भारत ने शुक्रवार को म्यांमार पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अररिया फॉर्मूला मीटिंग के दौरान अपना पक्ष सामने रखा. संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि एम्बेस्डर के नागराज नायडू ने कहा कि भारत म्यांमार में हिंसा के इस्तेमाल की निंदा करता है और लोगों की मौतों के लिए गहरी संवेदना व्यक्त करता है.
नायडू ने कहा, ''ज्यादा से ज्यादा संयम का पालन करना जरूरी है. मानवीय सिद्धांतों को बनाए रखना भी उतना ही अहम है.'' उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि म्यांमार के साथ अपनी लंबी जमीनी और समुद्री सीमा और म्यांमार के लोगों के साथ घनिष्ठ मित्रता के इतिहास को देखते हुए, वहां स्थिति का शांतिपूर्ण समाधान सुनिश्चित करने में भारत का काफी कुछ दांव पर है.
उन्होंने कहा, ‘’हमको देश में राजनीतिक अस्थिरता के गंभीर प्रभाव और म्यांमार की सीमाओं से परे इसके फैलाव की आशंका के बारे में पता है.’’
नायडू ने कहा कि कानून के शासन को बरकरार रखा जाना चाहिए और लोकतांत्रिक ट्रांजिशन की प्रक्रिया, जिसे भारत ने लंबे समय से समर्थन दिया है, को आगे लेकर जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहला और सबसे तात्कालिक कदम हिरासत में लिए गए नेताओं की रिहाई का होना चाहिए.
इसके अलावा उन्होंने कहा, ''भारत म्यांमार में लोकतांत्रिक ट्रांजिशन में तेजी लाने और इसका समर्थन करने के उपायों पर जुड़ा रहेगा...इस मामले पर एंगेजमेंट की कमी केवल एक वैक्यूम बनाएगी जो काउंटरप्रोडक्टिव होगी. इसलिए हम म्यांमार के साथ जुड़ने और आगे के रक्तपात के बिना शांति से मुद्दों को हल करने के लिए सभी पहलों का समर्थन करते हैं.''
बता दें कि म्यांमार की सेना ने 1 फरवरी को स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची को हिरासत में लेकर तख्तापलट किया था. तब से इस देश में लोकतांत्रिक सरकार को बहाल करने की मांग के साथ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की हिंसक कार्रवाई में बड़ी संख्या में लोगों की जान गई हैं.
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