ADVERTISEMENTREMOVE AD

Facebook की कभी न हुई इतनी बुरी हालत, आखिर कैसे आई ये नौबत?

"फेसबुक पेपर्स" में अगले छह और हफ्तों के दस्तावेजों और लेखों का सामने आना बाकी है

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

सोशल मीडिया जाइंट फेसबुक एक बार फिर गलत कारणों से खबरों में है. दुनिया भर के प्रमुख मीडिया आउटलेट्स ने पूर्व फेसबुक कर्मचारी फ्रांसेस हौगेन द्वारा लीक किए गए कंपनी के आंतरिक डॉक्युमेंट्स के आधार पर नई रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसे फेसबुक पेपर्स (Facebook Papers) नाम दिया जा रहा है. माना जा रहा है कि फेसबुक की इतनी फजीहत पहले कभी नहीं हुई. ‘फार्च्यून’ के मुताबिक "फेसबुक पेपर्स" में अगले 6 और हफ्तों के दस्तावेजों और लेखों का सामने आना बाकी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

खबरों की टाइमलाइन 

अमेरिकी न्यूज मैगजीन टाइम ने अपने नवीनतम संस्करण के कवर पेज पर फेसबुक के चेयरमैन और सीईओ मार्क जुकरबर्ग की तस्वीर को प्रकाशित किया है, जिसमें "डिलीट 'फेसबुक'?" - और उसके साथ दो विकल्प - "कैंसिल" और "डिलीट"दिया है. इसे अपने आप में एक बड़ा स्टेटमेंट माना जा रहा है.

 "फेसबुक पेपर्स" में अगले छह और हफ्तों के दस्तावेजों और लेखों का सामने आना बाकी है

अमेरिकी न्यूज मैगजीन टाइम का कवर पेज 

अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने 22 अक्टूबर को फेक न्यूज के प्रसार में फेसबुक की भूमिका पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसके मुताबिक यूएस कैपिटल में 6 जनवरी को हुए घातक दंगों को हवा देने में इसने मदद की.

शनिवार, 23 अक्टूबर को द न्यूयॉर्क टाइम्स और द वॉल स्ट्रीट जर्नल- दोनों ने फेसबुक के सबसे बड़े बाजार, भारत में फेसबुक पर हेट स्पीच और फेक न्यूज के बारे में स्टोरी पब्लिश की.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, फेसबुक ने दो साल पहले भारत में टेस्टिंग के लिए एक अकाउंट बनाया था. इस अकाउंट के जरिये फेसबुक ने जाना कि कैसे उसका खुद का एल्गोरिदम हेट स्पीच और फेक न्यूज को बढ़ावा दे रहा है.

वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के बाद ब्लूमबर्ग और एनबीसी न्यूज स्टोरी पब्लिश की. इसके बाद 25 अक्टूबर को द एसोसिएटेड प्रेस, द अटलांटिक सहित सीएनबीसी, सीएनएन, पोलिटिको, द वर्ज और वायर्ड जैसे तमाम आउटलेट्स ने फेसबुक के प्लेटफॉर्म से हेट स्पीच और फेक न्यूज को बढ़ावा मिलने से जुडी विस्तृत स्टोरी को पब्लिश किया गया.

0
गौरतलब है कि 25 अक्टूबर को ही व्हिसल ब्लोअर फ्रांसेस हौगेन ने ब्रिटिश संसद को संबोधित किया. साथ ही यूके के एक चैरिटी ने 25 अक्टूबर को बताया कि पुलिस ने 2017 से फेसबुक के स्वामित्व वाले ऐप्स पर हजारों बाल अपराध दर्ज किए हैं और कंपनी से बाल शोषण की घटनाओं पर अपने आंतरिक रिसर्च का खुलासा करने के लिए कहा है.

क्यों हो रही है फेसबुक की आलोचना ?

व्यापक अर्थों में मुद्दा यह है कि क्या फेसबुक पर अपने सामाजिक जिम्मेदारी और व्यावसायिक उद्देश्यों को एक साथ संतुलित करने के लिए भरोसा किया जा सकता है और क्या इसके विभिन्न सोशल- नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म पर फैले खतरनाक कंटेंट की बाढ़ को दूर करने के लिए कुछ किया.

