India-Maldives: मालदीव ने भारतीय सैनिकों को 15 मार्च तक देश से निकल जाने के लिए कहा था. दोनों देशों ने इस पर निर्णय लेने के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बैठक की. भारत सरकान ने कहा कि वे "पारस्परिक रूप से व्यावहारिक समाधान निकालने को लेकर सहमत हुए हैं". जिसमें सैनिकों की वापसी का कोई उल्लेख नहीं है. दूसरी ओर, मालदीव ने दावा किया कि मई तक भारतीय सैनिकों को अपने देश वापस बुला लिया जाएगा.
भारतीय विदेश मंंत्रालय ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने चल रही विकास सहयोग परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने सहित साझेदारी को बढ़ाने के कदमों की दिशा में द्विपक्षीय सहयोग से संबंधित व्यापक मुद्दों पर अपनी चर्चा जारी रखी."
मंत्रालय ने कहा, "दोनों पक्ष मालदीव के लोगों को मानवीय और मेडवैक सेवाएं (चिकित्सा निकासी) प्रदान करने वाले भारतीय विमानन प्लेटफार्मों के निरंतर संचालन को सक्षम करने के लिए पारस्परिक रूप से व्यावहारिक समाधानों के लेकर भी सहमत हुए."
भारत के पास मालदीव के विशाल समुद्री क्षेत्र में गश्त करने के लिए तीन विमानों को संचालित करने के लिए चिकित्सा कर्मचारियों सहित लगभग 80 कर्मियों की तैनाती है. मालदीव में भारत के तीन एविएशन प्लेटफॉर्म हैं.
मालदीव के विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
मालदीव के विदेश मंत्रालय ने आज एक बयान में कहा...
"दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि मालदीव में मौजूद सैनिक 10 मार्च तक भारत लौटेंगे. इसके बाद दो और प्लेटफॉर्म पर मौजूद भारतीय सैनिक 10 मई तक अपने देश चले जाएंगे.
दिसंबर में दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुइजू के बीच एक बैठक के बाद दोनों पक्षों ने कोर ग्रुप स्थापित करने का निर्णय लिया था.
चीन के पाले में झुका मालदीव
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारतीय सेना को बाहर निकालने का वादा करने के बाद नवंबर में सत्ता में आए.
भारत हिंद महासागर द्वीपसमूह को अपने प्रभाव क्षेत्र में मानता है, लेकिन मालदीव अपने सबसे बड़े बाहरी ऋणदाता चीन के पाले में चला गया है. जनवरी में चीन की अपनी पहली राजकीय यात्रा से लौटने पर, राष्ट्रपति मोइज्जू ने भारत से 15 मार्च तक अपने सैनिक वापस बुलाने को कहा.
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