भारत-यूएई व्यापार समझौता क्यों महत्वपूर्ण है?
2014 में मोदी सरकार बनने के बाद यह पहला व्यापक व्यापार समझौता है.
दुनिया भर में मुक्त व्यापार समझौतों और क्षेत्रीय व्यापार ब्लॉकों के फलने-फूलने के साथ, भारत को उपयुक्त व्यापार भागीदारों के साथ ऐसी व्यवस्था करने की आवश्यकता महसूस हो रही है, जिससे जरूरी मार्केट्स तक पहुंच बन सके और लाभ हो सके.
हालांकि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के सामानों पर औसत शुल्क कम है और उच्चतम स्लैब 5 प्रतिशत है. अब 90 प्रतिशत व्यापारिक वस्तुओं पर इन टैरिफों को खत्म कर दिया जाएगा. इससे बांग्लादेश और वियतनाम जैसी छोटी अर्थव्यवस्था वाले देशों को कपड़े, जूते और आभूषण जैसी वस्तुओं में टैरिफ लाभ कम हो जाएगा. इसके बाद भारत के लिए मार्केट के ज्यादा मौके होंगे.
यह समझौता भारतीय व्यवसायों की अरब और अफ्रीकी मार्केट्स तक व्यापक पहुंच प्रदान करेगा. संयुक्त अरब अमीरात के साथ सीईपीए को 88 दिनों के रिकॉर्ड समय में सील करने से भारत को यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ जैसे भागीदारों के साथ चल रही एफटीए वार्ता को आगे बढ़ाने में अधिक विश्वास मिलेगा.
समझौते की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
भारत-यूएई के बीच हुए व्यापार समझौते में वस्तुओं और सेवाओं में व्यापार, व्यापार में तकनीकी बाधाएं, विवाद निपटान, दूरसंचार, सीमा शुल्क प्रक्रियाओं और फार्मास्यूटिकल्स में कमिटमेंट्स शामिल हैं. भारत द्वारा पहली बार व्यापार समझौते में डिजिटल ट्रेड, सरकारी खरीद और आईपीआर पर चैप्टर्स शामिल किए गए हैं.
इसके अलावा पहली बार भारतीय फार्मास्युटिकल उत्पादों तक पहुंच की सुविधा के लिए फार्मास्यूटिकल्स पर एक अलग अनुबंध शामिल किया गया है.
वस्तुओं में डेयरी, फल, सब्जियां, अनाज, चाय, कॉफी, चीनी, भोजन तैयार करना, तंबाकू, पेट्रोलियम, ऑटो, कोक, डाई, साबुन, प्राकृतिक रबर, टायर, जूते, संसाधित मार्बल, खिलौने, प्लास्टिक और चिकित्सा उपकरण शामिल हैं.
सामानों में टैरिफ में कमी की सीमा क्या है?
अगले पांच वर्षों में एग्रीमेंट के कार्यान्वयन और 97 प्रतिशत टैरिफ लाइनों के तुरंत बाद संयुक्त अरब अमीरात को भारत के निर्यात के 90 प्रतिशत पर आयात शुल्क को जीरो पर लाया जाएगा. दूसरी ओर, भारत 10 सालों में लगभग 65 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर और 90 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर आयात शुल्क कम कर देगा. भारत यूएई को सोने पर 200 टन का टैरिफ-दर कोटा देने पर भी सहमत हो गया है, जहां आयात शुल्क दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए लगाए गए टैरिफ से एक प्रतिशत कम होगा.
इससे किस सेक्टर को फायदा होगा? भारत-यूएई व्यापार की मौजूदा स्थिति क्या है?
भारतीय निर्यातकों को रत्न और आभूषण, कपड़ा, चमड़ा, जूते, खेल के सामान, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि और लकड़ी के उत्पादों, इंजीनियरिंग उत्पादों, फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों व ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में लाभ होने की उम्मीद है. इस एग्रीमेंट के बाद लगभग 26 बिलियन डॉलर के भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है, जो मौजूदा वक्त में संयुक्त अरब अमीरात द्वारा 5 प्रतिशत आयात शुल्क के अधीन हैं. सेवा क्षेत्र में भी पर्याप्त लाभ देखने को मिल सकता है.
भारत-यूएई द्विपक्षीय व्यापार कोरोना महामारी के पहले लगभग 60 बिलियन डॉलर था, जो अब घटकर 44 बिलियन डॉलर हो चुका है. हालांकि, 2021-22 में, अप्रैल-दिसंबर में 52.76 बिलियन डॉलर के दोतरफा व्यापार के साथ रिकवरी होती दिख रही है. भारत से निर्यात 20 अरब डॉलर था, जबकि संयुक्त अरब अमीरात से आयात 32.7 अरब डॉलर था. यूएई से भारत का महत्वपूर्ण आयात पेट्रोलियम और संबंधित उत्पादों, कीमती धातुओं, पत्थरों, रत्नों और आभूषणों और रासायनिक उत्पादों का था, जबकि यह खनिज ईंधन और तेल, मोती, कीमती पत्थर, धातु और सिक्के, बिजली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और कपड़े निर्यात करता था.
व्यापार समझौते के बाद कैसी उम्मीदें नजर आ रही हैं?
इस एग्रीमेंट के बाद दोनों देशों को उम्मीद है कि पांच सालों में द्विपक्षीय व्यापार लगभग दोगुना होकर 100 बिलियन डॉलर हो जाएगा और 15 बिलियन डॉलर का सेवा व्यापार हासिल होगा. भारत द्वारा लगाए अनुमानों के मुताबिक बढ़े हुए व्यापार से भारत में कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, रत्न और आभूषण, प्लास्टिक उत्पाद, ऑटो और चमड़े जैसे क्षेत्रों में 10 लाख नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है.
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