अपने पति और बेटी के साथ गाजा पट्टी (Gaza) में फंसी 52 वर्षीय लुबना नजीर वानी तोमान ने 11 अक्टूबर को द क्विंट को बताया, "हर जगह बारूद की गंध है, चारों ओर गोलाबारी हो रही है, मेरे क्षेत्र के पास (सफेद) फॉस्फोरस की बारिश हुई है."
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर की रहने वाली लुबना 1997 से संघर्षग्रस्त गाजा में रह रही हैं. उन्होंने कहा ," लेकिन इस बार परिदृश्य बिल्कुल अलग है."
इस हफ्ते की शुरुआत में फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास द्वारा किए गए हमले के जवाब में गाजा को इजरायल के नए हमलों का सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने जल्द से जल्द वहां से निकालने की अपील करते हुए कहा, "यह एक ऐसा युद्ध है जहां 365 वर्ग किलोमीटर की पट्टी में नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है. हम यहां सुरक्षित नहीं हैं."
युद्ध छठे दिन में प्रवेश कर चुका है. इजरायली सेना के मुताबिक देश में 155 सैनिकों सहित 1,200 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, शनिवार से अब तक गाजा में कम से कम 1,354 लोग मारे गए हैं और 6,049 लोग घायल हुए हैं.
इजरायल और हमास की जंग के बीच लुबना उन मुट्ठी भर भारतीयों में से एक हैं, जो गाजा में फंसी हुई हैं. मुंबई में इजरायल के महावाणिज्यदूत (Israel's Consul General) ने 11 अक्टूबर को समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि देश में 20,000 से ज्यादा भारतीय रहते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा में भारतीय नागरिकों की संख्या सिर्फ 20 के करीब है.
एक मानवाधिकार कार्यकर्ता ने द क्विंट को बताया, इजरायल की ओर से जमीन, हवाई और समुद्री नाकेबंदी के बाद गाजा छोड़ना 'तकरीबन असंभव' हो गया है.
इजरायल के पास 1967 से गाजा पर नियंत्रण है. इजरायल ने हमास के हमले को निष्क्रिय करने के लिए इस नाकेबंदी को सही ठहराया है. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र और ह्यूमन राइट्स ग्रुप का तर्क है कि इस कदम ने गाजा को प्रभावी रूप से "खुली हवा वाली जेल" में बदल दिया है.
'यह युद्ध अलग है'
26 साल से गाजा में रहने वाली लुबना ने द क्विंट को बताया, "मैंने यहां हर युद्ध देखा है और कभी भी यहां से निकलने का अनुरोध नहीं किया. लेकिन इस बार, स्थिति अलग है."
लुबना की शादी फिलिस्तीनी नागरिक नेदल तोमन से हुई है. दोनों की मुलाकात उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में पढ़ाई के दौरान हुई थी. तब लुबना बायोकेमिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स की पढ़ाई कर रही थीं. वहीं तोमन इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे. पोस्ट-ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद लुबना ने तोमन से शादी कर ली और 1997 में गाजा शिफ्ट हो गईं.
उनके तीन बच्चे हैं - दो बेटियां और एक बेटा. उनकी बड़ी बेटी डॉक्टर है, वहीं उनके छोटे बच्चे मिस्र के काहिरा विश्वविद्यालय में पढ़ रहे हैं.
लुबना ने कहा, "इजरायल को पहले कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा. उन पर कभी इस तरह हमला नहीं किया गया. यह अब बदला लेने का क्रूर खेल है."
इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष 1948 का है, जब संयुक्त राष्ट्र और ब्रिटेन ने यहूदियों की समझौते की मांग का समर्थन किया, जिससे इजरायल का जन्म हुआ था. लेकिन बाद में, इजरायली निवासियों और अरबों के बीच युद्ध छिड़ गया था.
जबकि फिलिस्तीनियों को उनके घर से विस्थापित किया गया, उनके क्षेत्र को यहूदी इजरायल, अरब वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में बांट दिया गया था - जो एक फेंसिंग के जरिए इजरायल से अलग की गई जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा है.
