Israel-Hamas War: "हमारे दो दोस्तों की गोली मारकर हत्या करने के बाद, हमास के उग्रवादियों ने उस बंकर के अंदर दो बम फेंक दिए, जिसमें हम शरण लिए हुए थे."
यह बात 17 वर्षीय नेपाली छात्र नितिन भंडारी ने बताई, जो एक महीने से अधिक समय से इजरायल में था.
शनिवार, 7 अक्टूबर को चरमपंथी समूह हमास ने इजरायल पर कथित तौर पर 5,000 रॉकेट लॉन्च किए. इसके बाद पूरे दक्षिणी इजरायल में सायरन बज उठे. ऐसे में भंडारी ने नेपाल के अन्य छात्रों के साथ दक्षिणी इजरायल में स्थित अलुमिम किबुत्ज (फार्म) के पास एक बंकर में शरण ली थी.
नेपाल के टीकापुर में सुदुरपश्चिम यूनिवर्सिटी के कम से कम 49 एग्रीकल्चर अंडरग्रेजुएट छात्र इजरायल सरकार की पहल- 'सीखो और कमाओ' कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 12 सितंबर को इजरायल गए थे.
उनमें से कम से कम 17 संघर्षग्रस्त गाजा पट्टी के पास अलुमिम में रह रहे थे और काम कर रहे थे.
लगभग एक महीने बाद, 13 अक्टूबर को, इनमें से कई छात्र एक विशेष रेस्क्यू फ्लाइट से काठमांडू पहुंचे. इजरायल-हमास युद्ध में फंसे नेपाली छात्रों ने बताया कि कैसे हमास के उग्रवादियों ने उन पर हमला किया और कैसे उनके दोस्तों को गोली मार दी गई.
'हम नेपाली हैं, हम नेपाली हैं'
जब हमास के उग्रवादियों ने उन पर हमला किया तब अलुमिम में 17 छात्र एक बंकर के अंदर मौजूद थे.
भंडारी ने कहा, "बंकर से बाहर निकलते ही उग्रवादियों ने दो छात्रों की गोली मारकर हत्या कर दी. उन्होंने गोली चलने से पहले अपने हाथ उठा दिए थे और हमने सुना कि वे चीख रहे थे 'हम नेपाली हैं, हम नेपाली हैं!"
भंडारी ने आगे बताया कि उनमें से दो की गोली मारकर हत्या करने के बाद उग्रवादियों ने बंकर के अंदर दो ग्रेनेड फेंके.
"उस समय, बिपिन जोशी - एक अन्य छात्र, जो अब लापता है - ने एक ग्रेनेड को उठाया और बंकर से बाहर फेंक दिया. लेकिन फिर उन्होंने एक और ग्रेनेड फेंका, जिससे बंकर के फ्रंट पर मौजूद हमारे कई दोस्त घायल हो गए."भंडारी
नेपाल के विदेश मंत्रालय के अनुसार, हमले में 10 नेपाली छात्र मारे गए. दूसरी तरफ, 20 वर्षीय बिपिन जोशी की खोज के लिए "तलाशी अभियान" जारी है. नेपाल के विदेश मंत्री एनपी सऊद ने शुक्रवार, 13 अक्टूबर को स्थानीय मीडिया को यह जानकारी दी.
भंडारी ने आगे कहा कि जो लोग उस समय बंकर में थे वे न तो चल पा रहे थे और न ही बोल पा रहे थे. हालांकि, जो लोग पीछे बैठे थे और सुरक्षित थे, उन्होंने एम्बुलेंस को बुलाया.
भंडारी ने कहा, "कुछ देर बाद इजरायली पुलिस आई और घायलों को अस्पताल ले गई."
एक अन्य छात्रा बिबुशा अधिकारी ने कहा कि उनके कई दोस्त बच गए क्योंकि बिपिन जोशी ने बंकर से हैंड ग्रेनेड फेंक दिया था.
"मैं सोच भी नहीं सकता कि अगर हमारे दोस्त बिपिन ने ग्रेनेड को बंकर से बाहर नहीं फेंका होता तो 17 लोगों का क्या होता."बिबुशा
बिबुशा के अनुसार, बिपिन जोशी को हमास के उग्रवादियों ने बंधक बना लिया था और छात्रों को अभी तक वो कहां है, इसके बारे में पता नहीं है. यहां तक कि बिपिन की बहन पुष्पा को भी नेपाल के कैलाली जिले के रहने वाले एक अन्य नेपाली छात्र से एक मैसेज मिला था, जिसमें कहा गया था कि हमले के दौरान बिपिन का अपहरण कर लिया गया था.
जोशी को "असली हीरो" बताते हुए बिबुशा ने नेपाली सरकार से उसे बचाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि अब हर छात्र की सरकार से यही गुहार है कि 'बिपिन जोशी को बचा लो'.
