इराक (Iraq) में अमेरिका का युद्ध अभियान (US combat mission Iraq) इस साल के अंत तक खत्म हो जाएगा. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) और इराकी प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कादिमी (Mustafa al-Kadhimi) ने 26 जुलाई को इस संबंध में एक समझौता किया. हालांकि, अमेरिकी सेना सलाहकार की भूमिका में इराक में मौजूद रहेगी.
समझौता इराकी सरकार के लिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कादिमी पर ईरान की ओर झुकाव रखने वाली पार्टियों और अर्धसैनिक बलों का दबाव था. ये समूह इराक में अमेरिका की सैन्य भूमिका के खिलाफ थे.
अमेरिका के लिए भी ये ऐलान अहम है क्योंकि बाइडेन ने अगस्त अंत तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिक को वापस लाने की डेडलाइन तय की है.
बाइडेन ने दो सैन्य अभियान खत्म किए
बाइडेन और कादिमी की मुलाकात ओवल ऑफिस में हुई थी. कादिमी रणनीतिक बातचीत के लिए अमेरिका गए हुए हैं.
बाइडेन ने मुलाकात के बाद मीडिया से कहा, "इराक में हमारी भूमिका वहां रहकर प्रशिक्षण देने, मदद करने और ISIS से निपटने में होगी, लेकिन हम साल के अंत तक युद्ध अभियान में हिस्सा नहीं लेंगे."
इराक में इस समय करीब 2500 अमेरिकी सैनिक हैं, जिनका मुख्य काम इस्लामिक स्टेट से निपटना है. डेडलाइन के बाद अमेरिका पूरी तरह इराकी मिलिट्री को प्रशिक्षण देने और सलाह देने की भूमिका में होगा. हालांकि, ये कोई बड़ा नीतिगत बदलाव नहीं है क्योंकि अमेरिका पहले से ही इराकियों को ट्रेन करने पर फोकस कर रहा है.
अफगानिस्तान से सेना वापसी के बाद इराक में युद्ध अभियान खत्म कर जो बाइडेन ने रिपब्लिकन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के कार्यकाल में शुरू हुए दो युद्धों को आधिकारिक रूप से खत्म करने का फैसला किया है.
इराक क्यों गया था अमेरिका?
मार्च 2003 में अमेरिका के नेतृत्व में कई देशों के गठबंधन ने इराक पर हमला किया था. तत्कालीन इराकी नेता सद्दाम हुसैन पर अमेरिका ने वेपन ऑफ मास डेस्ट्रक्शन रखने का आरोप लगाया था.
सद्दाम का शासन कुछ ही हफ्तों में खत्म हो गया था लेकिन अमेरिका को इराक में पहले विद्रोह और फिर इस्लामिक स्टेट से जूझना पड़ा. अमेरिका को कभी वेपन ऑफ मास डेस्ट्रक्शन नहीं मिले थे. सद्दाम को पकड़ने के बाद फांसी दे दी गई थी.
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