पाकिस्तान (Pakistan) के खैबर पख्तूनख्वा के बाजौर (Bajaur Blast) जिले की खार तहसील में रविवार, 30 जुलाई को जमीयत उलेमा इस्लाम-फजल (JUI-F) सम्मेलन में एक विस्फोट होने से करीब कम से कम 56 लोगों ने अपनी जान गंवाई. इस हादसे में 50 से ज्यादा घायल हो गए. रिपोर्ट के मुताबिक ये आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है. थिंक टैंक पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज (PICSS) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुातबिक साल 2023 की पहली छमाही (जनवरी से जून) में पाकिस्तान के अंदर आतंकवादी और आत्मघाती हमलों में लगातार और चिंताजनक बढ़ोतरी देखी गई है, जिसमें 389 लोगों ने जान गंवाई है.
रिपोर्ट से पता चलता है कि अंडर रिव्यू पीरियड के दौरान कुल 271 हमले हुए, जिनमें 389 लोगों की जान चली गई और 656 अन्य घायल हो गए.
लगातार बढ़ रहे हैं आतंकवादी और आत्मघाती हमले
पिछले साल इसी अवधि में 151 हमले हुए, जिनमें 293 मौतें हुईं और 487 घायल हुए. यानी पहली छमाही के दौरान आतंकवादी हमलों में 79 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
Dawn की रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षा बलों ने भी आतंकवाद के खिलाफ अपना ऑपरेशन तेज कर दिया है और कम से कम 236 आतंकवादियों को मार गिराया है.
इस साल की पहली छमाही के दौरान खैबर पख्तूनख्वा सबसे ज्यादा प्रभावित प्रांत के रूप में उभरा है, जहां 174 आतंकवादी हमलों की खबर मिली, जिसमें 266 लोगों की मौत हो गई और 463 अन्य घायल हो गए.
खैबर पख्तूनख्वा में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 2023 के पहले 6 महीनों के दौरान आतंकवादी घटनाओं में 108 प्रतिशत की बढ़ोतरी और 2022 की दूसरी छमाही की तुलना में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
बलूचिस्तान में 2023 की पहली छमाही में 75 आतंकवादी घटनाएं हुईं, जिनमें 100 मौतें हुईं और 163 लोग घायल हुए. आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में आतंकवादी हमलों में 103 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और 2022 के आखिरी 6 महीनों की तुलना में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
सिंध में आतंकवादी घटनाओं में थोड़ी गिरावट देखी गई, 2023 के पहले 6 महीनों में 13 हमलों की सूचना मिली, जिसके नतीजे में 19 मौतें हुईं और इतनी ही संख्या में लोग घायल हुए.
पंजाब में 2023 के पहले छह महीनों के दौरान आतंकवादी-संबंधी घटनाओं में काफी ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है. इस दौरान आठ हमलों की सूचना मिली है, जिसके नतीजे में 6 मौतें हुईं और 10 लोग घायल हुए हैं.
TTP और सरकार के बीच विवाद के बाद बढ़े मामले
बाजौर उस इलाके में अफगानिस्तान की सीमा से लगे सात दूरदराज के जिलों में से एक है, जो कभी आतंक के खिलाफ वैश्विक युद्ध का केंद्र बिंदु था.
पिछले कुछ महीनों में, पाकिस्तान में कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब हो गई है, आतंकवादी समूह पूरे देश में हमलों को अंजाम दे रहे हैं.
नवंबर में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के साथ बातचीत टूटने के बाद आतंकवादी समूह ने अपने हमले तेज कर दिए हैं, खासकर खैबर पख्तूनख्वा और अफगानिस्तान की सीमा से लगे इलाकों में पुलिस को निशाना बनाते हुए. बलूचिस्तान में विद्रोहियों ने भी अपनी हिंसक गतिविधियां बढ़ा दी हैं और प्रतिबंधित TTP के साथ सांठगांठ को औपचारिक रूप दे दिया है.
आतंकवादी हमले अफगानिस्तान से सटे इलाकों के आस-पास हैं और इस्लामाबाद का आरोप है कि कुछ की योजना अफगान धरती पर बनाई जा रही है. काबुल इस आरोप से इनकार करता है.
इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के सशस्त्र बलों ने अफगानिस्तान में प्रतिबंधित टीटीपी को "सुरक्षित पनाहगाहों और कार्रवाई की स्वतंत्रता पर गंभीर चिंता" व्यक्त की थी और कहा था कि पाकिस्तान में आतंकवादी कृत्यों में अफगान नागरिकों की संलिप्तता एक और महत्वपूर्ण चिंता है, जिसे संबोधित करने की जरूरत है. इस तरह के हमले असहनीय हैं, पाकिस्तान के सुरक्षा बलों की ओर से प्रभावी प्रतिक्रिया दी जाएगी.
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सौंपी गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि TTP एक व्यापक संगठन बनाने के लिए अल-कायदा के साथ विलय की मांग कर सकता है, जो दक्षिण एशिया में एक्टिव सभी आतंकवादी समूहों को आश्रय देता है.
पाकिस्तान लंबे वक्त से अफगानिस्तान पर यह सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा नहीं करने का आरोप लगाता रहा है कि उसकी धरती का इस्तेमाल इस्लामाबाद में आतंकवाद के लिए नहीं किया जाए, लेकिन सीमा पार आतंकवाद जारी है.
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