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इजरायल-ईरान तनाव चरम पर: नई जंग की दस्तक या गाजा युद्ध ही मिडिल ईस्ट में पैर पसार रहा?

Israel-Iran Tension: इजरायल ने भी अपनी सेना को हाई अलर्ट पर रखा है. सेना की कई यूनिट्स की छुट्टियों को रद्द कर दिया गया है.

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भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने अपने नागरिकों को सलाह दी है कि वे अगली सूचना तक इजरायल और ईरान की यात्रा न करें. विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है, "जो नागरिक पहले से ईरान या इजरायल में रह रहे हैं उनसे गुजारिश है कि वे भारतीय दूतावासों से संपर्क करें और अपना रजिस्ट्रेशन कराएं."

बता दें भारतीय विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों में रहने वाले भारतीयों को सलाह दी है कि वे अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें और घर से बाहर कम से कम निकलें.

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भारत सरकार के अलावा अमेरिका ने भी इजरायल और ईरान की यात्रा पर पाबंदी लगा रखी है. अमेरिका ने अपने दूतावासीय कर्मचारियों को भी इजरायल जाने से रोक दिया है.

लेकिन ये स्थिति क्यों आ गयी और क्यों भारत और अमेरिका ने अपने नागरिकों को सचेत किया है ?

इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) ने सोमवार, 1 अप्रैल को सीरिया में ईरानी दूतावास पर हमला किया था. इसमें कई शीर्ष ईरानी कमांडर और कई अन्य इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के सदस्य मारे गए. कुल मिलाकर हमले में तीन जनरल और कुद्स फोर्स के चार अन्य अधिकारी मारे गए. 

इसके बाद ईरान ने कहा था कि वह इसका बदला लेगा. टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने संकेत दिया है कि अगले 24 से 48 घंटों में ईरान की ओर से इजरायल पर हमला किया जाएगा.

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई ने बुधवार, 3 अप्रैल को कहा कि ब्रिगेडियर जनरलों पर इजरायली हमला उसके (इजरायल) हताशा को जाहिर करता है और ऐसी कोशिशों से वह हार से बच नहीं सकता है.

ईरान ने कहा था कि मरने वालों में कुद्स फोर्स के दो ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा जाहेदी और मोहम्मद हादी हाजी रहीमी शामिल हैं.

गुरुवार, 4 अप्रैल को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इजरायली सेना ऐसे किसी भी संभावित हमले के जवाब देने के लिए तैयार हैं जिससे इजरायलियों को नुकसान पहुंचने की आशंका है.

मध्य-पूर्व में एक और जंग?

सीरिया में इजरायली हमले में मारे जाने वाले मोहम्मद रजा जाहेदी और मोहम्मद हादी हाजी रहीमी सीरिया लेबनान में ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड का संचालन करता था. ये दोनों हिज्बुल्लाह के साथ ईरान के तालमेल के लिए जिम्मेदार भी थे. यानी दोनों ही ईरानी सेना के वरिष्ठ कमांडर थे.

ऐसे में ईरान की ओर से हमले की आशंका के बीच क्या मध्य पूर्व में एक और जंग छिड़ सकता है, क्या ईरान ने आमने-सामने की जंग का मन बना लिया है ?

ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स के कमांडर इन चीफ जनरल हुसैन सलामी दमिश्क में मारे गए कमांडरों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए. वहां उन्होंने कहा, "हमारे जांबाज लोग यहूदी शासन को मुंहतोड़ जवाब देंगे. हम चेतावनी देते हैं कि हमारी व्यवस्था के खिलाफ किसी भी दुश्मन की ओर से किसी भी हमले को लेकर हम चुप नहीं बैठेंगे."

विदेश मामलों के जानकार और थिंक टैंक इमेजिन इंडिया के प्रेसिडेंट रॉबिंद्र सचदेव कहते हैं, "इसे एक और जंग नहीं कह सकते हैं. इसे हम कह सकते हैं कि गाजा का युद्ध पूरे मध्य-पूर्व में पैर पसार रहा है. ईरान ने कहा है कि वह इजरायल को जवाब देगा, अब इससे ये अंदाजा लगाना मुश्किल है कि वह किस तरह से जवाब देगा. क्या वह आमने-सामने का युद्ध करेगा या फिर मिसाइल से हमले करेगा, ये अभी कहा नहीं जा सकता है."

रॉबिंद्र सचदेव कहते हैं, "अगर ईरान इजरायल पर हवाई हमले करने की सोच रहा है तो उसके लिए मुश्किल है क्योंकि इजरायल की वायु सेना ईरान के मुकाबले में ज्यादा शक्तिशाली है. अगर ऐसा होता है तो ईरान को इससे काफी नुकसान हो सकता है."

