इजरायल और हमास (Israel-Hamas War) के बीच पिछले कई दिनों से युद्ध जारी है. 7 अक्टूबर को हमास ने अचानक इजरायल पर हमला कर दिया था और ताबड़तोड़ रॉकेट दागे थे, जिसके बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने युद्ध का ऐलान कर दिया था. अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक गाजा में अब तक 3,400 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, जबकि 12,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. वहीं इजरायल में 1,400 से ज्यादा की जान गई है, जबकि 3,800 लोग घायल हुए हैं.
गाजा में अस्पताल पर बमबारी
मंगलवार, 17 अक्टूबर को गाजा शहर में स्थित अल-अहली अरब अस्पताल पर हुए हवाई हमले में करीब 500 लोगों की मौत हो गई. AP की रिपोर्ट के मुताबिक, हमास ने इस हमले के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया, जबकि इजरायल ने इन आरोपों को नकारा है. इजरायली सेना ने दूसरे फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है.
इजरायल ने अपनी बेगुनाही का सबूत भी पेश किया. IDF ने एक ऑडियो क्लिप जारी करते हुए दावा किया है कि अस्पताल पर फिलिस्तीन इस्लामिक जिहाद का ही रॉकेट मिस फायर होकर गिरा है.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि, "गाजा में एक अस्पताल पर हुए हमले में सैकड़ों फिलिस्तीनी नागरिकों की हत्या से मैं भयभीत हूं, जिसकी मैं कड़ी निंदा करता हूं. मेरा दिल पीड़ितों के परिवारों के साथ है. अस्पताल और चिकित्सा कर्मी अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत संरक्षित हैं."
इजरायल पर युद्ध कानून तोड़ने का आरोप
इजरायल पर अंतरराष्ट्रीय युद्ध कानूनों को तोड़ने के आरोप लग रहे हैं. स्पेन की सामाजिक अधिकार मंत्री इओन बेलारा (Ione Belarra) ने सोमवार को स्पेन से इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को युद्ध अपराधों के लिए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के सामने लाने का आह्वान किया.
इजरायली प्रधानमंत्री के खिलाफ मोरक्को में विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला है. मोरक्को के रबात में बुधवार, 18 अक्टूबर, 2023 को सैकड़ों मोरक्कोवासियों ने फिलिस्तीन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान उनके हाथों में 'नेतन्याहू वार क्रिमिनल' जैसे पोस्ट भी देखने को मिले.
हमास के हमले के बाद इजरायल ने गाजा पट्टी पर हवाई हमले किए हैं. इसके साथ ही भोजन, पानी, ईंधन और बिजली की आपूर्ति भी रोक दी है. इजरायल ने एक आदेश जारी कर उत्तरी गाजा और गाजा सिटी में रहने वाले लोगों को दक्षिणी की ओर चले जाने के लिए कहा था. जिसके बाद पड़े पैमाने पर पलायन देखने को मिला है.
आलोचक इजराइल पर गाजा के 20 लाख निवासियों को सामूहिक रूप से दंडित करने का आरोप लगा रहे हैं.
abc news की रिपोर्ट के मुताबिक, जिनेवा स्थित रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति ने कहा है कि हजारों लोगों को घर छोड़ने का निर्देश देना, "पूर्ण घेराबंदी के साथ स्पष्ट रूप से उन्हें भोजन, पानी और बिजली से वंचित करना, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के अनुकूल नहीं है".
ह्यूमन राइट्स वॉच ने इजरायल पर सफेद फास्फोरस युक्त युद्ध सामग्री का उपयोग करने का आरोप लगाया है. आग लगाने वाले पदार्थ पर प्रतिबंध नहीं है, लेकिन घनी आबादी वाले इलाकों में इसके इस्तेमाल की व्यापक रूप से निंदा की गई है. हालांकि, इजरायली सुरक्षाबलों ने गाजा में सफेद फास्फोरस को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने से इनकार किया है.
क्या हमास ने भी किया युद्ध कानूनों का उल्लंघन?
इजरायल के हमले के बाद से हमास पर भी युद्ध कानून के उल्लंघन के आरोप लग रहे हैं. IDF के प्रवक्ता डेनियल हगारी ने गुरुवार, 19 अक्टूबर को जानकारी देते हुए बताया कि हमास ने 203 इजरायलियों को बंधक बनाया है. अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, हमास के हमलों में इजरायल में अब तक 1,400 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और 3,800 घायल हुए हैं.
abc news की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में लॉ के प्रोफेसर हैम अब्राहम ने कहा, “हमास ने घरों में आम नागरिकों का नरसंहार किया. उन्होंने आम नागरिकों का अपहरण कर लिया, उन्हें बंधक बना लिया. ये सभी चीजें स्पष्ट रूप से युद्ध अपराध हैं."
