भारत और कतर समेत कई देशों ने कहा है कि अफगानिस्तान में सैन्य ताकत से बनाई गई सरकार को मान्यता नहीं दी जाएगी. इन देशों ने दोहा में हुई एक कॉन्फ्रेंस में तुरंत और समग्र सीजफायर की मांग उठाई. वहीं, तालिबान के प्रवक्ता ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की सराहना की और साथ ही अफगानिस्तान में सेना भेजने के खिलाफ चेतावनी भी दी.
अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते क्षेत्रीय कब्जे के बीच कतर के दोहा में एक कॉन्फ्रेंस हुई थी. कतर के मुताबिक, चीन और पाकिस्तान समेत कई देशों ने 10 अगस्त को कहा कि हिंसक तरीके से देश पर कब्जा किए जाने को मान्यता नहीं दी जाएगी.
ताकत के बल पर अफगानिस्तान में सरकार बनाने के खिलाफ रहने वाले देशों में भारत, चीन, पाकिस्तान के अलावा जर्मनी, कतर, तुर्की और कई देश भी हैं. कतर के विदेश मंत्रालय ने 13 अगस्त को एक बयान में कहा कि कॉन्फ्रेंस में शामिल होने वाले देशों का मत है कि अफगान शांति प्रक्रिया में तेजी आनी चाहिए.
अफगान शांति प्रक्रिया को बचाने की कोशिश
तालिबान के तेज होते सैन्य अभियान के बीच दोहा में अफगान शांति प्रक्रिया को जारी रखने की कोशिश हो रही है. कतर ने 10 अगस्त को अमेरिका, चीन, उज्बेकिस्तान, पाकिस्तान, यूके, यूएन और यूरोपियन यूनियन के साथ बैठक की थी.
इसके बाद 12 अगस्त को भारत, जर्मनी, नॉर्वे, ताजिकिस्तान, तुर्की और तुर्कमेनिस्तान के प्रतिनिधियों की बैठक हुई थी. कतर के मुताबिक, सभी प्रतिनिधियों ने दोनों बैठकों में अफगान सरकार और तालिबान से किसी राजनीतिक समझौते पर पहुंचने और जल्दी सीजफायर करने की मांग की.
भारत के लिए सेना भेजना अच्छा नहीं होगा: तालिबान प्रवक्ता
तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद सुहैल शाहीन ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में अफगानिस्तान में भारत के निवेश की सराहना की. सुहैल ने कहा, "हम अफगान लोगों के लिए किए गए हर काम की सराहना करते हैं जैसे बांध, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट और जो भी विकास, पुनर्निर्माण और आर्थिक समृद्धि के लिए किया गया है."
सुहैल शाहीन ने तालिबान के पाकिस्तान-आधारित आतंकी समूहों के साथ गहरे संबंधों पर कहा कि 'ये निराधार आरोप हैं और जमीनी हकीकत ये नहीं है.'
हालांकि, तालिबान के प्रवक्ता ने भारत को अफगानिस्तान में सेना भेजने के खिलाफ चेतावनी दी. सुहैल ने कहा, "अगर भारत सैन्य तरीके से अफगानिस्तान आता है और वहां उसकी मौजूदगी होगी तो ये उसके लिए अच्छा नहीं होगा."
"भारत ने अफगानिस्तान में दूसरे देशों की सैन्य मौजूदगी का भविष्य देखा है, तो ये भारत के लिए खुली किताब है."सुहैल शाहीन, तालिबान के प्रवक्ता
सुहैल शाहीन ने भारतीय और तालिबान प्रतिनिधिमंडल के मिलने की खबरों से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि 'मैं इसकी पुष्टि नहीं कर सकता. मेरी जानकारी के अनुसार बैठक नहीं हुई है.'
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