यूक्रेन के खिलाफ मॉस्को के जारी युद्ध के बीच जी7 देशों के समूह और उसके सहयोगी देशों ने रूसी तेल की कीमतों पर 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा तय करने को मंजूरी दे दी है। यह 5 दिसंबर के बाद लागू होगा। शनिवार की सुबह जारी एक संयुक्त बयान में जी 7 और ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि मूल्य कैप लगाने का निर्णय रूस को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध से लाभ उठाने से रोकने के लिए लिया गया है।
उसने कहा कि इस कदम का उद्देश्य वैश्विक ऊर्जा बाजारों में स्थिरता का समर्थन करना और युद्ध के नकारात्मक आर्थिक प्रभावों को कम करना है, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों पर, जो युद्ध से प्रभावित हुए हैं।
जी7 के नेतृत्व वाली नीति पर हस्ताक्षर करने वाले देशों को केवल समुद्र के माध्यम से परिवहन किए जाने वाले तेल और पेट्रोलियम उत्पादों को खरीदने की अनुमति होगी, जो मूल्य सीमा पर या उससे कम पर बेचे जाते हैं।
यह योजना 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक का भुगतान करने वाले देशों को रोकती है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार जब सितंबर में जी7 देशों ने 65-70 डॉलर की कीमत सीमा रखी थी, तो पोलैंड, लिथुआनिया और एस्टोनिया ने इसे बहुत अधिक कहकर खारिज कर दिया था।
इस बीच व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने मूल्य सीमा समझौते का स्वागत करते हुए कहा कि यह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आक्रामकता को कम करेगा।
हालांकि रूस ने इस योजना की निंदा करते हुए कहा है कि वह उन देशों को तेल की आपूर्ति नहीं करेगा जिन्होंने मूल्य सीमा लागू की है।
--आईएएनएस
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