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Oxford University में बहुजन स्टूडेंट्स के लिए सावित्रीबाई फुले स्कॉलरशिप शुरू

Oxford University ने वंचित स्टूडेंट्स के लिए पूरी तरह से वित्तपोषित सावित्रीबाई फुले ग्रेजुएट स्कॉलरशिप शुरू की है.

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विदेशों में पढ़ने वाले भारतीय बहुजन छात्रों के लिए एक बड़ी खबर है. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (Oxford University) में एक भारतीय सेंटर ने पोस्ट-ग्रेजुएट स्टडीज के लिए आवेदन करने वाली निचली जाति और पहली पीढ़ी के छात्रों के लिए पूरी तरह से वित्त पोषित सावित्रीबाई फुले ग्रेजुएट स्कॉलरशिप शुरू की है.

दलितों के लिए काम करने वाले सर्वदलीय संसदीय समूह (APPG) के सह-अध्यक्ष, पेंट्रेगर्थ के लॉर्ड हैरी की स्पीच के साथ आधिकारिक तौर पर शुक्रवार, 12 मई को यह स्कॉलरशिप लॉन्च की गई. इसके बाद बारबरा हैरिस-व्हाइट (एमेरिटस प्रोफेसर), सूरजकुमार थुबे (प्रोजेक्ट एजुएक्सेस और ऑक्सफोर्ड साउथ एशिया अल्टरनेटिव फोरम के प्रतिनिधि), राजू केंद्रे (एकलव्य इंडिया के सह-संस्थापक और सीईओ) और निहारिका सिंह (प्रथम सावित्रीबाई फुले विद्वान) के साथ एक पैनल डिस्कशन हुआ.

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सोमरविले कॉलेज (Somerville College) में ऑक्सफोर्ड इंडिया सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट भारत के सतत विकास के लिए प्रासंगिक विषयों पर काम करने वाले भारतीय छात्रों को ग्रेजुएट स्कॉलरशिप का एक सेट प्रदान करता है.

Oxford University ने वंचित स्टूडेंट्स के लिए पूरी तरह से वित्तपोषित सावित्रीबाई फुले ग्रेजुएट स्कॉलरशिप शुरू की है.

सूरजकुमार थुबे, बारबरा हैरिस-व्हाइट, विनीता गोविंदराजन (एल-आर), राजू केंद्रे और निहारिका सिंह (स्क्रीन पर) सोमरविले कॉलेज में शुक्रवार, 12 मई को सावित्रीबाई फुले स्नातक छात्रवृत्ति के शुभारंभ पर चर्चा में शामिल हुए.

(फोटो- नीरज सत्या)

सोमरविले कॉलेज कीं प्रिंसिपल जैन रॉयल ने कहा कि महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण के अपने लंबे इतिहास के साथ, सोमरविले कॉलेज को सावित्रीबाई फुले के नाम पर दलित, आदिवासी और अन्य कम प्रतिनिधित्व वाले बैकग्राउंड की अगली पीढ़ी के नेताओं का समर्थन करने के लिए एक नई स्कॉलरशिप स्थापित करने के लिए सम्मानित किया गया है.

उन्होंने आगे कहा कि बहिष्कृत लोगों को शामिल करने का हमारा आदर्श वाक्य उन लोगों तक फैला हुआ है, जो जाति व्यवस्था के तहत सामाजिक भेदभाव और पूर्वाग्रह की पीढ़ियों के दायरे में रहे हैं.

Oxford University ने वंचित स्टूडेंट्स के लिए पूरी तरह से वित्तपोषित सावित्रीबाई फुले ग्रेजुएट स्कॉलरशिप शुरू की है.

शुक्रवार, 12 मई को सोमरविले कॉलेज में सावित्रीबाई फुले ग्रेजुएट स्कॉलरशिप के लॉन्च के मौके पर बोलतीं सोमरविले कॉलेज की प्रिंसिपल जान रॉयल

(फोटो- नीरज सत्या)

यूनाइटेड किंगडम के समानता अधिनियम में जाति को शामिल करने के लिए संघर्ष कर रहे लॉर्ड हैरी ने सावित्रीबाई फुले और ज्योतिराव फुले द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में और जातिगत भेदभाव के खिलाफ किए गए कार्यों की सराहना की.

उन्होंने कहा कि

यह उचित है कि यहां के पहले महिला कॉलेजों में से एक भारत की पहली महिला शिक्षिका को मान्यता दे रहा है, जिन्होंने लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला और उत्पीड़ित समुदायों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया.
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स्कॉलरशिप में कोर्स फीस और रहने की लागत का अनुदान शामिल किया गया है. जो छात्र अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी से संबंधित हैं या पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी हैं, वे स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं.

स्कॉलरशिप के लिए योग्य कोर्सेज में एमएससी जैव विविधता संरक्षण और प्रबंधन, विकास के लिए एमएससी अर्थशास्त्र, एमएससी पर्यावरण परिवर्तन और प्रबंधन, एमएससी ग्लोबल गवर्नेंस एंड डिप्लोमेसी, एमएससी मॉडर्न साउथ एशियन स्टडीज, एमएससी प्रकृति, समाज और पर्यावरण शासन, एमएससी जल विज्ञान, नीति और प्रबंधन और एमएससी एनर्जी सिस्टम्स शामिल हैं.

पहली सावित्रीबाई फुले ग्रेजुएट स्कॉलर, निहारिका सिंह, विश्वविद्यालय के भूगोल और पर्यावरण स्कूल में एमएससी प्रकृति, समाज और पर्यावरण गर्वनेंस प्रोग्राम की पढ़ाई करेंगी.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रकृति, समाज और पर्यावरण गवर्नेंस में एमएससी करके, मैं पर्यावरण गवर्नेंस और सामुदायिक विकास से संबंधित वैश्विक विषयों पर नजरिया विकसित करूंगी. इसके अलावा, दलित समुदाय के एक प्रतिनिधि के रूप में, मैं भारत में पर्यावरणीय स्थिरता और जातिगत सीमांतता के बीच की खाई को पाटने में योगदान देना चाहती हूं.
निहारिका सिंह

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