अमेरिकी चुनावों को लेकर भारत में भी जबरदस्त दिलचस्पी ली जा रही है. वहां चुनावों की नब्ज पकड़ने के लिए क्विंट के एडिटोरियल डॉयरेक्टर संजय पुगलिया ने ओबामा कैंपेन से जुड़े रहे पोल एक्सपर्ट एंड्रयू क्लास्टर और अमेरिका में चुनाव कवर कर रहे भारतीय पत्रकार अविनाश काल्ला से बात की.
कई मुद्दों पर हुई इस बातचीत में एक मुद्दा भारतीय-अमेरिकी वोटर्स के रुझानों का भी रहा. अलग-अलग राज्यों की यात्रा कर चुके अविनाश काल्ला का कहना है कि भारतीय-अमेरिकी वोटर्स संख्या की दृष्टि से चुनावी नतीजों पर बड़े प्रभाव डालने की स्थिति में नहीं हैं.
हालांकि हाल के सालों में भारतीय मूल के लोगों की भागादारी बढ़ी है. काल्ला का मानना है कि ज्यादातर वोटर्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ जाएंगे.
अविनाश काल्ला ने बताया कि पिछले चुनावों में 16 फीसदी भारतीय-अमेरिकी मतदाताओं ने ट्रंप को वोट दिया था. हाउडी मोदी कार्यक्रम होने के चलते अब यह संख्या 25 से 30 फीसदी हो सकती है. लेकिन ज्यादातर वोटर्स डेमोक्रेटिका पार्टी के साथ ही जाएंगे. पारंपरिक तौर पर भी भारतीय डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन करते रहे हैं.
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भारत में प्रचारित है मिथक
संख्या के हिसाब से देखें, तो यह भारत में रहे लोगों में मिथक प्रचारित है कि भारतीय-अमेरिकी मतदाता यहां अहम हैं. अगर हम सीनेट और कांग्रेस की सीटों की संख्या को मिला दें तो 538 सीटों में सिर्फ 5 भारतीय ही काबिज हैं.
अविनाश काल्ला ने आगे कहा, "हालांकि भारतीय लोग यहां अमीर इलाकों में रहते हैं. टेक में काम करते हैं. चुनावी प्रचार में भी अहम पदों पर हैं. जो बाइडेन के प्रचार में एक भारतीय कंपनी भी जुड़ी हुई है."
काल्ला के मुताबिक अमेरिका में रहने वाले भारतीय-अमेरिकी खुद को अमेरिकी ही मानते हैं. वोट देने में उनकी प्राथमिकता रोजगार जैसे खुद से जुड़े मुद्दे ही हैं.
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