स्वीडन की क्लाइमेट चेंज एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग को TIME's पर्सन ऑफ दी ईयर चुना गया है. एस्पर्गर सिंड्रोम से पीड़ित 16 साल की ग्रेटा ने इस साल संयुक्त राष्ट्र की क्लाइमेट एक्शन समिट में भाषण दिया था, जिसकी दुनियाभर में काफी तारीफ हुई थी.
मैगजीन ने ग्रेटा के लिए लिखा, ‘वो एक आम टीनेज लड़की हैं, जिसने सत्ता में बैठे लोगों से सच बोलने की हिम्मत जुटाई, वो एक जेनरेशन की आइकन बन गई है.’
क्लाइमेट स्ट्राइक से जुड़ी लाखों लोग
ग्रेटा थनबर्ग ने पिछले साल स्वीडन की संसद के बाहर क्लाइमेट चेंज को लेकर प्रदर्शन किया था. शुक्रवार को स्कूल जाने की बजाए ग्रेटा क्लाइमेट स्ट्राइक पर बैठ गई थीं, और उन्होंने सभी से इसमें शामिल होने की अपील की थी. ग्रेटा की इस क्लाइमेट स्ट्राइक से अब दुनियाभर में लोग जुड़ चुके हैं.
ग्रेटा से प्रेरित होकर इसी साल, सितंबर में दुनिया के कई देशों में ग्लोबल क्लाइमेट स्ट्राइक का आयोजन किया गया था. ये स्ट्राइक 150 देशों मं 4,500 जगहों पर की गई थी.
संयुक्त राष्ट्र में दिया था जोरदार भाषण
23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र की क्लाइमेट एक्शन समिट में अपने भाषण में ग्रेटा ने वैश्विक नेताओं पर आलस और निष्क्रियता की वजह से अपनी पीढ़ी के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया था. ग्रेटा ने नेताओं से कहा, ‘आपने अपनी खोखली बातों से मेरे सपने और बचपन छीन लिए, फिर भी मैं खुशकिस्मत लोगों में शामिल हूं. लोग त्रस्त हैं, लोग मर रहे हैं, पूरा पर्यावरण तबाह हो रहा है.’
बड़े-बड़े नामों ने ग्रेटा की हिम्मत की तारीफ की थी.
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