India-Maldives row: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (Mohamed Muizzu) ने भारत से अपने सैन्य कर्मियों को 15 मार्च 2024 तक मालदीव से हटाने के लिए कहा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार, 14 जनवरी को राजधानी माले में ये बात कही है.
लेकिन भारत की सेना मालदीव में क्या कर रही है? मालदीव में कितने भारतीय सैनिक हैं? मालदीव क्यों अपने देश से भारतीय सैनिकों को हटाना चाहता है? चलिए इन सवालों का जवाब आपको देते हैं.
मालदीव में कितने भारतीय सैनिक हैं?
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, नवीनतम सरकारी आंकड़े बताते हैं कि मालदीव में 88 भारतीय सैन्यकर्मी हैं.
मालदीव के सनऑनलाइन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, एक प्रेस वार्ता में, राष्ट्रपति कार्यालय में सार्वजनिक नीति सचिव अब्दुल्ला नाजिम इब्राहिम ने कहा कि राष्ट्रपति मुइज्जू ने औपचारिक रूप से भारत से 15 मार्च तक अपने सैन्य कर्मियों को वापस लेने के लिए कहा है.
उन्होंने आगे कहा कि, “भारतीय सैन्यकर्मी मालदीव में नहीं रह सकते. यह राष्ट्रपति डॉ मोहम्मद मुइज्जू और इस प्रशासन की नीति है."
मालदीव और भारत ने सैनिकों की वापसी पर बातचीत के लिए एक उच्च स्तरीय कोर ग्रुप का गठन किया है. इस ग्रुप ने रविवार, 14 जनवरी की सुबह माले में विदेश मंत्रालय मुख्यालय में अपनी पहली बैठक की है.
हालांकि भारत सरकार ने तुरंत मीडिया रिपोर्ट की पुष्टि या उस पर टिप्पणी नहीं की है.
मालदीव में क्या रही है भारतीय सेना?
अक्टूबर, 2023 में क्विंट हिंदी पर एसएनएम अबदी के ओपिनियन आर्टिकल के अनुसार, सेवानिवृत्त वाइस एडमिरल अनिल चावला बताते हैं कि, "भारतीय सैनिक" शब्द के इस्तेमाल से यही धारणा बनती है कि हमारी सेना वहां जमीन पर मौजूद हैं लेकिन सच में ऐसा नहीं है.
अनिल चावला 2018 से 2021 तक कोचीन में दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ थे. उन्होंने कहा: “मालदीवियों को प्रशिक्षण देने वाले तकनीकी कर्मचारियों और पायलटों को सैनिक बताना गलत है. वे हथियारबंद स्टाफ नहीं हैं. सैनिकों का अर्थ आक्रामक होता है. वे अनिवार्य रूप से विमान के रखरखाव के लिए हैं न कि युद्ध के लिए.
नवंबर 2021 में, मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) के प्रमुख, जनरल अब्दुल्ला शमाल और रक्षा मंत्री, मारिया अहमद दीदी ने सुरक्षा सेवाओं पर एक संसदीय समिति के सामने कबूला था कि 75 भारतीय सैन्यकर्मी मालदीव में तैनात हैं. जो मुख्य रूप से पायलट और तकनीशियन हैं. वे मालदीव में समुद्री गतिविधि पर निगरानी के लिए भारत से मिले डोर्नियर विमान और दो हेलीकॉप्टरों को संचालित करने के लिए 2013 से लामू और अद्दू द्वीपों पर तैनात हैं.
भारत की वहां पर नौसैनिक मौजूदगी भी है. उसने 10 तटीय निगरानी रडार स्थापित किए हैं. मई 2023 में, रक्षा मंत्री, राजनाथ सिंह ने उथुरु थिला फाल्हू द्वीप में एक तटरक्षक बंदरगाह के निर्माण का उद्घाटन किया और एमएनडीएफ को एक फास्ट पेट्रोल जहाज और एक लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट जहाज सौंपा.
कमोडोर सी उदय भास्कर भी कुछ इसी तरह की बात करते हैं. अनिल चावला की बात का समर्थन करते हुए वो कहते हैं मालदीव में भारतीय सैनिकों की मौजूदगी होने की बात वाजिब नहीं है.
एक इंडिपेंडेंट थिंक टैंक सोसाइटी फॉर पॉलिसी स्टडीज (SPS) के डायरेक्टर उदय भास्कर ने कहा:
“मालदीव में भारत की सैन्य मौजूदगी एक खास मकसद से है- मालदीव की सुरक्षा क्षमता को बढ़ाना और किसी भी तरह की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में मदद देना. इसमें आपदा राहत और मानवीय सहायता, और MNDF को प्रशिक्षण देना शामिल है. भारत ने मालदीव में जो हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं उनकी संख्या कम है; और वहां मौजूद कर्मी इन प्लेटफार्मों को चालू रखने के लिए हैं.”
अनिल चावला ने कहा कि अगर हालात ज्यादा खराब हुए और मुइज्जू, नई दिल्ली को भारतीय रक्षा कर्मियों को वापस लेने के लिए कहते हैं और आखिर उनकी वहां से वापसी हो जाती है तो इसका मतलब होगा कि विमान को भी वापस लाना होगा, क्योंकि उन्हें संचालित करने और सेवा देने वाला कोई नहीं होगा, जो निश्चित रूप से मालदीव की समुद्री सुरक्षा और भलाई में मुश्किलें खड़ी करेगा.
वो आगे कहते हैं कि, “ऐसा फैसला करना मालदीव का अपना अधिकार है और हम उनके फैसले का पालन करेंगे. अपने कर्मियों और संपत्तियों को वापस ले लेंगे. मुझे उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा, लेकिन अगर ऐसा होता है तो एक लोकतांत्रिक और कानून का पालन करने वाला देश होने के नाते हम उनके अनुरोध का पालन करेंगे."
इस आर्टिकल के मुताबिक भारतीय सेना का स्टाफ मालदीव में मौजूद है जो वहीं तकनीकी सहायता के लिए है.
मालदीव अपने देश से भारतीय सैनिकों को क्यों निकालना चाहती है?
इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं है. वहीं मालदीव के आधिकारिक बयान के अनुसार ने उनकी नीति का हिस्सा है.
लेकिन ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर अपने "भारत विरोधी यानी इंडिया आउट" अभियान चलाया और फिर सत्ता हासिल की है.
उन्होंने अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए आयोजित पहली सार्वजनिक रैली में मालदीव की "संप्रभुता" और "स्वतंत्रता" की बात कही थी. उन्होंने मालदीव को सर्वोपरि बताया और कहा कि "लोग नहीं चाहते कि भारतीय सैनिक मालदीव में रहें. उन्होंने कहा कि “वे हमारी भावनाओं और हमारी इच्छा के विरुद्ध यहां नहीं रह सकते."
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