राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कैंपेन ने मिशिगन राज्य से अपना केस वापस ले लिया है. ट्रंप कैंपेन ने मिशिगन में जो बाइडेन की जीत के बाद वेन काउंटी में बैलट सर्टिफिकेशन रोकने के लिए एक केस दायर किया था. हालांकि, अब कैंपेन के वकील रूडी जूलियानी ने बताया है कि 'उन्हें इस मामले में सीधी राहत मिल गई है और वो केस वापस ले रहे हैं.' कोर्ट में फाइलिंग में कैंपेन ने कहा, "काउंटी के बोर्ड ऑफ कैनवासर्स ने नतीजे सर्टिफाई करने से इनकार कर दिया है." हालांकि, ये दावा गलत है.
वेन काउंटी मिशिगन का सबसे ज्यादा आबादी वाला इलाका है और इसी में डेट्रॉइट शहर आता है. 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में इस काउंटी ने बाइडेन के लिए भारी संख्या में वोट किया. बाइडेन को लगभग 68 फीसदी और ट्रंप को महज 31 फीसदी वोट मिले हैं.
जूलियानी का दावा गलत कैसे?
वेन काउंटी के बोर्ड ऑफ कैनवासर्स इस मामले के केंद्र में हैं. इस बोर्ड में दो रिपब्लिकन और दो डेमोक्रेटिक सदस्य हैं. रिपब्लिकन सदस्यों ने पहले काउंटी के वोट को सर्टिफाई करने से मना कर दिया था, लेकिन इस हफ्ते की शुरुआत में भारी आलोचना के बीच उन्होंने अपना स्टैंड बदल दिया. 17 नवंबर को पूरे बोर्ड ने वोट को सर्टिफाई कर दिया.
हालांकि, 18 नवंबर को दोनों रिपब्लिकन सदस्य फिर पलट गए और सर्टिफिकेशन के लिए दिए अपने वोट को वापस लेने की बात कहने लगे. उन्होंने इसके लिए हलफनामा भी साइन किया, जिसे ट्रंप कैंपेन ने अपने केस वापस लेने के नोटिस में जोड़ा है.
कई मीडिया आउटलेट ने रिपोर्ट किया कि रिपब्लिकन कैनवासर्स से 17 नवंबर को सीधे डोनाल्ड ट्रंप ने संपर्क किया था.
लेकिन मिशिगन के अधिकारियों का कहना है कि अब इस हलफनामे का कोई मतलब नहीं है और बैलट सर्टिफाई हो चुके हैं. राज्य के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट जोसलिन बेंसन की प्रवक्ता ट्रेसी विमर ने कहा कि 'सर्टिफाई करने के लिए दिए गए वोट को वापस लेने की कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है.' विमर ने कहा, "उनका काम खत्म हो चुका है. इस प्रक्रिया में अगला कदम बोर्ड ऑफ स्टेट कैनवासर्स लेगा, जब वो बैलट सर्टिफाई करेगा."
मिशिगन के कानून के मुताबिक, हर काउंटी को अपने वोट 14 दिन की डेडलाइन के अंदर सर्टिफाई करने होते हैं और वेन काउंटी के लिए ये डेडलाइन 18 नवंबर को खत्म हो गई है.
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