ADVERTISEMENTREMOVE AD

इजरायल-ईरान तनाव भारत के लिए कितनी बड़ी चुनौती? व्यापार ही नहीं अपनों की जान भी जोखिम में

Israel Iran Tension: ईरान और इजरायल के बीच पनपे तनाव को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने चिंता जाहिर की है.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

इजरायल (Israel) पर ईरान (Iran) की ओर से करीब 300 मिसाइल दागे जाने के बाद मिडिल ईस्ट में एक बार फिर से जंग पनपने की स्थिति पैदा हो गई है. इस हमले को ईरान की ओर से जवाबी हमला माना जा रहा है. 1 अप्रैल को सीरिया में ईरानी दूतावास पर हमले में ईरानी सेना की विदेशी शाखा कुदुस फोर्स के टॉप कमांडर्स की मौत हो गई थी. ये हमला कथित तौर पर इजरायली सेना ने किया था. इजरायल की ओर से इस हमले की पुष्टि नहीं की गई है और न ही कोई सफाई दी गई.

ईरान और इजरायल लंबे समय से एक-दूसरे के विरोधी रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इजरायल का मानना है कि ईरान मध्य पूर्व के इलाके में इजरायल, यहूदी और अमेरिकी विरोधी ताकतों को शह देता है. ईरान की ओर से इस जवाबी हमले के बाद दोनों देश आमने-सामने की जंग के कगार पर खड़े हैं. इस जंग से मध्य-पूर्व में नुकसान तो है ही लेकिन इसके साथ ही इसका असर भारत पर भी पड़ेगा.

इस आर्टिकल में समझते हैं कि इजरायल और ईरान के बीच जंग की उठती लपटों के बीच भारत के हित कैसे झुलस सकते हैं?

ईरान हमले पर भारत की प्रतिक्रिया

ईरान और इजरायल के बीच पनपे तनाव को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है. विदेश मंत्रालय ने स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, "इजरायल और ईरान के बीच तनाव के कारण इस इलाके की शांति और सुरक्षा को खतरा है और हम इसे लेकर चिंतित हैं. हम हिंसा के बजाए कुटनीतिक समाधान की वकालत करते हैं."

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, ''हम हालात पर नजर बनाए हुए हैं और उस क्षेत्र में भारतीय समुदाय से संपर्क में हैं. यहां शांति बने रहना बेहद जरूरी है.''

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स पर एक ट्वीट में लिखा, ''आज शाम ईरान इस्लामी गणराज्य के विदेश मंत्री एच. अमीर अब्दुल्लाहियान से बात की. एमएससी एरीज के चालक दल के 17 भारतीय सदस्यों की रिहाई के मुद्दे को उठाया. क्षेत्र की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की. तनाव बढ़ाने से बचने, संयम बरतने और कूटनीति पर लौटने के महत्व पर जोर दिया."

इजरायल और ईरान के साथ भारत के संबंध कैसे हैं? 

भारत ने औपचारिक रूप से 17 सितंबर, 1950 को इजरायल को मान्यता दी थी. इसके तुरंत बाद यहूदी एजेंसी ने बॉम्बे में एक आव्रजन कार्यालय खोला. इसे बाद में एक ट्रेड ऑफिस बना दिया गया और बाद में फिर इसे ही वाणिज्य दूतावास में बदल दिया गया. 

भारत और इजरायल के बीच दूतावास 1992 में खोले गए थे. इस वक्त ही दोनों के देशों के बीच पूरी तरह के राजनयिक संबंध भी स्थापित किए गए थे.

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से डिफेंस और एग्रीकल्चर के क्षेत्र में दोनों देशों का द्विपक्षीय रिश्ता रहा है. ये दोनों क्षेत्र ही भारत और इजरायली रिश्ते के मुख्य स्तंभ रहे हैं.

दूसरी ओर अगर ईरान की बात करें तो भारत और ईरान का रिश्ता सदियों पुराना है. भारत और ईरान के बीच का संबंध ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों पर आधारित हैं. दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान, वाणिज्यिक और कनेक्टिविटी सहयोग, सांस्कृतिक संबंध हैं. 

गौर करने वाली बात यह भी एक इस साल पाकिस्तान पर ईरान की ओर से किए गए हमले पर भारत ने ईरान का समर्थन किया था.
0

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने तब कहा था, "यह ईरान और पाकिस्तान के बीच का मामला है. मगर आतंकवाद पर भारत का रुख किसी भी तरह से समझौता करने वाला नहीं है. हमें पता है कि आत्मरक्षा में देश इस तरह के कदम उठाते हैं.''

भारत के बयान की आखिरी लाइन को लेकर तब कई मायने निकाले गए थे.

मध्य-पूर्व में खराब होते हालात से भारत के हितों को कितना नुकसान? 

ईरान और इजरायल के जंग के बढ़ते आसार के बीच भारत की भी कई चिंताएं हैं. इस इलाके में बड़ी संख्या में भारतीय लोग रहते हैं. इसके अलावा हाल ही भारत से हजारों कामगार इजरायल भेजे गए थे. वहीं अगर जंग विकराल रूप लेती है तो इसका असर दुनिया भर के तेल की कीमतों पर पड़ सकता है.

पश्चिम और दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार सौरभ कुमार शाही ने क्विंट हिंदी को बताया, "भारत के लिए ये इंटेलिजेंस असेसमेंट की नाकामयाबी है कि उसने अपने कामगारों को तब इजरायल भेज दिया जब वहां जंग चल रहा था. भारत को तब लगा कि हमास के साथ इजरायल की जंग खत्म हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ."