"जंग की स्थिति में ईरान अपने मिलिशिया ग्रुप को साथ लेकर इजरायल पर हमले करवा सकता है. सीरिया, इराक और लेबनान में मिलिशिया ग्रुप का उकसा कर ईरान इजरायल पर हमले करवा सकता है."
रॉबिंद्र सचदेव, विदेश मामलों के जानकार और थिंक टैंक इमेजिन इंडिया के प्रेसिडेंट

क्या कदम उठा सकता है ईरान?

इजरायल बीते छह महीनों से हमास के साथ जंग लड़ रहा है. हमास को ईरान का समर्थन है. मध्य पूर्व में कई हथियारबंद ग्रुप हैं जिनका ईरान से संबंध है. जैसे गाजा में हमास, लेबनान में हिज्बुल्लाह और यमन में हूती विद्रोही हैं. इसके अलावा सीरिया, ईराक और बहरीन में कई संगठन हैं.

ये सारे संगठन खुद को 'एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस' (प्रतिरोध की धुरी) बताते हैं. सारे देश में अलग-अलग एक्सिस हैं जो आपस में एक दूसरे का समर्थन करते हैं. इजरायल के साथ हमास के जंग में ये संगठन इजरायल के खिलाफ अलग-अलग मोर्चों से लड़ रहे हैं.

रॉबिंद्र सचदेव कहते हैं, "ईरान के उकसाने के बावजूद ये एक्सिस इजरायल पर बहुत हावी नहीं हो सकते हैं. उनकी क्षमता बस इतनी भर है कि वह अपने देश के भीतर अमेरिकी ठिकानों पर हमले कर सकते हैं. अगर अमेरिका पर सीधे तौर पर हमला होता है तो इसमें ईरान और अमेरिका आमने-सामने आ जाएंगे."

रॉबिंद्र सचदेव कहते हैं,

"वैसे तो ईरान इजरायल के साथ तनाव को बहुत ज्यादा बढ़ाना नहीं चाहता है लेकिन इतने बड़े हमले के बाद उसे भी जवाब देना पड़ रहा है. ईरान पर भी दवाब है कि वह इजरायली हमले का जवाब दे. इसलिए मुमकिन है कि ईरान हिज्बुल्लाह को हमले के लिए उकसाए क्योंकि लेबनान का इलाका इजरायल से लगता है. इसलिए आंशका है कि हिज्बुल्लाह इजरायल पर कोई बड़ा हमला कर सकता है."
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अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया है अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि अगले 24 से 48 घंटों के भीतर हो सकती है और इजरायल दक्षिणी या उत्तरी इजरायल पर संभावित हमले की तैयारी कर रहा है.

रॉबिंद्र सचदेव कहते हैं, "ईरान ने कुटनीतिक माध्यम से अमेरिका से कहा है कि वह इजरायल के साथ उपजे तनाव के बीच अमेरिका के हितों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता है. इसलिए ईरान ने अमेरिका से कहा है कि वह भी कोई कार्रवाई न करें."

क्या इजरायल जंग को लंबा खींच रहा है?

अक्टूबर 2023 में गाजा में शुरू हुए जंग को लेकर एक सवाल ये भी उठ रहा है कि इजरायल इस जंग को रोक क्यों नहीं रहा और खुद पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भी सवालों के दायरे में हैं. बीते दिनों इजरायल की सड़कों पर नेतन्याहू के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुए.

विदेश मामलों के जानकार रॉबिंद्र सचदेव मानते हैं कि बेंजामिन नेतन्याहू अपनी राजनीतिक साख बचाने के लिए इस जंग को लंबा खींच रहे हैं और मध्य पूर्व में जंग की उठती लपटों को शांत करने के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा रहे हैं.

सीरिया में ईरानी कमांडर पर इजरायली सेना के हमले को लेकर रॉबिंद्र सचदेव कहते हैं, "इजरायल गाजा की जंग के दलदल में फंस चुका है. 6 महीने हो चुके हैं लेकिन इजरायल अपने लक्ष्य को पा नहीं सका है. इजरायल का लक्ष्य हमास का सैन्य और राजनीतिक खात्मा है. लेकिन दोनों पूरे नहीं हो सके हैं. इसके अलावा हमास के द्वारा अगवा किए गए सभी इजरायली लोगों को छुड़ाया भी नहीं जा सका है."

रॉबिंद्र सचदेव कहते हैं, "नेतन्याहू पर बाहरी दवाब के साथ देश के भीतर भी दवाब है. इसलिए हो सकता है कि वह इस गाजा में अपनी नाकामयाबी पर पर्दा डालने के लिए ईरान को जंग में घसीट सकते हैं. इससे लोगों का ध्यान ईरान पर चला जाएगा. इसलिए नेतन्याहू इसे अपनी राजनीतिक साख को बचाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं."

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