उत्तर कोरिया में आर्थिक संकट गहराने से वहां के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन (Kim Jong Un) के सामने चुनौतियां बढ़ गई हैं. किम ने सत्तारूढ़ पार्टी की एक बड़ी बैठक के खत्म होने पर अपने देश में खाद्य की कमी को स्वीकार किया है और गहराती आर्थिक समस्याओं से बाहर निकालने का संकल्प लिया है.
इस बीच, उन्होंने अपने अधिकारियों को अमेरिका के साथ बातचीत और टकराव दोनों के लिए तैयार रहने को भी कहा है. अमेरिका उत्तर कोरिया से परमाणु हथियार संबंधी अपनी महत्वाकांक्षाओं को छोड़ने और बातचीत पर लौटने का अनुरोध कर रहा है.
हालांकि किम ने अपनी परमाणु क्षमता बढ़ाने की धमकी दी है और कहा है कि कूटनीति और द्विपक्षीय संबंधों का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि अमेरिका उन नीतियों को छोड़ता है या नहीं, जिन्हें वह शत्रुतापूर्ण समझते हैं.
उत्तर कोरिया के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के विशेष प्रतिनिधि सुंग किम रुकी हुई परमाणु संबंधी कूटनीति पर शनिवार को बातचीत के लिए दक्षिण कोरिया पहुंचे. इससे कुछ ही देर पहले उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने किम का बयान जारी किया.
किम जोंग उन ने सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी की केंद्रीय समिति की चार दिवसीय पूर्ण बैठक की अध्यक्षता की. यह बैठक देश की संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था को उबारने की कोशिशों पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी, जो कई सालों के कुप्रबंधन और अमेरिका के नेतृत्व वाले प्रतिबंधों के कारण खराब स्थिति में है और कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर देश की सीमाएं बंद होने के कारण स्थिति और बदतर हो गई है.
कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने बताया कि किम ने शुक्रवार को बैठक के समापन पर केंद्रीय समिति की ओर से ‘शपथ’ ली कि पार्टी रिवॉल्यूशन के रास्ते में आने वाली कठिनाइयों का सामना निश्चित रूप से करेगी.
किम ने मंगलवार को केंद्रीय समिति की पूर्ण बैठक की शुरुआत में संभावित खाद्य कमी को लेकर सचेत किया और अधिकारियों से कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के तरीके खोजने को कहा क्योंकि स्थिति ‘‘अब तनावपूर्ण हो रही है.’’ उन्होंने कहा कि देश को कोविड-19 संबंधी प्रतिबंधों में विस्तार के लिए तैयार रहना चाहिए. इससे यह संकेत मिलता है कि वह अपनी अर्थव्यवस्था पर संकट के बावजूद महामारी से निपटने के लिए सीमाओं को बंद करने समेत अन्य कदमों को विस्तार देंगे.
(PTI के इनपुट्स समेत)
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