भारत में चल रहे किसान आंदोलन का असर ब्रिटेन की संसद में भी दिखा. बता दें कि आंदोलकारी किसानों की सुरक्षा और मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर ब्रिटेन की संसद में एक याचिका डाली गई थी, जिसके बाद वहां चर्चा हुई. 90 मिनट तक चली चर्चा के दौरान कंजर्वेटिव पार्टी की थेरेसा विलियर्स ने साफ कहा कि कृषि भारत का आंतरिक मामला है और उसे लेकर किसी विदेशी संसद में चर्चा नहीं की जा सकती.
इस याचिका पर एक लाख से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए थे. चर्चा में हिस्सा लेने वाले सांसदों ने भारत सरकार की नीतियों को किसान विरोध बताया, साथ ही भारत में प्रेस की आजादी पर भी सवाल उठाए. लेबर पार्टी के जिमी कॉर्बिन के मुताबिक, भारत में चल रहे इस आंदोलन में 250 मिलियन लोगों ने हिस्सा लिया है और इस तरह यह इस धरती के इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन है.
भारतीय उच्चायोग का जवाब
भारतीय हाईकमीशन ने बयान में कहा है, कि यह चिंता का विषय है कि एक बार फिर ब्रिटिश भारतीय समुदाय को भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है. वहीं मीडिया की स्वतंत्रता पर उठाए गए सवालों के जवाब भारत की ओर से कहा गया है कि ब्रिटिश मीडिया सहित तमाम विदेशी मीडिया भारत में मौजूद है. ऐसे में भारत में मीडिया की स्वतंत्रता की कमी का सवाल ही नहीं उठता.
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