जी-7 की बैठक से अलग पीएम नरेंद्र मोदी ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से मुलाकात की. ये पहला मौका था, जब दोनों नेताओं की मुलाकात हुई है. दोनों ने इस दौरान द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने पर चर्चा की.
पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के जनरल सेक्रेटरी एंटोनियो गुटेरेस से भी मुलाकात की. इस चर्चा के दौरान दोनों ने कई मुद्दों पर बात की.
पीएम मोदी ने एशेज में जीत के लिए दी बधाई
पीएम मोदी ने बोरिस जॉनसन को सबसे पहले एशेज के तीसरे टेस्ट मैच में अभूतपूर्व जीत के लिए बधाई दी. दोनों नेताओं ने भारत और यूके के बीच संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की.
जी-7 समिट में पीएम मोदी पर्यावरण, क्लाइमेट चेंज, डिजिटल दुनिया में हो रहे बदलावों पर बात रखने वाले हैं. इसके अलावा पीएम मोदी समिट में सभी देशों के नेताओं से द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे.
यूएन के जनरल सेक्रेटरी एंटोनियो गुटेरेस के साथ पीएम मोदी ने कई अहम मुद्दों पर बात की. इस समिट के भारत के लिए कई अहम मायने हैं. जी-7 के में पीएम मोदी दूसरे देश के नेताओं के साथ कश्मीर मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं.
मोदी-ट्रंप मुलाकात पर सबकी नजर
इस दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ पीएम मोदी की संभावित बातचीत पर सबकी नजर रहेगी. ट्रंप कई बार भारत और पाक के बीच मध्यस्थता की बात कर चुके हैं. लेकिन ये पहला मौका होगा, जब कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद पीएम मोदी ट्रंप से मुलाकात करेंगे. हालांकि पीएम मोदी और ट्रंप की फोन पर इस मामले में बात हो चुकी है.
भारत जी-7 ग्रुप का सदस्य नहीं है. फ्रांस ने भारत को इस सम्मेलन में शामिल होने का न्योता दिया था.
जापान, कनाडा के प्रधानमंत्रियों के अलावा कई नेताओं से मुलाकात
क्या है G-7 शिखर सम्मेलन?
ग्रुप ऑफ सेवन (जी 7) में सात देश शामिल हैं. ये देश हैं- अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जापान, कनाडा और जर्मनी. शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के राष्ट्र प्रमुख, यूरोपियन कमीशन और यूरोपीयन काउंसिल के अध्यक्ष शामिल होते हैं.
जी-7 की पहली बैठक साल 1975 में हुई थी. तब सिर्फ 6 देश इस ग्रुप में शामिल थे. फिर अगले साल कनाडा भी इस ग्रुप में शामिल हो गया. इस तरह ये जी-6 से बन गया जी-7. पहली बैठक में दुनियाभर में आर्थिक संकट के संभावित समाधानों पर चर्चा की गई थी.
G-7 की जरूरत क्यों पड़ी?
70 के दशक में कई देशों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. पहला- तेल संकट और दूसरा- फिक्स्ड करेंसी एक्सचेंज रेट्स के सिस्टम का ब्रेकडाउन. 1975 में जी-6 की पहली बैठक आयोजित की गई, जहां इन आर्थिक समस्याओं के संभावित समाधानों पर विचार किया गया. सदस्य देशों ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीति पर समझौता किया और वैश्विक आर्थिक मंदी से निपटने के लिए समाधान निकाले.
G-7 का मकसद क्या है?
जी7 उन मूल्यों का आदर करने वाला उस समुदाय के रूप में देखता है, जो दुनियाभर में शांति, सुरक्षा और आजादी के लिए खड़ा है. स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और कानून का शासन, समृद्धि और सतत विकास, इसके अहम सिद्धांत हैं.
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