ईरान (Iran) ने इजरायल (Israel) की ओर करीब 300 मिसाइल दागे हैं. ईरान ने ये हमला तब किया है, जब सीरिया (Syria) में उसके वाणिज्य दूतावास पर कथित इजरायली हमले को 14 दिन बीत चुके हैं. इजरायल पर ईरान के हमले को जवाबी कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसे पहली बार हो रहा है कि ईरान ने सीधे तौर पर इजरायल के साथ इतने बड़े पैमाने पर हमला किया है. इजरायल से ईरान की दूरी करीब-करीब 1800 किलोमीटर हैं.
दोनों देशों के बीच लंबे वक्त से तनातनी के रिश्ते थे लेकिन पहली बार दोनों देश आमने-सामने की लड़ाई में हैं. हालांकि, ईरान की ओर से जो मिसाइल दागे गए, उसमें से 99 फीसदी मिसाइल को गिरा दिया गया.
इजरायली सेना की ओर से बताया गया कि इजरायल और बाकी के कुछ देशों ने क्रूज मिसाइल और ड्रोन मिसाइल को इजरायली एयरस्पेस से बाहर गिरा दिया है.
कई देशों ने किए एयरस्पेस बंद
ईरान के हमले के बाद इजरायल के समर्थन में अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन ने मिसाइल को इंटरसेप्ट किया है. इजरायल, लेबनान और इराक ने इस हमले को देखते हुए अपने एयरस्पेस को बंद कर लिया है. वहीं सीरिया और जॉर्डन ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम को अलर्ट किया हुआ है.
लेकिन इस बीच सवाल उठता है कि ईरान और इजरायल की सैन्य ताकत में कितना अंतर है, दोनों में से किस देश के पास जंग के कितने संसाधन हैं और इजरायल क्या दो मोर्चों पर लड़ सकता है?
ईरान और इजरायल की सैन्य ताकत
ईरान की डिफेंस बजट 995 करोड़ डॉलर का है, लेकिन इजरायल का डिफेंस बजट 2440 करोड़ डॉलर है. इजरायली सेना में 612 एयरकाफ्ट हैं, वहीं ईरान की सेना में 551 एयरकाफ्ट हैं. (हालांकि जानकारों का मानना है कि ईरानी सेना में एयरकाफ्ट काफी पुराने हो चुके हैं.) इजरायल के पास 241 फाइटर एयरकाफ्ट हैं, जबकि ईरान के पास 186 फाइटर एयरकाफ्ट है.
एरियल टैंकर
ईरान- 7
इजरायल- 14
अटैक हेलीकॉप्टर
ईरान- 13
इजरायल- 48
जमीन पर किसकी सेना कितनी मजबूत?
अगर जमीनी मोर्चे पर बात करें तो ईरान के पास 1996 टैंक हैं. जबकि इजरायल के पास 1370 टैंक हैं. हालांकि, ईरान और इजरायल की जमीनी सीमा एक दूसरे से नहीं लगती हैं. इसलिए जमीनी जंग संभव नहीं है.
बख्तरबंद गाड़ियां
ईरान- 65,765
इजरायल- 43, 407
सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी
ईरान- 580
इजरायल- 650
क्या ईरान और हमास से एक साथ लड़ सकता है इजरायल?
ईरान ने इजरायल पर ऐसे वक्त पर हमला किया है, जब पिछले 6 महीनों से इजरायल गाजा जंग में फंसा हुआ है. ऐसे में इजरायल के लिए ईरान से आमने-सामने की जंग लड़ना कितना मुश्किल है?
विदेश मामलों के जानकार और रक्षा विशेषज्ञ क़मर आगा कहते हैं, "इजरायल के लिए चुनौतियां सिर्फ दो मोर्चों पर नहीं बल्कि एक साथ कई मोर्चों पर है. ईरान के साथ कई समर्थक ग्रुप भी है. इन देशों में शिया समुदाय हाशिए पर हैं इसलिए उन्होंने काफी वक्त से हिंसक आंदोलन छेड़ रखा है."
अगर ईरान के साथ जंग होती है तो ये कई फ्रंट पर होगी. इसमें ईरान खुद तो रहेगा ही, साथ ही उसके समर्थन में हिज्बुल्लाह, हैती और इराक में शिया मिलेशिया भी होंगे और हमास के साथ तो पहले से जंग चल ही रही है. यानी ये सारे ग्रुप एक साथ अलग-अलग मोर्चों पर इजरायल पर हमले कर सकते हैं."क़मर आगा, रक्षा विशेषज्ञ
क़मर आगा आगे कहते हैं, "ऐसा भी नहीं है कि ये सारे ग्रुप ईरान की हर बात मान लेते हैं. लेकिन ज्यादातर देखा गया है कि ये ग्रुप्स ईरान को फॉलो करते हैं. ये ग्रुप ईरान को आध्यात्मिक तौर पर और अपनी सेना की ट्रेनिंग के लिहाज से अहम मानते हैं."