हालिया रिपोर्ट्स इन दोनों ही सवालों पर फेसबुक के खिलाफ कथित सबूत पेश करते हैं.

कंपनी के एल्गोरिदम यूजर्स के एंगेजमेंट को बढ़ाते हैं, लेकिन साथ ही फेक न्यूज, हेट स्पीच और इसी तरह की अन्य समस्याएं भी पैदा कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक ने फरवरी 2019 में भारत में एक टेस्ट अकाउंट बनाया था . इस अकाउंट को बनाने का मकसद यह देखना था कि कंपनी के तेजी से बढ़ते मार्केट में इसका एल्गोरिदम यह कैसे प्रभावित करते हैं कि लोग क्या देख रहे हैं.

तीन हफ्तों के अंदर फेसबुक के टेस्ट अकाउंट पर फेक न्यूज और एडिटेड तस्वीरों की बाढ़ आ गई. इसमें सिर कलम करने, पाकिस्तान के खिलाफ भारत की एयर स्ट्राइक और हिंसा जैसी ग्राफिक तस्वीरें शामिल थीं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

आलोचकों का कहना है कि फेसबुक पहले ही यूजर्स का भरोसा खो चुकी है और प्लेटफॉर्म पर कंटेंट पुलिसिंग की बात करते समय कंपनी अपने मुनाफे को लोगों के हितों से आगे रखती है. अमेरिकी कांग्रेस के समक्ष गवाही में फ्रांसेस हौगेन ने 5 अक्टूबर को आरोप लगाया कि फेसबुक के प्रोडक्ट "बच्चों को नुकसान पहुंचाते हैं, विभाजन को बढ़ावा देते हैं और हमारे लोकतंत्र को कमजोर करते हैं."

"हम सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों की गहराई से परवाह करते हैं- मार्क जुकरबर्ग

दूसरी ओर फेसबुक ने कहा है कि आंतरिक दस्तावेजों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है और सोशल-नेटवर्किंग की इस दिग्गज कंपनी की "झूठी तस्वीर" सामने लायी जा रही है. सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने इस महीने की शुरुआत में कर्मचारियों को एक ईमेल में लिखा था कि "मुझे यकीन है कि आप में से कई लोगों के लिए हालिया कवरेज को पढ़ना मुश्किल होगा क्योंकि यह उस कंपनी को प्रतिबिंबित नहीं करता है जिसे हम जानते हैं.”

"हम सुरक्षा, भलाई और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों की गहराई से परवाह करते हैं"
मार्क जुकरबर्ग

भारत के बारे में टाइम्स की रिपोर्ट के संबंध में फेसबुक के एक प्रवक्ता ने न्यूज आउटलेट को बताया कि सोशल नेटवर्क ने हिंदी और बांग्ला सहित विभिन्न भाषाओं में हेट स्पीच को खत्म करने के लिए डिजाइन की गई तकनीक में महत्वपूर्ण रिसोर्स लगाए थे और इस साल फेसबुक पर दुनिया भर में यूजर्स द्वारा देखे जाने वाले हेट स्पीच की मात्रा आधी हो गयी थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या इन खुलासों का फेसबुक और जुकरबर्ग पर असर पड़ेगा

अगर आपको लगता है कि "फेसबुक पेपर्स" के खुलासे के बाद कंपनी और उसके सीईओ बैकफुट पर हैं तो आपको इसपर फिर से विचार करने कि जरूरत है.

‘फॉरर्च्यून’ के मुताबिक कंपनी के शेयरधारक अब तक फेसबुक के हानिकारक प्रभावों और उन्हें कम करने की अनिच्छा के बारे में हुए हालिया खुलासे से अप्रभावित दिखाई दे रहे हैं. सोशल मीडिया की इस दिग्गज कंपनी ने सितंबर को खत्म हुई तिमाही में $9bn (£6.5bn) का लाभ कमाया, जो पिछले साल $7.8bn था. 30 सितंबर से पहले के 12 महीनों में फेसबुक का मासिक यूजर बेस 6% बढ़कर 2.91 बिलियन हो गया है.

जहां तक जुकरबर्ग को कंपनी से निकालने की बात है, इसे सपना ही माना जा सकता है क्योंकि उनका फेसबुक के लगभग 58% वोटिंग शेयरों पर नियंत्रण है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×