ADVERTISEMENTREMOVE AD

US: भारतीय मूल की Nikki Haley देंगी डोनाल्ड ट्रंप को चुनौती, लेकिन राह आसान नहीं

US Presidential election: निक्की हेली ने 2021 में कहा था वह ट्रंप को चुनौती नहीं देंगी, फिर क्यों बदला स्टैंड?

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

दक्षिण कैरोलिना की पूर्व गवर्नर और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका (USA) की पूर्व राजदूत निक्की हेली (Nikki Haley) ने ऐलान किया है कि वह 2024 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार के रूप में मैदान में होंगी. उन्होंने एक वीडियो लिंक के साथ ट्वीट करते हुए लिखा अब पीछे हटने का वक्त नहीं है. अब एक मजबूत और गर्वित अमेरिका बनने का समय है. यह वक्त नए जनरेशन का है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

डोनाल्ड ट्रंप को देंगी चुनौती

डोनाल्ड ट्रंप के अलावा वह इस रेस में शामिल होने वाली दूसरी प्रमुख रिपब्लिकन उम्मीदवार हैं. बता दें कि निक्की हेली राष्ट्रपति पद के लिए मैदान में उतरने वालीं तीसरी भारतीय अमेरिकी हैं.

निक्की निक्की हेली ने 2021 में कहा था कि वह राष्ट्रपति पद के लिए ट्रंप को चुनौती नहीं देंगी लेकिन उन्होंने परिवर्तन की आवश्यकता का हवाला देते हुए हाल के महीनों में स्टैंड बदल दिया. हेली ने ट्रंप के समर्थकों द्वारा यूएस कैपिटल पर 6 जनवरी 2021 के हमले और उसके दौरान ट्रम्प के व्यवहार की आलोचना की थी.

निक्की हेली कौन हैं?

निक्की हेली भारतीय मूल की हैं, जिनका जन्म दक्षिण कैरोलिना में हुआ था. उनका मूल नाम निम्रता निक्की रंधावा है. उनके माता-पिता पंजाब से अमेरिका गए थे. निक्की के पिता, अजीत सिंह रंधावा, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर थे, जो कानून की डिग्री हासिल करने के लिए 1968 में अपनी मां, राज रंधावा के साथ दक्षिण कैरोलिना चले गए.

अजीत सिंह को ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय से स्कॉलरशिप की पेशकश मिलने के बाद वे अमृतसर से कनाडा चले गए. जब वो 1969 में पीएचडी प्राप्त की, तो वे अपने परिवार को दक्षिण कैरोलिना ले गए.

उनके माता-पिता दोनों ने भारत में शैक्षिक संस्थानों में लंबे समय तक काम किया. हेली की मां ने मास्टर डिग्री हासिल की और बामबर्ग पब्लिक स्कूलों में सात साल तक काम किया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कैसा रहा है निक्की हेली का राजनीतिक सफर?

  • निक्की हेली ने 2004 में रिपब्लिकन मंच पर प्रचार करते हुए स्टेट हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में एक सीट जीती. उन्होंने अगले साल कार्यालय संभाला और 2008 में उसे फिर से चुनी गई.

  • वह दक्षिण कैरोलिना में कार्यालय संभालने वाली पहली भारतीय अमेरिकी बनीं.

  • 2009 में, उन्होंने ऐलान किया कि वह 2010 के चुनाव में दक्षिण कैरोलिना के गवर्नर के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार होंगी. निक्की हेली ने 32 साल की उम्र में, दक्षिण कैरोलिना की पहली महिला गवर्नर के रूप में जीत हासिल की और जनवरी 2011 में पदभार ग्रहण करने पर अमेरिका में सबसे कम उम्र की गवर्नर बनीं.

  • दक्षिण कैरोलिना के पहली एशियाई अमेरिकी गवर्नर हेली ने कुल तीन शर्तें पूरी कीं- शिक्षा सुधार, गर्भपात पर प्रतिबंधित और आव्रजन कानूनों को लागू करना.

  • निक्की हेली के पहले कार्यकाल में दक्षिण कैरोलिना की अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ोतरी हुई, बेरोजगारी दर गिर गई. हेली ने 2014 में दोबारा चुनाव आसानी से जीत लिया.