'न पानी, न बिजली, न नेटवर्क, न बहार निकलने का रास्ता'
लुबना ने द क्विंट को बताया, "न बिजली है, न पानी. नेटवर्क भी बंद हो गया है. हमारे पास बहुत कम खाना बचा है." 11 अक्टूबर को फिलिस्तीनी ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि गाजा के एकमात्र बिजली प्लांट में ईंधन खत्म हो गया है, जिससे इसे बंद करना पड़ा और क्षेत्र ब्लैकआउट जैसी स्थिति में पहुंच गया.
इस हफ्ते की शुरुआत में इजरायल की सेना ने गाजा पट्टी पर "पूर्ण घेराबंदी" का आदेश दिया था, जिससे गाजा के दो मिलियन से ज्यादा लोगों को भोजन, ईंधन और दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई बंद कर दी गई थी. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, 7 अक्टूबर से शुरू हुए हवाई हमलों की वजह से 1,90,000 लोग विस्थापित हुए हैं.
लुबना ने कहा, "यहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं है. इजरायल ने इरेज सीमा पर हमला कर दिया है और रफा सीमा, जो मिस्र और गाजा के बीच एकमात्र क्रॉसिंग प्वाइंट है, वह भी प्रभावित हुई है."
जबकि इजरायल और गाजा के बीच सीमा पर पांच क्रॉसिंग पॉइंट हैं, द क्विंट को एक मानवाधिकार कार्यकर्ता ने बताया कि जमीन पर उनमें से केवल एक - इरेज क्रॉसिंग - लोगों के गुजरने के लिए चालू है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अभी तक भारतीय दूतावास तक पहुंची हैं, लुबना ने कहा कि उन्होंने तेल अवीव में उनसे संपर्क किया था. लेकिन "उन्होंने सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है."
विदेश मंत्रालय के एक सूत्र ने बुधवार, 11 अक्टूबर को द क्विंट से पुष्टि की कि लुबना की भारत वापसी की अपील करने वाला एक पत्र प्राप्त हुआ है. उनमें से केवल एक - इरेज क्रॉसिंग - लोगों के गुजरने के लिए चालू है.
'कृपया उसे वहां से निकालो': लुबना का भाई
उनके छोटे भाई सोहेल नजीर वानी ने द क्विंट को बताया, "लुबना आखिरी बार हमसे दो साल पहले मिली थीं." उन्होंने कहा कि वह लुबना के संपर्क में थे लेकिन इलाके में नेटवर्क बंद होने के कारण संचार बहुत सीमित है.
उन्होंने कहा कि लुबना ने मिस्र जाने की कोशिश की, जहां उसके बच्चे पढ़ रहे हैं, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई क्योंकि "इजरायल ने एग्जिट पॉइंट्स को बंद कर दिया है." उन्होंने कहा, उनकी सबसे बड़ी बेटी भी जर्मनी जाने की योजना बना रही थी.
हम सब यहां बहुत तनाव में हैं. घर में मातम छाया हुआ है. सोहेल ने भारत सरकार से लुबना को गाजा से जल्दी निकालने की अपील करते हुए कहा, कृपया उसे वहां से निकालें क्योंकि उस इलाके में संघर्ष कम होने के आसार नहीं है.
इस बीच, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि नई दिल्ली ने "वापस लौटने के इच्छुक हमारे नागरिकों की इजरायल से वापसी की सुविधा" में मदद करने के लिए 'ऑपरेशन अजय' शुरू किया है.
इजरायल में भारतीय दूतावास ने कहा कि उन्होंने गुरुवार, 12 अक्टूबर को एक "विशेष उड़ान" के लिए रजिस्टर्ड भारतीय नागरिकों को ईमेल भेजा है.
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि लुबना और गाजा से कई अन्य भारतीयों को कैसे निकाला जाएगा.
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