एमनेस्टी इंटरनेशनल फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय न्याय आयोग के वकील जीन सुल्जर ने कहा कि जिनेवा कन्वेंशन में कहा गया है कि “आम नागरिकों को कभी भी बंधक नहीं बनाया जाना चाहिए. अगर वो बंधक बनाए गए हैं, तो इसे युद्ध अपराध के रूप में वर्णित किया जा सकता है."
चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर युद्ध के नियम क्या हैं? जेनेवा कन्वेंशन में क्या कहा गया है?
जेनेवा कन्वेंशन क्या है?
जिनेवा कन्वेंशन और उसके प्रोटोकाल का मुख्य मकसद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवीय मूल्यों की रक्षा करना है. यह अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत युद्ध के प्रभावों को सीमित करने और युद्धबंदियों के अधिकारों के संरक्षण की कोशिश करता है.
ये उन लोगों की रक्षा करता है जो युद्ध में भाग नहीं लेते हैं (नागरिक, चिकित्सक, सहायता कर्मी) और जो नहीं लड़ सकते हैं (घायल, बीमार और क्षतिग्रस्त जहाज सैनिक, युद्ध के कैदी).
पहला जेनेवा कन्वेंशन 1864: इसमें युद्ध के दौरान घायल और बीमार सैनिकों को सुरक्षा प्रदान करने की बात कही गई.
दूसरा जेनेवा कन्वेंशन 1906: इसमें युद्ध के दौरान समुद्र में घायल, बीमार और जलपोत के सैन्य-कर्मियों की रक्षा और अधिकारों की बात की गई.
तीसरा जेनेवा कन्वेंशन 1929: इसमें 'प्रिजनर ऑफ वॉर' को परिभाषित किया गया है. युद्धबंदी दर्जे के हकदार व्यक्तियों की श्रेणियों को कन्वेंशन I और II के अनुसार विस्तारित किया गया था.
चौथा जेनेवा कन्वेंशन 1949: इसमें नागरिकों की रक्षा की बात कही गई है, जिसमें कब्जे वाले क्षेत्र के लोग भी शामिल हैं.
युद्ध के नियम क्या हैं?
1949 में जिन चार सम्मेलनों पर सहमति बनी, उनमें यह तय किया गया कि युद्धकाल में नागरिकों, घायलों और कैदियों के साथ मानवीय व्यवहार किया जाना चाहिए.
नियम के मुताबिक, युद्ध के दौरान हत्या, यातना, बंधक बनाने और अपमानजनक व्यवहार पर प्रतिबंध है और अगर दूसरे पक्ष के बीमारों और घायलों का इलाज करने के लिए अगर सेना की आवश्यकता होती है तो वो देना आवयशक है.
ये नियम जिन देशों के बीच युद्ध और संघर्ष चल रहा है, उन दोनों पर लागू होते हैं. इजरायल और हमास के बीच भी ये नियम लागू होते हैं. हालांकि, इसमें एक पक्ष देश नहीं है.
युद्ध के कानून में एक अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज अंतरराष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय की संस्थापक रोम संविधि (The Rome Statute) के रूप में है. जो नागरिकों, नागरिक बस्तियों या मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर जानबूझकर हमले, संपत्ति को नष्ट करना, यौन हिंसा और गैरकानूनी निर्वासन को युद्ध अपराध के रूप में परिभाषित करता है.
अन्य समझौते कुछ प्रकार के हथियारों, जैसे रासायनिक या जैविक युद्ध सामग्री पर प्रतिबंध लगाते हैं. अधिकांश देशों ने इन पर हस्ताक्षर किए हैं.
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय की क्या भूमिका है?
नीदरलैंड स्थित ICC (अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय) के पास नरसंहार, युद्ध अपराध, मानवता के विरुद्ध अपराध और आक्रमण का अपराध जैसे गंभीर अपराधों से संबंधित मामलों की जांच करने का अधिकार है. ICC युद्ध के नियमों का उल्लंघन करने वाले देशों के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और पीड़ितों को मुआवजा देने का आदेश दे सकता है.
हालांकि, कुछ देश - जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और इजराइल शामिल हैं - अदालत के क्षेत्राधिकार को मान्यता नहीं देते हैं. वहीं ICC के पास गिरफ्तारी वारंट निष्पादित करने के लिए पुलिस बल नहीं है.
ICC युद्ध अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए गठित एकमात्र स्थायी अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण है. इसके साथ ही इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस और यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय अदालतें भी कथित उल्लंघन से संबंधित मामलों की सुनवाई कर सकती हैं.
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