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भारत के मिशन 2070 से ग्लासगो डिक्लेरेशन तक, COP26 की अबतक की बड़ी बातें

2015 के पेरिस समझौते के प्रमुख हिस्सों को वास्तव में कैसे लागू किया जाए- अब भी चल रही बातचीत

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स्कॉटलैंड के ग्लासगो में चल रहे COP26 जलवायु शिखर सम्मेलन में भाषणों और घोषणाओं की झड़ी के बाद पीएम मोदी समेत दूसरे वैश्विक नेता अपने-अपने देश लौट गए हैं. लेकिन 12 नवंबर तक वहां अब भी मौजूद डिप्लोमैट्स के बीच 2015 के पेरिस समझौते के प्रमुख हिस्सों को वास्तव में कैसे लागू किया जाए, इस पर बातचीत होगी.

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भारत की ओर से जहां पीएम मोदी की घोषणा कि भारत वर्ष 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन की स्थिति को प्राप्त कर लेगा, वहीं दुनिया के लगभग 85% जंगलों वाले देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 100 नेताओं ने COP26 में 2030 तक जंगलों की कटाई को समाप्त करने का संकल्प लिया.

COP26 जलवायु शिखर सम्मेलन को शुरू होने के 4 दिन बीत जाने के बाद नजर डालते हैं अब तक के हाईलाइट्स पर.

पीएम मोदी का पंचामृत और भारत का 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य

COP26 समिट के पहले ही दिन दुनिया भर में चर्चा का विषय वाली घोषणा थी: “COP26: PM मोदी ने ग्लासगो में किया ऐलान, 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य”. क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए पीएम मोदी ने वर्ल्ड लीडर्स के सामने अपने पांच लक्ष्य- पंचामृत मंत्र- रखें.

  • पहला- भारत, 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक पहुंचाएगा.

  • दूसरा- भारत, 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा आवश्यकताओं को नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों से पूरी करेगा.

  • तीसरा- भारत अब से लेकर 2030 तक के कुल प्रोजेक्टेड कार्बन एमिशन में एक बिलियन टन की कमी करेगा

  • चौथा- 2030 तक भारत, अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेन्सिटी को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा.

  • पांचवा- वर्ष 2070 तक भारत, नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा

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अमेरिका और यूरोप के विपरीत ग्रीनहाउस गैसों का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक भारत उत्सर्जन, ऊर्जा उपयोग, प्रति व्यक्ति आय और कोयले के उपयोग के मामले में अपने पीक लेवल से सालों दूर है. यही कारण है कि पूरी दुनिया की नजर भारत पर है कि वह कैसे 2070 तक अपने नेट जीरो के लक्ष्य को पूरा करता है.

भारत ने रखा वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड का प्लान 

सौर ऊर्जा से बिजली बनाने और उसको बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके यूके समकक्ष बोरिस जॉनसन ने एक अंतरराष्ट्रीय ग्रिड - वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड (OSOWOG) पेश किया.

COP26 जलवायु सम्मेलन के हिस्से के रूप में ‘असिलरेटिंग क्लीन टेक्नोलॉजी इनोवेशन एंड डिप्लॉयमेंट’ नामक सत्र में शामिल होते हुए पीएम मोदी ने कहा कि

“सौर ऊर्जा पूरी तरह से स्वच्छ और टिकाऊ है. चुनौती ये है कि ये ऊर्जा केवल दिन के समय उपलब्ध होती है और मौसम पर निर्भर करती है. वन सन, वन वर्ल्ड एंड वन ग्रिड' इस समस्या का समाधान है. विश्वव्यापी ग्रिड के माध्यम से, स्वच्छ ऊर्जा को कहीं भी और कभी भी भेजा जा सकता है”
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100 से अधिक देशों ने जंगलों की कटाई को समाप्त करने का संकल्प लिया

दुनिया के लगभग 85% जंगलों वाले देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 100 से अधिक नेताओं ने COP26 जलवायु सम्मेलन में 2030 तक वनों की कटाई को समाप्त करने और योजना में सार्वजनिक और निजी फंड में $ 19 बिलियन का निवेश करने का संकल्प लिया. इस घोषणा को Glasgow Leaders Declaration on Forest and Land Use नाम दिया गया.

इनमें ब्राजील, चीन, कोलंबिया, कांगो, इंडोनेशिया, रूस और अमेरिका जैसे बड़े पैमाने पर फॉरेस्ट कवर वाले देश शामिल हैं. यूनाइटेड किंगडम के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने घोषणा के समय गर्व से कहा कि "नेताओं ने पृथ्वी के जंगलों की रक्षा और उन्हें रिस्टोर करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं"

लेकिन भारत इसमें शामिल नहीं हुआ. COP26 में इतनी मुखर उपस्थिति के बावजूद प्रधान मंत्री मोदी ने ग्लासगो घोषणा में पार्टी नहीं होने का विकल्प चुना है.

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अमेरिका ने सामने रखी मीथेन उत्सर्जन को कम करने की योजना

अमेरिका ने तेल और गैस क्षेत्र पर सख्त नियमों के साथ मीथेन उत्सर्जन को लगभग 75% तक कम करने के लिए 2 नवंबर को एक योजना सामने रखी. अमेरिका के एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी द्वारा प्रकाशित योजना के अनुसार, तेल और गैस क्षेत्र औद्योगिक मीथेन उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत है.

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने इस साल की शुरुआत में पदभार ग्रहण करने पर भी मीथेन उत्सर्जन में कटौती करने का वादा किया था. COP26 में राष्ट्रपति ने अगले 10 वर्षों में दुनिया भर में मीथेन उत्सर्जन को 30% तक कम करने के लिए यूरोपीय संघ और दर्जनों अन्य देशों के साथ काम करने का संकल्प लिया है.

यूथ एक्टिविस्ट्स का प्रोटेस्ट 

स्कॉटलैंड के ग्लासगो में हो रहे संयुक्त राष्ट्र COP26 शिखर सम्मेलन के सामने पर्यावरण को लेकर गंभीर यूथ एक्टिविस्ट्स अपनी आवाज के साथ तैनात है. उनका आरोप है कि जलवायु परिवर्तन पर विश्व के तमाम देशों के नेताओं की ओर से एक्शन में एक खतरनाक कमी है.

प्रसिद्ध पर्यावरण यूथ एक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबर्ग ने COP26 शिखर सम्मेलन की अत्यधिक आलोचना की है और इसे "हमेशा की तरह दो सप्ताह का उत्सव और ब्ला ब्ला ब्ला" कहा.

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