  • 2017 की शुरुआत में, डोनाल्ड ट्रम्प ने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत के लिए निक्की हेली को नॉमिनेट किया. रिपोर्टों में दावा किया गया था कि उनके सामने मूल रूप से विदेश मंत्री बनने का प्रस्ताव रखा था लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. यहीं से दोनों के बीच पहली दरार आती देखी गई थी.

  • 2018 में हेली ने ईरान के साथ परमाणु समझौते (2015) से हटने के ट्रंप के फैसले का समर्थन किया, हालांकि अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं (चीन, फ्रांस, रूस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम) ने संकेत दिया कि वे समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं,

  • अक्टूबर 2018 में हेली ने ऐलान किया कि वह संयुक्त राष्ट्र के राजदूत पद से इस्तीफा दे रही हैं, और उन्होंने दिसंबर में कार्यालय छोड़ दिया.

  • 2019 में निक्की हेली, बोइंग के निदेशक मंडल में शामिल हुईं, लेकिन कुछ फैसलों पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने अगले वर्ष इस्तीफा दे दिया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या सत्ता हासिल कर पाएंगी निक्की हेली?

पोलिंग फर्म Trafalgar Group द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वे में ट्रंप 43% वोट के साथ पहले स्थान पर और हेली 12% के साथ चौथे स्थान पर हैं.

Reuters/Ipsos के सर्वेक्षण के मुताबिक रजिस्टर्ड रिपब्लिकन के चालीस प्रतिशत लोगों ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप को 2024 में व्हाइट हाउस के लिए चुनाव नहीं लड़ना चाहिए, भले ही वह पार्टी के संभावित उम्मीदवारों के क्षेत्र में पसंदीदा बने रहे.

इसी पोल में पाया गया कि 52% रजिस्टर्ड डेमोक्रेट बाइडेन के फिर से चुनाव लड़ने का समर्थन नहीं करते हैं.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी के एक दर्जन से अधिक अधिकारियों और रणनीतिकारों का मानना है कि राज्य में कई रिपब्लिकन नेता ट्रंप के निर्वाचित होने की चिंताओं के बीच उनके विकल्पों की तलाश कर रहे हैं.

अब देखना ये है कि क्या निक्की हेली डोनाल्ड ट्रंप को पीछे कर बाजी मार पाती हैं या नहीं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारतीय मूल के इन अमेरिकी नेताओं ने बनाया नाम

कमला हैरिस

भारतीय मूल की कमला हैरिस ने साल 2017 में कैलिफोर्निया के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के सीनेटर के रूप में शपथ ली. वो दूसरी अफ्रीकी-अमेरिकी महिला और इतिहास में पहली दक्षिण एशियाई-अमेरिकी सीनेटर हैं. जो बाइडेन ने उन्हें 2020 के अमेरिकी चुनावों के लिए अपने रनिंग मेट के रूप में चुना. इसके बाद उन्हें अमेरिका की उप राष्ट्रपति के रूप में चुना गया, जो मौजूदा वक्त में भी अपनी सेवा दे रही हैं.

पीयूष 'बॉबी' जिंदल

बॉबी जिंदल भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं. उन्होंने 2008 से 2016 तक लुइसियाना के 55वें गवर्नर के रूप में कार्य किया. पीयूष जिंदल ने पहले अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के सदस्य और रिपब्लिकन गवर्नर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया.

प्रीतिंदर सिंह भरारा

प्रीतिंदर सिंह भरारा एक अमेरिकी वकील, लेखक और पूर्व संघीय अभियोजक हैं. उन्होंने 2009 से 2017 तक न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के लिए संयुक्त राज्य के अटॉर्नी के रूप में कार्य किया. इसके अलावा प्रीतिंदर ने दक्षिणी जिले का नेतृत्व करने से पहले पांच साल तक सहायक अमेरिकी अटॉर्नी के रूप में भी कार्य किया.

अजीत पाई

भारतीय मूल के अजीत पाई एक अमेरिकी वकील हैं. उन्होंने संघीय संचार आयोग के पहले भारतीय अमेरिकी अध्यक्ष के रूप में 2017 से 2021 तक काम किया. वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी 36 घंटे की भारत यात्रा पर भी आए थे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×