इजरायल ने 1 अप्रैल को सीरिया में ईरान की वाणिज्य दूतावास पर हमला किया था. इस हमले में कुल सात लोग मरे थे. इसमें ईरानी सेना की विदेशी शाखा अल कुदुस फोर्स के दो टॉप कमांडर की भी मौत हो गई थी. लेकिन सवाल है कि इजरायल ने ऐसे वक्त में ईरान के दूतावास पर क्यों हमला किया, जब वह खुद पिछले 6 महीनों से जंग में उलझा है.
क़मर आगा कहते हैं, "इजरायल का मानना है कि जब तक ये सारे ग्रुप्स उस इलाके में हैं, तब तक हमास को हराना मुश्किल है. दूसरी बात ये है कि इजरायल शुरुआत से कहता आ रहा है कि जब तक ईरान के साथ मसले हल नहीं हो जाते, तब तक इस इलाके में ये सारे ग्रुप्स सक्रिय रहेंगे."
कमर आगा कहते हैं,
इजरायल में इस वक्त कट्टर दक्षिणपंथी सरकार है. इस सरकार का लक्ष्य है कि उस इलाके से जितने भी इजरायल या अमेरिका विरोधी ताकतें हैं, उसका सफाया करना है और 'ग्रेटर इजरायल' का गठन करना है.
इजरायल और अमेरिका के सामने कहां खड़ी है ईरान की सेना?
ईरान की सेना में करीब 6 लाख 10 हजार सक्रिय सैनिक है. वहीं इजरायली सेना में 1 लाख 70 हजार सक्रिय सैनिक हैं. यानी ईरान के पास 4 लाख 40 हजार ज्यादा सक्रिय सैनिक हैं. इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि इजरायल के सैनिक हमास के साथ जंग में उलझे हैं.
हालांकि, जंग के बीच इजरायल की ओर से रिजर्व फोर्स का इस्तेमाल भी किया जा रहा है. ईरान के रिर्जव फोर्स में 3 लाख 50 हजार सैनिक है. वहीं अर्धसैनिक बल में 2 लाख 20 हजार सैनिक हैं. इजरायल की सेना में 4 लाख 65 हजार रिर्जव सैनिक हैं, जबकि अर्धसैनिक बल में सिर्फ 35 हजार सैनिक हैं.
क़मर आगा कहते हैं, "इजरायल की सेना और अमेरिकी सेना के सामने ईरान की सेना कही टिक नहीं सकती है. अव्वल बात तो ये है कि ईरान के पास एयरकाफ्ट बहुत पुराने हैं. लेकिन ईरान ने लो कास्ट वॉर का जिस तरह का कॉन्सेप्ट डेवलप किया है, वो उन्हें फायदा पहुंचाता है. इसके अलावा हिज्बुल्लाह, हैती और मिलेशिया ग्रुप्स भी जंग में ईरान को काफी फायदा पहुंचाते हैं."
"रेग्युलर आर्मी से जंग लड़ना आसान होता है. अफगानिस्तान में हमने देखा अमेरिका को तालिबान से 20 साल तक लड़ना पड़ा और आखिरकार सत्ता तालिबान को ही सौंपना पड़ा. इसलिए ऐसे फोर्स से लड़ना किसी भी देश के लिए मुश्किल हो जाता है. इजरायल के साथ जंग में ईरान की रणनीति होगी कि वह ऑयल सप्लाई को रोकने की कोशिश करेगा या अमेरिकी ठिकानों पर हमले करेगा."क़मर आगा, रक्षा विशेषज्ञ
ईरान ने इजरायल को जवाबी कार्रवाई के न करने की चेतावनी दी है. ईरान ने कहा है कि अगर अमेरिका इजरायल के पलटवार का समर्थन करती है तो हम अमेरिकी ठिकानों पर हमला करेंगे.
क़मर आगा कहते हैं, "मध्य पूर्व क्षेत्र में अमेरिका का सबसे मजूबत सहयोगी इजरायल है. जंग की हालातों में इजरायल ऐसी स्थिति पैदा कर देता है कि अमेरिका को इजरायल का समर्थन करना पड़ता है."
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