IMF चीफ क्रिश्टलीना जॉर्जिया का कहना है कि दुनिया अब एक वैश्विक मंदी को ओर कदम बढ़ा चुकी है. यह मंदी 2009 की मंदी से भी भयावह हो सकती है.
जॉर्जिया के मुताबिक, दुनिया इस मंदी से तभी उबर सकती है, जब हर जगह से कोरोना को खत्म कर दिया जाए और बाजारों में लिक्विडिटी की समस्या को सॉल्वेंसी संकट बनने से रोका जाए. क्रिश्टलीना जॉर्जिया ने कहा
हमने 2020 और 2021 के लिए विकास का विश्लेषण किया है. यह साफ हो चुका है कि हम एक मंदी के दौर में प्रवेश कर चुके हैं. यह 2009 की मंदी जितनी या उससे भयावह भी हो सकती है. हमें 2021 में रिकवरी की उम्मीद है.
सामाजिक ताना-बना भी खराब होगा
अमेरिका और यूरोप के कई विकसित देश इस वक्त कोरोनावायरस की बुरी चपेट में हैं. इन विकसित देशों में दुनिया की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा आता है. इन देशों में व्यापार, सेवा और दूसरी आर्थिक गतिविधियों पर कोरोना के चलते काफी बुरा असर पड़ा है. भविष्य में इसके और गंभीर होने की आशंका है.
क्रिश्टलीना ने आगे कहा कि मुख्य चिंता कई देशों के दिवालिया होने और कर्मचारियों में कटौती की है. इससे न केवल रिकवरी में दिक्कत होगी, बल्कि सामाजिक ताना-बाना भी खराब होगा.
क्रिश्टलीना ने यह बातें IMF की गवर्निंग बॉडी के संबोधन में कहीं. इंटरनेशनल मॉनेट्री एंड फानेंशियल कमेटी नाम की यह समिति कोरोना वायरस की चुनौतियों से निपटने के विमर्श पर बात करने के लिए इकट्ठा हुई थी. यह बैठक डिजिटल तरीके से आयोजित की गई थी.
इस वक्त दुनिया भर में कोरोना का कहर जारी है. तकरीबन 6 लाख लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. इनमें से 27,000 से ज्यादा लोगों की मौत भी हो चुकी है. इस वायरस का केंद्र अब चीन से हटकर यूरोप बन गया है. वहां इटली में सबसे ज्यादा तबाही हुई है, जहां 9,000 से भी ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं. इसके अलावा स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और यूके में भी हालात खराब हैं.
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