यरूशलम के मुद्दे पर अलग-थलग पड़े अमेरिका ने अब नया पैंतरा अपनाया है. अमेरिका के फैसले के खिलाफ खड़े देशों को अमेरिका अब आर्थिक सहायता रोकने की धमकी दे रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यरूशलम को इजरायल की राजधानी की मान्यता खारिज करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों को आर्थिक मदद रोकने की धमकी दी है.
ट्रंप ने कहा-
ये हमसे अरबों डॉलर की मदद लेते हैं और फिर हमारे खिलाफ मतदान करते हैं. हम देख रहे हैं. इन्हें हमारे खिलाफ वोटिंग करने दो. हमें इससे फर्क नहीं पड़ता.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, ट्रंप का यह बयान संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निकी हेली के ट्वीट के बाद आया है.
निकी हेली ने ट्वीट कर कहा था, "अमेरिका उन देशों के नाम लेगा, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हमारे फैसले की आलोचना कर रहे हैं."
क्या है पूरा मामला?
फिलिस्तीन के विरोध के बावजूद 6 दिसंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यरूशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दे दी. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले को वापस लेने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव रखा गया. सुरक्षा परिषद के सभी 14 सदस्यों ने इस मसौदे के पक्ष में वोट किया था, लेकिन अमेरिका ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वीटो का इस्तेमाल किया.
संयुक्त राष्ट्र महसभा ने यरूशलम मुद्दे पर चर्चा के लिए गुरुवार को आपात बैठक होने जा रही है.
क्या है यरूशलम विवाद?
1947 में अरब देशों ने इजरायल पर संयुक्त हमला कर दिया. हमले में इजरायल को बहुत नुकसान हुआ. युद्ध के बाद पूर्वी यरूशलम पर जॉर्डन ने कब्जा कर लिया. वहीं पश्चिमी यरूशलम इजरायल के पास रहा.
लेकिन 1967 में ‘सिक्स डे वॉर’ के नाम से मशहूर इजरायल और अरब देशों के बीच हुई जंग में इजरायल ने लगभग पूरे यरूशलम पर कब्जा कर लिया.
साल 1980 में इजरायल ने यरूशलम को अपनी राजधानी बनाने का ऐलान किया था. लेकिन यूनाइटेड नेशंस ने इस का विरोध किया और यरूशलम पर इजरायल के कब्जे की निंदा की थी. जिसके बाद से यरूशलम को लेकर फिलिस्तीन और इजरायल लगतार एक दूसरे के आमने-सामने है.
(इनपुटः IANS से)
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