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इमरान खान को तोशखाना केस में राहत, वहीं दूसरे केस में गिरफ्तारी- जेल में ही रहना होगा

Islamabad की एक ट्रायल कोर्ट ने 5 अगस्त को 70 वर्षीय नेता इमरान को दोषी ठहराया और तीन साल जेल की सजा सुनाई थी.

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पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को एक तरफ राहत तो दूसरी तरफ झटका लगा है.

इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने तोशखाना मामले में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के अध्यक्ष इमरान खान को दी गई सजा को रद्द कर दिया है.

लेकिन उन्हें साथ ही झटका भी लगा है. एक विशेष अदालत ने अटक जेल अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इमरान को एक दूसरे केस- साइफर मामले में "न्यायिक लॉकअप" में रखें और उन्हें 30 अगस्त (कल) को कोर्ट में इस संबंध में पेश करें.

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बता दें कि साइफर मामला एक राजनयिक डाक्यूमेंट्स से संबंधित है जो कथित तौर पर इमरान के पास से गायब हो गया था. इमरान की पार्टी, पीटीआई का आरोप है कि इसमें अमेरिका की ओर से इमरान को सत्ता से बाहर करने की धमकी दी गई थी.

तोशखाना मामले में राहत

पाकिस्तान की जियो न्यूज ने पुष्टि कर बताया कि इस्लामाबाद की एक ट्रायल कोर्ट ने 5 अगस्त को 70 वर्षीय नेता इमरान को दोषी ठहराया और तीन साल जेल की सजा सुनाई थी. लेकिन अब अदालत ने सजा को रद्द कर दिया है.

इस्लामाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आमिर फारूक और जस्टिस तारिक महमूद जहांगीरी की बेंच ने ये फैसला सुनाया है. सोमवार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में अपनी सजा को चुनौती देने वाली इमरान खान की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

क्रिकेटर से नेता बने क्रिकेटर को 2018-2022 के कार्यकाल के दौरान उनके और उनके परिवार द्वारा अर्जित राज्य उपहारों को अवैध रूप से बेचने के आरोप में सजा सुनाई गई थी. बता दें कि उन्हें आगामी चुनाव लड़ने से रोकते हुए पांच साल के लिए राजनीति से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है.

क्या है तोशखाना मामला?

PTI प्रमुख इमरान पर तोशखाना (सरकारी खजाना) से रियायती मूल्य पर प्रधानमंत्री के रूप में प्राप्त एक महंगी ग्रैफ कलाई घड़ी सहित उपहार खरीदने और उन्हें लाभ के लिए बेचने का आरोप है. इमरान खान द्वारा बेचे गए तोशखाना उपहारों पर विवाद के बीच पाकिस्तान सरकार ने पहली बार पूर्व राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और अन्य अधिकारियों द्वारा अपने पास रखे गए विदेशी उपहारों का विवरण सार्वजनिक किया है. इसके मुताबिक कुछ अधिकारियों को छोड़कर अधिकांश ने उपहार मुफ्त में अपने पास रख लिए.

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