर रहे हैं, इस पर वार्षिक संश्लेषण रिपोर्ट (Annual Synthesis Report) जारी करेंगे
क्लाइमेट एक्शन टारगेट को बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव से 2023 में विश्व नेताओं की एक बैठक बुलाने का अनुरोध किया गया
देश ईंधन के स्रोत के रूप में कोयले के उपयोग को कम करें और जीवाश्म ईंधन पर "अक्षम" सब्सिडी को समाप्त करने के लिए प्रयास करें
सभी देश कोयले को चरणबद्ध तरीके से कम (phase-down) करेंगे
सभी देश जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त (phase-out) करेंगे
विकसित देश 2025 तक अनुकूलन (Adaptation) के लिए गरीब और विकासशील देशों को दिए जा रहे फाइनेंस को 2019 के स्तर से कम से कम दोगुना ज्यादा करें
अनुकूलन (Adaptation) पर वैश्विक लक्ष्य को परिभाषित करने के लिए दो साल का वर्क प्रोग्राम बनाया गया
COP26 में अन्य किन बातों पर बनी सहमति
भारत ने COP26 में क्लाइमेट एक्शन के लिए पंचामृत मंत्र की घोषणा की. इसमें वर्ष 2070 तक नेट- जीरो तक पहुंचने का भी वादा
ब्राजील ने 2060 की जगह 2050 तक ही नेट- जीरो तक पहुंचने का वादा किया
इजरायल ने 2050 के लिए नेट- जीरो लक्ष्य की घोषणा की
दुनिया के दो सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक- अमेरिका और चीन ने जलवायु परिवर्तन उपायों पर सहयोग करने के लिए समझौता किया
100 से अधिक देशों ने 2030 तक मीथेन उत्सर्जन को वर्तमान स्तर से कम से कम 30% कम करने का संकल्प लिया
100 से अधिक देशों ने 2030 तक वनों की कटाई को रोकने और उसे उलटने का वादा किया
दुनिया ने ग्लासगो जलवायु समझौते पर देशों ने कैसी प्रतिक्रिया दी?
"हमने एक आम सहमति बनाने का प्रयास किया जो विकासशील देशों के लिए उचित हो और जलवायु न्याय के लिए उचित हो" - भारत के पर्यावरण और जलवायु मंत्री भूपेंद्र यादव
"COP26 में सरकारों के पास भारत की कोयला पर ड्राफ्ट में परिवर्तन के स्टैंड को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था"- अमेरिकी जलवायु दूत जॉन केरी
“COP26 शिखर सम्मेलन की सबसे बड़ी सफलता रूल बुक को अंतिम रूप देना है” - चीनी वार्ताकार झाओ यिंगमिन
“अब हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि हमने 1.5 C की उम्मीद को जिंदा रखा है लेकिन इसकी नब्ज कमजोर है”- ब्रिटेन के कैबिनेट मंत्री आलोक शर्मा
दुनिया ने ग्लासगो जलवायु समझौते पर कैसी प्रतिक्रिया दी?
" COP26 खत्म हो गया है. यह रहा इसका संक्षिप्त सारांश: ब्ला, ब्ला, ब्ला" - ग्रेटा थनबर्ग, पर्यावरण एक्टिविस्ट
"यह दब्बू है, यह कमजोर है और 1.5C लक्ष्य केवल जीवित है”- ग्रीनपीस इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक जेनिफर मॉर्गन
"COP26 ने कुछ प्रगति की है, लेकिन जलवायु आपदा से बचने के लिए यह कहीं से भी पर्याप्त नहीं है." - मैरी रॉबिन्सन, पूर्व संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त
“ग्लासगो ने 1.5 डिग्री सेल्सियस डिलीवर नहीं किया है. इसने केवल लक्ष्य को जीवित रखा है वो भी यदि देश इस COP के तुरंत बाद पर्याप्त मेहनत करें"- ली शुओ, ग्रीनपीस ईस्ट एशिया
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)