सऊदी अरब की ऑयल कंपनी पर ड्रोन हमले के बाद प्रोडक्शन पर असर पड़ा है और कंपनी का प्रोडक्शन 5 परसेंट कम हो गया है. इसके चलते ग्लोबल ऑयल प्राइस में रिकॉर्ड तेजी देखने को मिली है. सऊदी अरब की ऑयल कंपनी अरामको पर ड्रोन से हमला हुआ था, अमेरिका ने इस हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया है.
सोमवार को अमेरिकी बाजारों में ब्रैंट की कीमतों में 12 डॉलर प्रति बैरल की तेजी देखने को मिली है. ये इंट्रा डे में 1988 के बाद की सबसे बड़ी तेजी है.
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑयल इंपोर्टर है इसलिए ये भारत के लिए अहम खबर है. भारत की सरकार खाड़ी के देशों में हो रही हलचलों को करीब से देख रही है. सऊदी अरब दुनिया भर में सप्लाई होने वाले तेल का 10 परसेंट हिस्सा एक्सपोर्ट करता है और साथ ही भारत के लिए क्रू़ड और कुकिंग गैस के लिए दूसरा बड़ा इंपोर्टर है.
क्या होगा इसका असर?
ग्लोबल प्राइस में बढ़ोतरी से भारत के इंपोर्ट बिल पर खासा असर पड़ेगा. भारत का ऑयल इंपोर्ट महंगा हो जाएगा. इससे भारत का इन देशों के साथ ट्रेड डेफिसिट बढ़ेगा. क्रूड के दाम में 1 डॉलर की बढ़ोतरी से भारत के इंपोर्ट बिल में 10,700 करोड़ रुपये का नुकसान होता है. भारत ने फाइनेंशियल ईयर 2018-19 में ऑयल इंपोर्ट पर 111.9 बिलियन डॉलर रुपये खर्च किए थे.
सऊदी अरामको के प्रेसिडेंट और CEO ने कहा है कि ‘प्रोडक्शन को फिर से बहाल करने के लिए कोशिशें की जा रही हैं. अगले 48 घंटे में प्रोग्रेस रिपोर्ट दी जाएगी’
भारत की चिंता बढ़ी
भारत की सरकार भी तेल के भाव में उतार चढ़ाव को लेकर चिंतित है. ऐसे दौर में जब दुनिया भर में मंदी की आहट है. भारतीय इकनॉमी घरेलू संकट से गुजर रही है. ट्रेड वॉर का भारत पर नेगेटिव असर हो रहा है. ऐसे में क्रूड के बढ़ते दाम भारत के लिए एक और संकट खड़ा कर सकते हैं.
अमेरिका का ईरान पर आरोप
10 ड्रोन से किए गए हमलों से सऊदी अरामको की आबकाक और कुर्दिश ऑयल फैसिलिटी को भारी नुकसान हुआ है. सऊदी अरब की ऑयल फैसेलिटी की करीब आधी कैपेसिटी पर असर पड़ा है. अमेरिका ने तो इस हमले के लिए ईरान पर आरोप लगाया है हालांकि इस हमले के लिए यमन के हौती विद्रोही ने जिम्मेदारी ली है.
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