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मेगन ही नहीं, एक भारतीय प्रिंसेस के साथ भी ब्रिटेन में हुआ रंगभेद

क्वीन विक्टोरिया ने कई युवा राजघरानों को वार्ड्स/गॉडचिल्ड्रेन के रूप में लिया था, जिसमें राजकुमारी भी शामिल थीं.

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प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन मार्कल ने ओपरा विनफ्रे को दिए हालिया इंटरव्यू में कई अहम बातें कही हैं. उनमें से एक बात ब्रिटेन के राजघराने में होने वाले रंगभेद से भी जुड़ी है. मेगन ने कहा कि जब वे प्रेगनेंट थीं, तब राजघराना उनकी संतान के रंग को लेकर चिंतित था. मेगन इकलौती नहीं हैं जिन्हें शाही परिवार में रंगभेद का शिकार होना पड़ा है. एक भारतीय राजकुमारी के साथ ब्रिटेन में ऐसा ही हुआ था. उनका नाम है विक्टोरिया गौरम्मा. कौन हैं प्रिंसेस विक्टोरिया गौरम्मा? आइए जानते हैं.

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मेगन और गौरम्मा की कहानी में कई समानताएं

विक्टोरियन राजघराने की इतिहासकार डॉ. प्रिया अटवाल ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस मामले को लेकर कई ट्वीट किए हैं.

  • “राजघराने की इतिहासकार के तौर पर मैं मेगन की वर्तमान स्थिति और कूर्ग की प्रिंसेस गौरम्मा की थोड़ी बहुत ज्ञात कहानी में समानता को देखकर रोमांचित हूं.”
  • “रंग को लेकर मेगन के राजघराने का सदस्य बनने का पहला विवाद थोड़ा भ्रामक है. ऐसा तर्क है कि क्वीन शार्लोट (1744-1818) के वंशज काले थे, लेकिन रानी विक्टोरिया के इम्पीरियल गॉडचिल्ड्रेन के बारे में क्या?”
  • “राजकुमारी गौरम्मा (1841-64) को 1852 में उनके पिता उन्हें ब्रिटेन लेकर आए थे. उस समय गौरम्मा के पिता कूर्ग के अपदस्थ राजा थे. उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी से अपनी पारिवारिक संपत्ति वापस जीतने का अभियान चलाया था. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने रानी विक्टोरिया को अपनी बेटी को गोद लेने के लिए कहा, उन्हें यह विश्वास था कि रानी, गौरम्मा को एक अच्छा जीवन दे सकती है.”
  • “कूर्ग के हिंदू राजा ने गौरम्मा को एक ईसाई के रूप में बपतिस्मा देने की पेशकश करते हुए आशा व्यक्त की थी कि विक्टोरिया गौरम्मा को कुलीन अभिभावकों के साथ एक गोद ली हुई बेटी के रूप में लाएंगी और उसकी अच्छी शादी कराएंगी. विक्टोरिया अविश्वसनीय रूप से राजा के इस विचार के बारे में उत्सुक थीं और आसानी से उनकी बात से सहमत हो गईं थी.”
  • “विक्टोरिया ने साम्राज्य के चारों ओर से कई युवा राजघरानों को वार्ड्स/गॉडचिल्ड्रेन के रूप में लिया. जैसे दलीप सिंह और सारा बोनेटा फोर्ब्स. यह शाही परिवार का परोपकारी छवि बनाने का अच्छा तरीका था.”
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  • “...लेकिन शाही घराने का सदस्य या प्रिंस/प्रिंसेस होने के बावजूद इन युवाओं का जीवन आसान नहीं था. विक्टोरियन ब्रिटेन में उन्हें नस्लीय माना जाता था."
  • “गौरम्मा एक मॉडल एंग्लिसाइज राजकुमारी बनने के लिए उनपर बनाए गए दबाव से जूझती रहीं. विक्टोरिया ने स्वेच्छा से गौरम्मा को शाही देखभाल के लिए छोड़ दिया, लेकिन उनको अपने पिता और परिवार के साथ किसी भी प्रकार से संपर्क बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.”
  • “...गौरम्मा को फॉस्टर फैमिली से फैमिली में स्थानांतरित कर दिया गया था, क्योंकि उसके देखभाल करने वालों ने शाही वार्ड बढ़ाने की लागत और मांगों के साथ संघर्ष करना शुरू कर दिया था. इसके बाद गौरम्मा ने बार-बार भागने की कोशिश की थी.”
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  • “इसमें मुझे मेगन के साथ गौरम्मा की समानताएं सबसे पेचीदा इसलिए लगती हैं, क्योंकि गौरम्मा अक्सर ज्यादा गोपनीयता की चाह रखती थी और स्वतंत्र रूप से रहने की बात कहती थी. यहां तक कि वह घर की नौकरानी भी बन गई थी, ताकि वह जांच से मुक्त हो सकती. फिर भी उनके कार्यों को उनके "जन्मजात ओरिएंटल कमजोरी" के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था.
  • “यह एक अविश्वसनीय रूप से दुखद कहानी है. वह एक बच्ची थी जिसे वयस्कों द्वारा गलत समझा गया था. उन्हें उन्हीं लोगों ने गलत समझा जो उसकी देखभाल करने वाले थे. गौरम्मा ने अंततः शादी कर ली और उनका एक बच्चा भी था, लेकिन स्वास्थ्य में कमजोर होने के कारण गौरम्मा की 23 वर्ष की आयु में मौत हो गई.”
  • “ब्रिटिश शाही परिवार के लिए POC (पर्सन ऑफ कलर) को अपनी तह में स्वीकार करना कोई नई बात नहीं है. लेकिन जो लंबे समय से गड़बड़ी या समस्या है वह यह है कि शाही और ब्रिटिश पब्लिक कल्चर ऐसे नए शाही लोगों से कैसे निपटती है और उनके जीवन को कैसे प्रभावित करती है.”
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मेगन मार्कल ने इंटरव्यू में किए क्या खुलासे?

अमेरिकन टीवी पर्सैनैलिटी ओपरा विनफ्रे को दिए इंटरव्यू में मेगन ने शाही परिवार और ब्रिटिश मीडिया की नेगेटिव कवरेज से लेकर केट मिडिटल संग अफवाहों पर खुलासा किया. मेगन ने बताया कि कैसे राज घराने में शामिल होने के बाद वो काफी अकेली हो गई थीं और उनकी जीने की इच्छा खत्म हो गई थी.

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