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यूक्रेन-रूस संकट: अलग ही कहानी कह रहा पुतिन का 'गोदी मीडिया'

रूस में भी कुछ ऐसे मीडिया संस्थान हैं जो युद्ध थोपने के लिए पुतिन की आलोचना कर रहे हैं

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यूक्रेन में रूस की 'सैन्य कार्रवाई' या कहें हमले को दस दिन होने को आए हैं. इन दस दिनों में यूक्रेन के कई सैनिक और नागरिक मारे गए, और लाखों लोग शरणार्थी बनने को मजबूर हो गए. बेवजह संकट पैदा करने के लिए दुनियाभर की मीडिया जहां रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आलोचना कर रही है, तो वहीं रूस की ज्यादातर मीडिया उन्हें एक तरह का हीरो दिखाने की कोशिश कर रहा है.

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रूसी मीडिया द्वारा ये नैरेटिव सेट किया जा रहा है कि पुतिन ने यूक्रेन पर हमला नहीं किया है, बल्कि वो यूक्रेन को 'पश्चिम और नाजियों' से बचा रहे हैं.

The Economist की रिपोर्ट के मुताबिक, 'पुतिन के मुखपत्र' के रूप में पहचाने जाने वाले जर्नलिस्ट Dmitry Kiselev ने Rio Novosti चैनल पर रविवार को अपने एक प्रोग्राम में NATO के खिलाफ धमकी दी और यू्क्रेन को लेकर झूठे दावे भी किए. रिपोर्ट के मुताबिक, Kiselev ने कहा, "यूक्रेन में सड़क पर अत्याचार जीवन का एक तरीका बन गए हैं, न्यूजरूम को तोड़ा जा रहा है, टेलीविजन स्टूडियो में आग लगा दी गई है और टेलीविजन स्टेशन बंद कर दिए गए हैं. अब उम्मीद है कि ये सब मध्यकालीन बुरे सपने अतीत की बात हो जाएंगे."

रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी सेना के नुकसान/फेल्यर के वीडियो को फेक बताया जा रहा है. वहीं, पूर्व में खार्किव जैसे शहरों पर रूसी सेना के हमले को यूक्रेनियन द्वारा किए गए विनाश के रूप में दिखाया जा रहा है. पुतिन की मीडिया मशीनरी चारों तरफ से ये बताने की कोशिश कर रही है कि केवल यही चैनल सच दिखा रहे हैं, बाकी सभी प्रोपगैंडा. सरकारी पब्लिकेशन Channel One ने 27 फरवरी को अपने एक प्रोग्राम में कहा कि इस तरह के झूठ फैलाने वाले दुनिया को अपने हाथों में लेना चाहते हैं और लोगों को डर में फैलाना चाहते हैं.

वहीं, रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंध और यूरोपीय एयरस्पेस से रूसी एयरक्राफ्ट के बैन होने जैसी खबरों को काफी हल्के में दिखाया गया है.

BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के दो सबसे पॉपुलर चैनलों में शामिल, Rossiya 1 और Channel One पर यूक्रेनी सेना पर डोनबास क्षेत्र में युद्ध का आरोप लगाया गया. Rossiya 1 के प्रेजेंटर ने एक प्रोग्राम में कहा, "यूक्रेन में नागरिकों को खतरा रूसी सेनाओं से नहीं, बल्कि "यूक्रेनी राष्ट्रवादियों" से आता है."

Channel One के प्रेजेंटर ने घोषणा की कि रूसी सेना के खिलाफ उकसावे के लिए यूक्रेनी सैनिक "आवासीय घरों पर हमला करने और गोदामों को अमोनिया के साथ उड़ाने की तैयारी कर रहे हैं."

पश्चिमी मीडिया में जहां ये बताया जा रहा है कि रूसी सैनिकों को यूक्रेन से कड़ी टक्कर मिल रही है, तो वहीं रूसी मीडिया चैनल अपनी सेना के मिशन को सफलता के रूप में दिखा रहे हैं. चैनलों पर यूक्रेन में हुए नुकसान की तो खबरें हैं, लेकिन रूसी नुकसान को लेकर कुछ नहीं है.

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पुतिन के खिलाफ उठती आवाज

हालांकि, ऐसा नहीं है कि रूस के सभी मीडिया ऑर्गनाइजेशन पुतिन का प्रोपगैंडा फैलाने में लगे हैं. इंडिपेंडेंट ऑनलाइन न्यूजपेपर The Moscow Times की कवरेज हालांकि बाकी पब्लिकेशन से अलग निष्पक्ष रही. वेबसाइट खोलते ही सबसे पहली हेडलाइन पर लिखा था- Ukraine Invasion.

यहां शब्द invasion के चयन पर गौर करना जरूरी है, क्योंकि ज्यादातर रूसी चैनल इसे आक्रमण नहीं मान रहे हैं. वहीं, दुनियाभर के ज्यादातर मीडिया ऑर्गनाइजेशन भी रूस की सैन्य कार्रवाई के लिए invasion यानी कि आक्रमण/हमला शब्द का इस्तेमाल हीं कर रहे हैं, बल्कि इसे war (युद्ध) या crisis (संकट) बता रहे हैं, लेकिन ये असल में आक्रमण है.

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यहां रूसी और यूक्रेनी सेना किसी चीज के लिए आमने-सामने युद्ध में नहीं लड़ रही हैं, बल्कि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है, और यूक्रेनी सेना अपना बचाव कर रही है.

अपने एक आर्टिकल में The Moscow Times ने लिखा, "रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर पूरी तरह से आक्रमण शुरू कर दिया है, जिससे निवासियों को अपनी जिंदगी बचाने के लिए पलायन करना पड़ा और सैकड़ों लोग मारे गए."

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The Economist की रिपोर्ट के मुताबिक, टीवी चैनल TV Rain, रेडियो स्टेशन Ekho Moskvy, इंडिपेंडेंट अखबार Novaya Gazeta असली कहानी लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. हालांकि, Al Jazeera की रिपोर्ट के मुताबिक, TV Rain का कहना है कि यह अस्थायी रूप से काम रोक रहा है. क्रेमलिन द्वारा रिपोर्टिंग पर प्रतिबंधों के कड़े होने के बीच, चैनल ने इस हफ्ते की शुरुआत में अपनी वेबसाइट के ब्लॉक होने के बाद ये कदम उठाया है.

पुतिन के रूस में ज्यादातर मीडिया प्रमुखता से यही दिखा रहा है कि पुतिन एक देश को आजाद कर रहे हैं और रूसी सेनिक अपने मिशन में कामयाब हो रहे हैं, लेकिन इसी बीच वहां विरोध के स्वर भी हैं और इसका सबसे बड़ा सबूत मॉस्को, सेंट पीटर्सबर्ग समेत अलग-अलग शहरों में इस 'सैन्य कार्रवाई' के खिलाफ होते विरोध प्रदर्शन हैं. अलग-अलग रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन विरोध प्रदर्शनों में अभी तक चार हजार के करीब लोगों को हिरासत में लिया गया है.

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