यूरोपीय संघ (EU) संसद भारत के नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ पेश किए गए प्रस्तावों पर बहस और वोटिंग करेगी. इन प्रस्तावों में से एक यूरोपियन यूनाइटेड लेफ्ट/नॉर्डिक ग्रीन लेफ्ट (जीयूई/एनजीएल) ग्रुप ने पेश किया है, जिस पर 29 जनवरी को बहस होगी और इसके एक दिन बाद वोटिंग होगी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस मामले पर भारत सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि भारत उम्मीद करता है कि इन प्रस्तावों से जुड़े लोग इस पर आगे बढ़ने से पहले सरकार से जुड़ें और तथ्यों का सटीक आकलन करें.
इन सूत्रों ने कहा कि (यूरोपीय संघ) संसद को कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जो लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई विधायिका के अधिकारों पर सवाल उठाता हो.
जीयूई/एनजीएल के प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र, मानव अधिकार की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) के आर्टिकल 15 के अलावा 2015 में हस्ताक्षरित किए गए भारत-यूरोपीय संघ सामरिक भागीदारी संयुक्त कार्य योजना और मानव अधिकारों पर यूरोपीय संघ-भारत विषयक संवाद का जिक्र किया गया है. इसमें भारतीय प्राधिकारियों से अपील की गई है कि वे CAA के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ ‘‘रचनात्मक वार्ता’’ करें और ‘‘भेदभावपूर्ण CAA’’ को निरस्त करने की उनकी मांग पर विचार करें.
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘CAA भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव करेगा. इससे नागरिकता विहीन लोगों के संबंध में बड़ा संकट दुनिया में पैदा हो सकता है और यह बड़ी मानव पीड़ा का कारण बन सकता है.’’
CAA भारत में पिछले साल दिसंबर में लागू किया गया था जिसे लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. भारत सरकार का कहना है कि नया कानून किसी की नागरिकता नहीं छीनता है बल्कि इसे पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और उन्हें नागरिकता देने के लिए लाया गया है.
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