"इजरायल में भारत के लो स्कील्ड वर्कर्स को भेजा गया है. इन्हें ऐसे हालातों से निपटने और खुद को बचाएं रखने का इल्म नहीं है. जबकि इजरायल के नागरिक इस तरह के हालातों के अभस्त हो चुके हैं. पिछले 6 महीनों में कई ऐसी खबरें आई हैं जिसमें पता चला है कि गाजा युद्ध में भारतीयों की मौत हो गई है."  
सौरभ कुमार शाही, पश्चिम और दक्षिण एशियाई मामलों के जानकार

ईरान और इजरायल के बीच जंग के फैलने पर इसका क्या असर होगा, इसपर सौरभ कुमार शाही कहते हैं, "अगर इस इलाके में जंग के हालात बनते हैं तो इससे दुनिया भर में तेल की कीमतों पर असर होगा. जाहिर है इसका असर भारत पर पड़ेगा. तेल की कीमतों में इसका असर इसलिए पड़ेगा क्योंकि बड़ी संख्या में तेल का निर्यात होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते दुनिया भर में होता है."

होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) मध्य पूर्व देशों से बाकी देशों में तेल पहुंचाने का सबसे आम रास्ता है. इस रास्ते से कम समय में लंबी दूरी तय की जाती है. यह मध्य पूर्व में ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान की सीमा पर स्थित है. यह फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी से जोड़ता है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

विदेश मामलों के जानकार रॉबिंद्र सचदेव ने क्विंट हिंदी को बताया, "इराक और कुवैत का सारा तेल फारस की खाड़ी से ही दुनिया भर में जाता है.सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात का भी 60-70 फीसदी तेल इसी रास्ते से जाता है. इस रास्ते से दुनिया को करीब 20 प्रतिशत तेल और गैस जाता है. बीते दिन ईरान ने फारस की खाड़ी से एक जहाज को हाईजैक कर लिया. इसलिए अगर जंग फैलती है तो दुनिया भर में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जाएगी. वहीं अगर तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो दुनिया भर में महंगाई भी बढ़ेगी. ग्लोबल स्टॉक मार्केट में भी इसका असर आएगा और इसकी जद में भारत भी आएगा."

सौरभ कुमार शाही कहते हैं,

"ईरान और इजरायल के बीच हालिया स्थिति को देखते हुए मुख्य तौर पर भारत के लिए 2 चुनौतियां हैं. अव्वल तो भारत के नागरिक हैं जो इजरायल में फंसे हैं. दूसरा गैस और तेल की कीमतों के बढ़ने की आशंका भी भारत के लिए चुनौतीपूर्ण है. हालांकि भारत के पास ठीक-ठाक मात्रा में स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व हैं लेकिन अगर तेल की कीमतों में इजाफा होता तो भारत के लिए चिंता बढ़ सकती है."

भारत-ईरान व्यापार पर असर?

ईरान भारत से चावल, चाय, चीनी, फार्मास्यूटिकल्स, मानव निर्मित स्टेपल फाइबर, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, कृत्रिम आभूषण आयात करता है. जबकि भारत ईरान से सूखे मेवे, अकार्बनिक / कार्बनिक रसायन, कांच के बने पदार्थ आयात करता है. लेकिन हाल के कुछ सालों में ईरान और भारत के व्यापारिक संबंध काफी निचले स्तर पर पहुंच गए हैं.

रॉबिंद्र सचदेव कहते हैं, "जंग के हालात में ईरान पर कुछ और प्रतिबंध लगाए जाएंगे. इसका असर होगा कि पहले से ही निम्न स्तर पर चल रहे भारत-ईरान व्यापार में और भी ज्यादा सुस्ती आ जाएगी."

सौरभ कुमार शाही भी ऐसा ही कहते हैं, "भारत और ईरान के बीच व्यापार न के बराबर है. काफी साल पहले अमेरिकी दवाब में भारत को ईरान के साथ व्यापार बंद करना पड़ा. वैसे कहने के लिए तो कहा जाता है कि भारत किसी भी तरह के प्रतिबंधों को नहीं मानता है, लेकिन असल में ईरान के साथ हमारा व्यापार लगभग शून्य के कगार पर पहुंच चुका है."

"भारत ने चाबहार में भी निवेश किया हुआ है, लेकिन वहां भी कुछ नहीं हो रहा है. मैं पिछले साल वहां गया था, लेकिन वहां कुछ भी वैसा नहीं दिखा जैसा कि मीडिया में खबरें चलती हैं. भारतीय मीडिया में चाबहार बंदरगाह को भारत का रणनीतिक बंदरगाह बताया जाता है. कहा जाता है कि इससे हम पाकिस्तान पर नकेल कस सकते हैं लेकिन वहां ग्राउंड कुछ नहीं हो रहा है."
सौरभ कुमार शाही, पश्चिम और दक्षिण एशियाई मामलों के जानकार

भारत से इजरायल मुख्य रूप से मोती और कीमती पत्थर, मोटर वाहन डीजल, रसायन और खनिज उत्पाद, मशीनरी और बिजली के उपकरण, प्लास्टिक, कपड़ा और परिधान उत्पाद, आधार धातु और परिवहन उपकरण, कृषि उत्पाद आयात करता है. वहीं इजरायल से भारत खनिज / उर्वरक उत्पाद, मशीनरी और बिजली के उपकरण, पेट्रोलियम तेल, रक्षा, मशीनरी और परिवहन उपकरण आयात करता है. हालांकि भारत और इजरायल के बीच व्यापारिक संबंध गाजा युद्ध के बाद से से थम गया है क्योंकि लाल सागर में यमन की हैती विद्रोहियों ने रोक लगा रखा है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×