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नौजवानों-सुरक्षाबलों की लगातार भिड़ंत, क्यों सुलग रहा है सूडान 

सूडान में राष्ट्रपति उमर अल बशीर के पद छोड़ने के बाद सत्ता पर सैन्य सरकार काबिज है

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

वीडियो प्रोड्यूसर: अनुभव मिश्रा

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तानाशाह के तख्तापलट से लेकर सड़कों पर कत्लेआम तक, सूडान 6 महीने से लगातार बेरहमी का सामना कर रहा है. 3 जून को सूडान के रैपिड सिक्योरिटी फोर्सेज(आरएसएफ) ने राजधानी खार्तूम में शांतिपूर्वक विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को हिंसक तरीके से हटाया. आरएसएफ में अधिकतर डारफुर नरसंहार में शामिल अरब लड़ाके जंजावीड शामिल हैं.

हिंसक आंदोलन में कम से कम 100 प्रदर्शनकारी मारे गए.

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खबरों के मुताबिक आरएसएफ के जवान महिला प्रदर्शनकारियों का रेप भी कर रहे हैं.

सूडान में गृहयुद्ध की स्थिति कैसे हो गई?

दिसम्बर 2018 को तानाशाह राष्ट्रपति उमर अल बशीर को सेना ने 30 साल के शासन के बाद सत्ता से बेदखल कर दिया. उनको बेदखल करने की खुशी कुछ ही पल रह पाई क्योंकि मिलिट्री काउंसिल ने चुनाव कराने से इनकार कर दिया, जिसके बाद अप्रैल 2019 से देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. 3 जून को आरएसएफ ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर कार्रवाई की.

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सूडानी अखबार अल तगय्युर की एडिटर राशा अवाद इस बारे में कहती हैं,

सूडान के लोगों ने महसूस कर लिया है कि संघर्ष अब कमजोर हो रहा है. मिलिट्री काउंसिल सूडान में अकेले शासन करना चाहती है. अपना पूरा अधिकार थोपना चाहती है. पहले के शासन की तरह ही लोगों को दबाना चाहती है. मानवाधिकारों का उल्लंघन और शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार नहीं देना चाहती. सूचना का आदान-प्रदान करने के लिए इंटरनेट सेवाओं में कटौती कर, सूचनाओं पर भी रोक लगा रही है और देश को बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग-थलग करने की कोशिश कर रही है.

प्रदर्शन कर रहे लोग लोकतांत्रिक सरकार की मांग पर अड़े हुए हैं. फिलहाल, प्रदर्शनकारी और मिलिट्री काउंसिल बातचीत को तैयार हैं. दुकान और व्यापार चालू हो गया है लेकिन लोकतंत्र का सफर अभी लंबा है!

(एरिक कील्स यूनिवर्सिटी ऑफ टेनेसी के हॉवर्ड एच बेकर सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी में एक रिसर्च फेलो हैं और जोशुआ लैंबर्ट यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा के सिक्योरिटी स्टडीज में पीएचडी कर रहे हैं.)

(द कंवर्सेशन से साभार)

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