जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल-370 को हटे तीन हफ्ते से ज्यादा का समय बीत चुका है. लेकिन यहां अभी भी परिस्थितियां पूरी तरह से सामान्य नहीं हुई हैं. हालांकि, कुछ जगहों पर राज्य प्रशासन ने लगाई गई पाबंदियों में ढील दी है. लेकिन राज्य में अभी भी कई जगहें ऐसी हैं, जहां आम लोगों के बाहर निकलने से लेकर मीडिया पर पाबंदी लगी हुई है.
जम्मू-कश्मीर के हालात पर सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि विदेशी मीडिया की भी नजर बनी हुई है. विदेशी मीडिया की जानी-मानी वेबसाइटों पर विरोध प्रदर्शन और आम लोगों को हिरासत में लिए जाने की खबरें सुर्खियों में हैं. हालांकि, सरकार इन मीडिया रिपोर्ट्स को लगातार खारिज कर रही है.
पढ़िए, कश्मीर के हालातों को लेकर विदेशी मीडिया में क्या रिपोर्ट कर रहे हैं.
Al Jazeera- कश्मीर में 500 विरोध प्रदर्शन, तीन हफ्तों में सैकड़ों जख्मी
न्यूज वेबसाइट अल जजीरा ने एक रिपोर्ट के हवाले से खबर पब्लिश की है कि आर्टिकल-370 हटने के बाद से घाटी में अब तक कम से कम 500 विरोध प्रदर्शन की घटनाएं हुई हैं. साथ ही पूरे इलाके में आर्मी दबदबा बनाए हुए है. अल जजीरा ने ये खबर न्यूज एजेंसी एएफपी के हवाले से पब्लिश की है. रिपोर्ट में एक सीनियर गवर्नमेंट ऑफिशियल के हवाले से जानकारी लिखने का दावा किया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 5 अगस्त के बाद से अब तक कम से कम 500 विरोध प्रदर्शन और पत्थरबाजी की घटनाएं हुई हैं. इनमें आधे से ज्यादा घटनाएं श्रीनगर में हुईं. कश्मीर में लोगों के बाहर निकलने पर बैन है. फोन और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. श्रीनगर पुलिस, शहर में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पैलेट गन और आंसू गैस का इस्तेमाल कर रही है.
Washington Post: भारतीय आदेश ने कश्मीर पुलिस को कर दिया मायूस
अमेरिकी न्यूज वेबसाइट वॉशिंगटन पोस्ट ने अपने एक आर्टिकल में लिखा है- बिना हथियार, बिना दंगे के समय सुरक्षा के लिहाज से पहने जाने वाले प्रोटेक्शन और साफ वर्दी के साथ पुलिस अधिकारियों का एक ग्रुप श्रीनगर में एक दुकान के बाहर फुटपाथ पर बैठकर अपनी वफादारी को तौल रहा है. तीस कश्मीरी पुलिस अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर द एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि उन्हें दरकिनार कर दिया गया है.
जम्मू-कश्मीर पुलिस बल को इस महीने की शुरुआत में अचानक राष्ट्रपति के उस आदेश से झटका लगा है, जिसने कश्मीर की संवैधानिक स्वतंत्रता को छीन लिया. एक अधिकारी ने कहा, “दिन खत्म होने पर, हम न तो खुद के होते हैं और न ही हायर अथॉरिटी को हम पर भरोसा होता है.”
वॉशिंगटन पोस्ट की खबर के मुताबिक, कई पुलिसकर्मियों ने ये भी कहा कि उनके डिपार्टमेंट की ओर से जारी किए गए हथियार को मोदी सरकार द्वारा संसद में बिल पेश करने से पहले ही ले लिया गया था क्योंकि अधिकारियों को डर था कि वो विद्रोह कर सकते हैं.
The Guardian- 'मेरे जीवन पर एक तूफान आया': कश्मीरी परिवार सामूहिक गिरफ्तारी से टूट गए
ब्रिटिश न्यूज वेबसाइट द गार्जियन ने अपनी एक रिपोर्ट में कश्मीरी परिवार का दर्द बयान किया है. एक ऐसा परिवार जिसके सदस्य को अचानक हिरासत में ले लिया जाता है. द गार्जियन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, ‘श्रीनगर के एक घर में हथियारबंद कुछ लोग दरवाजे को सिर्फ एक बार खटखटाते हैं और फिर खिड़की से अंदर घुस जाते हैं. वो लोग तनवीर के बारे में पूछते हुए घर की तलाशी लेते हैं.’
हमारे घर में जवान लड़कियां हैं और वो नींद से जगी हुई थीं. मैंनें उन लोगों से पूछा कि वो आखिर इस तरह कैसे किसी के घर के अंदर घुस सकते हैं?मरियम, तनवीर की मां
परिवार ने बताया, तनवीर की उम्र 16 या 17 साल है, उस समय वो घर पर नहीं था. इसलिए अधिकारियों ने तनवीर की जगह उसके चाचा नसीर को हिरासत में ले लिया. लेकिन उन्होंने ये नहीं बताया कि वो तनवीर को क्यों हिरासत में लेना चाहते थे.
द गार्जियन की खबर के मुताबिक, मरियम ने बताया, "उन लोगों ने कहा कि तुम तनवीर को सौंप दो और हम नसीर को छोड़ देंगे."
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘नसीर कथित तौर पर हिरासत में लिए गए उन हजारों लोगों में से एक हैं, जिनपर तीन सप्ताह पहले राज्य के विशेष दर्जे को खत्म करने के बाद एक बड़ी कार्रवाई की गई है.’
श्रीनगर के पुराने शहर में कई परिवारों के अनुसार, इस तरह की गिरफ्तारियां आम हैं. द गार्जियन ने एसोसिएटेड प्रेस और एजेंस फ्रांस-प्रेस के हवाले से बताया, राज्य में 2300 से 4000 लोगों को हिरासत में लिया गया है.
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