भारत सरकार (Government of India) ने अमेरिकी अखबार द वाशिंगटन पोस्ट की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि खुफिया एजेंसी RAW के एक कथित अधिकारी विक्रम यादव ने पिछले साल जून में अमेरिका में खालिस्तानी चरमपंथी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के लिए एक 'हिट टीम' को काम पर रखा था.
लेकिन यह पूरा मामला क्या है जिस पर अमेरिकी अखबार के रिपोर्ट को लेकर भारत सरकार की ओर से बयान जारी करना पड़ा. इस रिपोर्ट में समझेंगे पूरा मामला?
केंद्रीय विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर रिपोर्ट को "अप्रमाणित" और "अनुचित" करार दिया है.
उन्होंने कहा, 'संगठित अपराधियों, आतंकवादियों और अन्य नेटवर्कों पर अमेरिकी सरकार की ओर से साझा की गई सुरक्षा चिंताओं की जांच करने के लिए भारत सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है जिसकी जांच जारी है. ऐसे में इस मामले पर अटकले लगाना और गैर जिम्मेदाराना टिप्पणियां देना मामले को सुलझाता नहीं है.
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में क्या दावा किया गया है?
यह खोजी रिपोर्ट एक सीरीज-'रिप्रेशंस लॉन्ग आर्म' का हिस्सा है. यह भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों में गुमनाम, वर्तमान और पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों के कथित इंटरव्यू पर आधारित है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि विक्रम यादव एक अज्ञात भारतीय अधिकारी है, जो सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ कथित हत्या की साजिश में शामिल था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी सरकार के अधिकारियों के अनुसार, पन्नू को निशाना बनाने की साजिश को सामंत गोयल ने मंजूरी दी थी, जो उस समय रॉ प्रमुख थे. इसमें यह भी कहा गया है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को संदेह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल को पन्नू और रणदीप सिंह निज्जर (जिन्हें पिछले साल जून में कनाडा में गोली मार दी गई थी) जैसे खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों को मारने के रॉ के प्लान के बारे में पता था. हालांकि, इस दावे का समर्थन करने के लिए रिपोर्ट में कोई ठोस सबूत नहीं है.
अधिकारियों ने द वाशिंगटन पोस्ट को बताया कि अमेरिकी न्याय विभाग और यूएस फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) के वरिष्ठ अधिकारियों ने यादव पर मुकदमा चलाने पर जोर दिया था, एक ऐसा कदम जो रॉ को किराए पर हत्या की साजिश में फंसा देता. व्हाइट हाउस के विचार-विमर्श में भाग लेने वाले अमेरिकी न्याय विभाग के अधिकारी यादव के खिलाफ आपराधिक आरोप लगाने वालों के खिलाफ थे.
पिछले साल नवंबर में, दक्षिणी न्यूयॉर्क के संयुक्त राज्य अमेरिका के अटॉर्नी कार्यालय ने पुष्टि की थी कि अमेरिकी कानून प्रवर्तन ने अमेरिकी धरती पर पन्नू की हत्या की साजिश को विफल कर दिया था. अटॉर्नी के ऑफिस ने निखिल गुप्ता नाम के एक भारतीय नागरिक के खिलाफ आरोप दर्ज किए, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने भारत सरकार के एक कथित कर्मचारी के साथ मिलकर हत्या की योजना बनाई थी.
उस समय, कर्मचारी को सीसी-1 के तौर में नामित किया गया था, जो कथित तौर पर भारत से पन्नू की हत्या की साजिश का मास्टरमाइंड था. द वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सीसी-1 विक्रम यादव है.
इसमें यह भी दावा किया गया है कि पन्नू मर्डर प्लॉट का खुलासा होने के बाद यादव को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में ट्रांसफर कर दिया गया था.
अमेरिका ने आरोप लगाया कि मई 2023 में, सीसी-1 ने गुप्ता को अमेरिकी धरती पर पन्नू की हत्या की तैयारी करने के लिए भर्ती किया और बदले में उसके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को निरस्त करवाने का आश्वासन दिया. आप यूएस अभियोग पर द क्विंट की कहानी विस्तार में यहां पढ़ सकते हैं.
क्विंट को विदेश मंत्रालय को किए कॉल और मेल का अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. जब भी वे जवाब देंगे, इस आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा.
इस बीच, सोमवार, 29 अप्रैल को भारत ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा भाग लेने वाले एक कार्यक्रम में कथित तौर पर खालिस्तान समर्थक नारे लगाए जाने के बाद कनाडा के उप उच्चायुक्त को तलब किया है. एक बयान में, विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह घटना न केवल दोनों देशों के बीच संबंधों को बाधित करती है, बल्कि "हिंसा के माहौल" को भी बढ़ावा देती है
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