'अपने दोस्तों को खो दिया, हमारे लिए जीवन भर का सदमा'
भंडारी ने क्विंट से कहा, "किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि इस तरह का अत्याचारी हमला होगा". उन्होंने कहा कि छात्र इजरायल में एक महीने रहने तक यह समझ ही रहे कि कि वहां कैसे सुरक्षित रहना है.
उन्होंने कहा कि जब हमास के उग्रवादियों ने उस बंकर पर हमला किया, जहां छात्र शरण लिए हुए थे, तो हर कोई सदमे और भ्रम की स्थिति में था.
भंडारी ने कहा, "मैंने न तो ध्यान दिया और न ही दूसरों की तरफ देखा. अगले 30 मिनट तक बंकर पूरी तरह शांत हो गया."
भंडारी ने आरोप लगाया कि उग्रवादी बाद में "उनके कमरों" में घुस गए और "वहां कुछ लोगों को गोली मार दी गई."भंडारी के अनुसार उनका एक दोस्त बंकर तक नहीं पहुंच सका और अपने अपार्टमेंट की इमारत में गैस सिलेंडर के पीछे छिपा हुआ था. उसने उग्रवादियों की गोलीबारी देखी.
भंडारी ने कहा, "बम आया, मिसाइल आई, हम बच गए और सब कुछ ठीक है. लेकिन हमने अपने दोस्तों को खो दिया, यह हमारे लिए जीवन भर का सदमा होगा."
नेपाल के चितवन में रामपुर कैंपस की एक छात्रा शोभा पासवान भी एक महीने पहले इजरायल गई थी. उसने कहा कि वह अभी भी "स्तब्ध" हो जाती है जब उसे याद आता है कि बंकर में वे चार दिन कैसे बीते.
क्विंट को पता चला कि शोभा पासवान उस बंकर के बगल वाले में थी जहां भंडारी और अन्य ने शरण ले रखी थी.
शोभा पासवान ने कहा, "हमने पहले 24 घंटे बंकर के अंदर बैठे बिताए, और अगले 24 घंटों में ही हम केवल शौचालय जा सके. उसमें भी, गोलाबारी दोबारा शुरू होने से पहले हमें 1-2 मिनट के भीतर वापस अंदर भागना पड़ा."
'हमारे दोस्तों के मारे जाने के बाद, हमने नहीं सोचा था कि हम बचेंगे'
चौबीस वर्षीय शोभा पासवान भी 'सीखो और कमाओ' प्रोग्राम के तहत इजरायल गए थी. उसने कहा कि इजरायल में मिसाइलों के हमले के बाद सायरन बजना "सामान्य" था लेकिन इस बार यह बहुत अलग था. उन्होंने कहा कि वह आसमान में केवल धुएं का काला गुबार देख सकती हैं.
शोभा पासवान ने कहा, "मैं डर गया थी क्योंकि सायरन सामान्य से अधिक देर तक बजता रहा." उसने कहा कि ड्रिल की तरह ही तुरंत सुरक्षा के लिए सबसे पास के बंकर में चली गई.
हालांकि, जब उनके बॉस ने आकर उसे इजरायल और हमास के बीच बढ़े हुए "युद्ध" की सूचना दी, तो उसे मुख्य सड़क से दूर किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया.
बंकर में बैठे हुए शोभा पासवान समाचार सुन रही थी. तभी उसे पता चला कि नेपाल ने 10 छात्रों की मौत की पुष्टि की है.
"जब हमें बताया गया कि हमने अपने दोस्तों को खो दिया है, तो हम मानसिक रूप से बहुत कमजोर हो गए. हम तनाव में थे. हमें लगा कि शायद हम भी नहीं बचेंगे."शोभा पासवान
'पैराशूट से आए उग्रवादी, जमीन पर PUBG जैसे हालात'
रामपुर कैंपस के एक अन्य छात्र रिजवान शाही ने कहा कि उन्हें हवाई हमलों से ज्यादा डर उग्रवादियों द्वारा हथियार लहराने और आसमान से गिराने का है.
उसने कहा, "आपने PUBG गेम देखा होगा! हमले जमीन पर भी होते हैं और पैराशूट से आने वालों से भी होते हैं; ठीक यही बात इजरायल में भी हुई."
जब हमास के उग्रवादी कथित तौर पर सीमा पर लगे कंटीले तारों की बाड़ को तोड़कर इजरायली भूमि में प्रवेश कर रहे थे, तो इजरायल की सैन्य शक्ति सीमा से आने वालों को रोकने पर केंद्रित थी.
रिजवान शाही ने कहा, "उस समय, उग्रवादी मोबाइल गेम की तरह पैराशूट से उतरे और एक कमरे से दूसरे कमरे पर हमला किया. उन्होंने गांव को निशाना बनाया और अधिकांश एग्रीकल्चर फार्मों को नष्ट कर दिया."
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