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हर तरफ से घिरा गाजा कैसे कर रहा इजरायल से जंग,कौन देश करते हैं मदद

UN ने 2012 में कहा था कि 2020 तक गाजा रहने लायक नहीं होगा

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संयुक्त राष्ट्र (UN) ने साल 2012 में एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि '2020 तक गाजा रहने लायक नहीं होगा.' अब 2021 चल रहा है और गाजा सबसे ज्यादा जनसंख्या घनत्व वाले इलाकों में से एक है. गाजा साल 2007 से इजरायल और मिस्र की नाकाबंदी झेल रहा है. गाजा की अर्थव्यवस्था नाम की है, बेरोजगारी हद से ज्यादा है, बिजली-पानी की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है, पर फिर भी इस इलाके में 20 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. ये कैसे मुमकिन हो रहा है?

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गाजा पर हमास का शासन है. हमास ने 2006 में फिलिस्तीनी चुनाव जीते थे, जिसके बाद संगठन ने 2007 में फतह पार्टी की अध्यक्षता वाली फिलिस्तीनी अथॉरिटी की सेना को गाजा पट्टी से बाहर कर दिया था.

इसके बाद से ही इजरायल और मिस्र ने गाजा की नाकेबंदी कर दी. दोनों देशों ने गाजा पट्टी से सामान और लोगों के आने-जाने पर प्रतिबंध लगा रखा है.

हमास क्या है?

मौजूदा समय में इजरायल और गाजा के बीच युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं. इस दौरान एक बार फिर हमास का नाम उभर कर सामने आया है. हमास का इतिहास और इजरायल के मौजूदा प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का राजनीतिक करियर आपस में संबंधित है.

फिलिस्तीन के कई उग्रवादी इस्लामी समूहों में हमास सबसे बड़ा और प्रभावशाली है. इसका असली नाम इस्लामिक रजिस्टेंस मूवमेंट है और ये 1987 में पहले इंतिफादा (विद्रोह) के बाद एक आंदोलन के रूप में सामने आया था.  

हमास ने फिलिस्तीन की राजनीतिक प्रक्रिया में भी मौजूदगी दर्ज कराई है. इजरायल के साथ इसका मिलिट्री विंग कसम ब्रिगेड तीन युद्ध भी लड़ चुका है.

1993 में इजरायल और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (पीएलओ) के बीच पहला ऑस्लो शांति समझौता हुआ था. फिर 1995 दूसरा समझौता हुआ. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और दुनिया को उम्मीद थी कि समझौतों के बाद इजरायल-फिलीस्तीन का मुद्दा कुछ शांत हो जाएगा.

लेकिन हमास ने 1996 की फरवरी और मार्च में इजरायल में एक के बाद एक सुसाइड बॉम्बिंग की, जिसकी वजह से माना जाता है कि इजरायली लोग शांति समझौतों के खिलाफ हो गए. दक्षिणपंथी नेता बेंजामिन नेतन्याहू भी उसी साल प्रधानमंत्री बने. नेतन्याहू शांति समझौते के सख्त खिलाफ थे. सुसाइड बॉम्बिंग से पहले तक नेतन्याहू की जीत के आसार कम थे.  
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2020 नहीं, सालों से रहने लायक नहीं है गाजा

गाजा को गाजा पट्टी इसलिए ही कहते हैं क्योंकि वो जमीन का एक छोटा टुकड़ा भर है. कुल मिलाकर गाजा पट्टी 40 किमी लंबी और लगभग 8-10 किमी चौड़ी है. लेकिन ये इलाका तेल अवीव या लंदन, शंघाई जैसे शहरों से भी ज्यादा जनसंख्या घनत्व वाला है.

इस छोटे से इलाके की जनसंख्या 20 लाख से ज्यादा है. जनसंख्या घनत्व ज्यादा होने की वजह से इजरायल की टार्गेटेड एयर स्ट्राइक से भी नागरिकों को नुकसान पहुंचाने का खतरा इतना ज्यादा रहता है.

यूनाइटेड नेशंस रिलीफ एंड वर्क एजेंसी (UNRWA) के मुताबिक, गाजा में रहने की परिस्थितियां बेहद खराब हैं. 95 फीसदी आबादी के पास पीने का साफ पानी नहीं है. गाजा में पावर कट आम बात है क्योंकि डिमांड ज्यादा है और सप्लाई कम.

वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर वाले इलाकों में गाजा भी शामिल है. UN का अनुमान है कि लगभग 80 फीसदी आबादी जिंदा रहने और बुनियादी सुविधाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद पर निर्भर है.

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कैसे कायम है गाजा?

हमास को अमेरिका. यूके, यूरोपियन यूनियन समेत कई देश आतंकी संगठन मानते हैं. इसलिए सीधे उसे वित्तीय और मानवीय मदद देने की बजाय ज्यादातर देश UNRWA के जरिए गाजा तक मदद पहुंचाते हैं.

खाद्य, राहत, चिकित्सा संबंधी सामग्री गाजा में पहुंचाने के लिए इजरायल ने एक कॉरिडोर बना रखा है. गाजा तीन तरफ से इजरायल से घिरा हुआ है. एक बहुत छोटी सी सीमा मिस्र से भी मिलती है.

साल 2000 में हुए दूसरे इंतिफादा (विद्रोह) के बाद से गाजा के आयत-निर्यात में भारी कमी आई है. इस सबके बीच गाजा में ‘टनल इकनॉमी’ फल-फूल रही है. गाजा में मिस्र से गैरकानूनी तरीके से सामान लाने के लिए सैंकड़ों-हजारों टनल बनाई गई हैं. ये टनल हमास के नियंत्रण में है.  

हालांकि, अमेरिका इजरायल का साथी है, फिर भी वो लाखों-करोड़ों डॉलर की मदद फिलिस्तीन भेजता है. डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में इस वित्तीय मदद में कमी कर दी गई थी. लेकिन जो बाइडेन प्रशासन 235 मिलियन डॉलर की मदद देने को तैयार है.

सुन्नी मुसलमानों का समूह होने के बावजूद हमास को अरब देश ज्यादा पसंद नहीं करते हैं. सिर्फ कतर ही ऐसा देश है, जो हमास को सभी तरह की मदद देता है. इस साल कतर ने गाजा को दी जाने वाली मदद को 360 मिलियन डॉलर कर दिया था.

कतर सरकार ने अपने बयान में कहा था, "इस मदद से गाजा के कर्मचारियों की तनख्वाह, जरूरतमंद परिवारों को वित्तीय सहायता, पावर स्टेशन चलाने के लिए ईंधन खरीदा जा सकेगा."

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