भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव (Denis Alipov) ने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल किए जाने की वकालत की है. 10 फरवरी को उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और उसके तहत आने वाली एजेंसियों में तत्काल सुधार का आह्वान भी किया है.
रूसी राजदूत बोले, "हमारा विचार है कि सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में भारत संतुलन को बढ़ावा देने के साथ-साथ विश्व बहुमतों, मुख्य रूप से ग्लोबल साउथ के देशों के हितों पर केंद्रित एजेंडे में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है."
संयुक्त राष्ट्र में कथित ध्रुवीकरण पर राजदूत ने कहा कि यह सुरक्षा परिषद के विस्तार को काफी जटिल बनाता है. पश्चिमी देशों को पहले से ही विश्व व्यवस्था में प्रतिनिधित्व मिला हुआ है.
'भारत ने खुद को साबित किया है'
रूसी समाचार एजेंसी RT न्यूज को दिए एक इंटरव्यू रूसी राजदूत ने कहा, "हमने नई दिल्ली की उम्मीदवारी के लिए अपने समर्थन का बार-बार संकेत दिया है. हमारे भारतीय भागीदारों ने 2021-2022 में UNSC में अपनी गैर-स्थायी सदस्यता के दौरान खुद को योग्य साबित किया है और दो बार सफलतापूर्वक परिषद का नेतृत्व किया है. उनकी G20 अध्यक्षता बहुपक्षीय कूटनीति में उनके उच्च व्यावसायिकता और बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के बीच आम सहमति बनाना भी बहुत स्पष्ट था."
पश्चिमी देशों ने रूस और भारत की बातचीत को कमजोर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.डेनिस अलीपोव, भारत में रूस के राजदूत
भारत और रूस के बीच लंबे समय से मजबूत रणनीतिक साझेदारी है. रूसी समाचार एजेंसी के अनुसार दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बेहद अहम है. रूस भारत की सैन्य उपकरणों की जरूरतों को पूरा करने वाला एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है.
रूसी राजदूत बोले,
"हमारा व्यापार और आर्थिक सहयोग अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है. रूस भारत के चार प्रमुख व्यापारिक भागीदारों में से एक है. हम हाइड्रोकार्बन की आपूर्ति में अग्रणी स्थान बनाए हुए हैं जो एक तिहाई से अधिक भारतीय आयात मुहैया कराते हैं."
पिछले 18 महीनों में भारत रूसी तेल के सबसे बड़े आयातकों में से एक बनकर उभरा है. जबकि पश्चिमी देशों ने रूस से व्यापार करने वालों देशों को हिदायत दी थी कि उससे किसी तरह का व्यापारिक संबंध न रखा जाए.
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