ईरान (Iran Protest) में इन-दिनों हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. ईरानी महिलाएं अपने हिजाब जला रही हैं. बाल काट रही हैं. हिजाब कानून का विरोध कर रही है. वजह है एक महिला की पुलिस कस्टडी में मौत. बताया जा रहा है कि महसा अमिनी(Mahsa Amini Death) नाम की एक महिला को ईरान की मोरालिटी पुलिस ने इसलिए गिरफ्तार किया था क्योंकि उन्होंने ठीक से नकाब या हेडस्कार्फ नहीं पहना था. जो ईरान में महिलाओं के लिए तय ड्रेस कोड के खिलाफ है.
आरोप है कि पुलिस ने उन्हें टार्चर किया जिसके कारण 16 सितंबर को उनकी मौत हो गई. हालांकि पुलिस ने इन आरोपों से इंकार किया है. पुलिस के मुताबिक उन्होंने महसा को मेट्रो स्टेशन से गिरफ्तार किया था. जहां से वे उन्हें पुलिस स्टेशन लेकर गए और तबियत बिगड़ी तो अस्पताल ले गए. जहां उनकी मौत हो गई. महसा की मौत के बाद उनके समर्थन में राजधानी तेहरान में प्रदर्शन हो रहे हैं.
![Iran Hijab Row: आरोप है कि ईरान में एक महिला को पुलिस ने हिजाब न पहनने के कारण इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई.](https://images.thequint.com/quint-hindi%2F2022-09%2F08e3c885-2164-4469-a2f0-513f79efdcd5%2Fprotester_holds_a_portrait_of_mahsa_amini_during_a_news_photo_1663844952.jpg?auto=format%2Ccompress&fmt=webp&width=720)
ईरान की राजधानी तेहरान में एक प्रदर्शन
महसा की मौत कैसे हुई इसको लेकर पुलिस और महसा के परिवार के अलग-अलग वर्जन हैं. लेकिन असल मुद्दा यह नहीं है. असली सवाल ये है कि कोई भी सरकार या पुलिस ये क्यों तय करे कि कोई महिला या नागरिक क्या पहनेगा या खाएगा या पीएगा? मोरल पुलिसिंग की सबसे ज्यादा शिकार बनती हैं महिलाएं और इसीलिए आज भी महिलाएं अपने मूलभूत अधिकारों को नहीं पा सकी हैं.
महिलाओं के उत्पीड़न का इतिहास उतना ही पुराना है जितना मानव सभ्यता या यूं कहें मर्दों की असभ्यता का इतिहास. महिलाओं का ये संघर्ष खत्म ही नहीं होता. छोटी-छोटी बातों के लिए महिलाओं ने लंबा संघर्ष किया है.
ईरान में भी लगातार ऐसे मामले होते रहें हैं जब महिलाओं को छोटी-छोटी बातों के लिए जेल भेजा गया. एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल मोरालिटी पुलिस 16000 महिलाओं पर केस दर्ज करती है.
मोरालिटी पुलिस क्या है?
ये ईरान सरकार की बनाई हुई एक धार्मिक पुलिस है. दरअसल 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान में हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया था. ये पुलिस सार्वजनिक जगहों पर मौजूद रहती है और देखती है क्या लोग इस्लामी कानूनों का पालन कर रहे हैं. देखती है कि किस महिला ने ठीक से हिजाब पहना है, किस ने नहीं?
महिलाओं के लिए तय ड्रेस कोड के मुताबिक हिजाब पहनना अनिवार्य है. और टाइट ट्राउजर्स, रिप्ड जीन्स, चमकीले रंग के कपड़े और ऐसे कपड़े जिनमें घुटने दिखते हों, पहनना प्रतिबंधित है. मोरालिटी पुलिस को अगर लगे कि इस महिला के कपड़े ठीक नहीं है तो वो उसे गिरफ्तार कर लेती है.
ईरान के महिला विरोधी कानून
सिर्फ ड्रेस कोड नहीं बल्कि ईरान में ऐसे और भी कानून हैं जो केवल महिलाओं के लिए हैं-
ईरान में महिलाएं अपने पति की लिखित अनुमति के बगैर देश से बाहर जाने के लिए पासपोर्ट नहीं बनवा सकतीं.
2015 में ईरान की फुटबॉल स्टार निलोफर अदनान एक अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट में शामिल नहीं हो सकी थीं क्योंकि उनके पति ने उन्हें लिखित अनुमति नहीं दी थी. कुछ साल पहले तक महिलाएं स्टेडियम में नहीं जा सकती थीं.
ईरान में महिलाओं को अपने पति से तलाक लेने के लिए कोर्ट जाना होता है जबकि मर्द केवल बोलकर तलाक ले सकते हैं.
ईरान की यूनिवर्सिटीज में लड़कियां इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी से जुड़े सब्जेक्ट नहीं ले सकतीं.
चूंकि मर्दों की असभ्यता का इतिहास काफी पुराना है. आपको कुछ और भी उदहारण बताते हैं जब सरकारों ने ऐसे कानून बनाए जो महिलाओं की आजादी को सिमित करते थे.
कुछ महिला विरोधी कानून जो अब खत्म हो चुके
1908 में न्यू यॉर्क में केटी मुल्कह नाम की महिला को इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक स्थान पर सिगरेट पी थी. ये मेयर के बनाए हुए सलिवन अध्यादेश के खिलाफ था. न्यू यॉर्क पुलिस ने उनपर जुर्माना लगाया और जुर्माना न देने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. नतीजतन कुछ दिन उन्हें जेल में गुजारने पड़े.
1990 में सऊदी अरब के शहर रियाद में कई महिलाएं सड़क पर ड्राइविंग करने के लिए गिरफ्तार की गईं. बतौर सजा इनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए.
साल 2011 में भी सऊदी की पुलिस ने शैमा जस्तानिया नाम की महिला को जद्दा शहर में ड्राइविंग करने के लिए गिरफ्तार किया था. क्योंकि 2018 से पहले सऊदी अरब में महिलाओं का ड्राइविंग करना एक अपराध था. उस समय शैमा को 10 कोड़ों की सजा सुनाई गई थी, जिसे बाद में पलट दिया गया.
ईरान में महिलाएं हिजाब का विरोध कर रही हैं तो भारत में हिजाब को जबरन हटाने का विरोध. कर्नाटक सरकार ने स्कूलों में हिजाब पहनकर आने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है और इस वजह से कई मुस्लिम लड़कियां अपने शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रही हैं.
इस मामले पर अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. लड़कियों का कहना है कि वो क्या पहनेंगी या नहीं, ये उनका चुनाव होना चाहिए.
महिलाओं को जीन्स पहनने के लिए, छोटे बाल रखने के लिए, टी-शर्ट पहनने के लिए या मोटरसाइकिल चलाने के लिए दंडित किया गया, उन्हें सजा दी गई. लेकिन जो कुछ उदहारण हमने आपको बताए हैं ये वो मिसालें हैं जब खुद आधुनिक सरकारों ने ऐसे कानून बनाए जो महिलाओं से उनकी आजादी छीनते हैं.
सिगरेट के खिलाफ न्यू यॉर्क का सलिवन कानून, सिर्फ महिलाओं के लिए था. सऊदी में ड्राइविंग नहीं करने का कानून सिर्फ महिलाओं के लिए था. आज ईरान में ड्रेस कोड सिर्फ महिलाओं के लिए है.
तो सवाल आज भी यही है कि कब सरकारें ऐसी बातों को लेकर कानून बनाना बंद करेंगी जो महिलाओं को पाबंद करते हैं?
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