पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ के खिलाफ आतंकवाद का केस चलता रहेगा. एक पाकिस्तानी अदालत ने मुशर्रफ के खिलाफ आतंकवाद के आरोप हटाने से इनकार कर दिया है. मुशर्रफ की ओर से उनके मामले को एंटी टेररिज्म कोर्ट से सेशन कोर्ट में ट्रांसफर करने की दरख्वास्त की गई थी लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया.
मुशर्रफ के वकील की गैर हाजिरी पर भी अदालत सख्त
इस्लामाबाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के चीफ जस्टिस अतहर मिन्नाल्लाह और जस्टिस मियांगुल हसन औरंगजेब ने 75 वर्षीय मुशर्रफ के खिलाफ आतंकवाद के मामले में सुनवाई जारी रखी है. मुशर्रफ की ओर से के वकील अख्तर शाह पैरवी कर रहे हैं. लेकिन इस केस की सुनवाई के दौरान लगातार गैरहाजिर रहे हैं. इसके बाद बेंच ने मुशर्रफ की याचिका खारिज करने का फैसला किया.
डॉन की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुशर्रफ ने अपने खिलाफ मामले में आतंकवाद के आरोप हटाने और केस को एंटी टेररिज्म कोर्ट से सेशन कोर्ट में भेजने की दरख्वास्त की थी. लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया.मुशर्रफ की ओर से यह दलील दी गई थी कि पाकिस्तान दंड संहिता के तहत उनके खिलाफ एफआईआर बड़ी अदालत के 60 जजों की हिरासत के मामले में दर्ज की गई थी. ये गिरफ्तारियां इमरजेंसी लागू होने के बाद 3 नवंबर 2007 को हुई थीं.
भगोड़ा घोषित हैं मुशर्रफ
हालांकि 2013 में आईएचसी की सिंगल बेंच ने मुशर्रफ के खिलाफ एंटी टेरर कानून लागू करने को कहा था. बेंच का कहना था कि जजों को हिरासत में लेना आतंकवादी गतिविधि है. एटीसी ने जजों की गिरफ्तारी के मामले में पहले ही मुशर्रफ को भगोड़ा घोषित कर रखा था क्योंकि मार्च 2016 से ही विदेश में थे.अभियोजन पक्ष ने कहा कि इस केस में पूरे सबूत आरोपी के खिलाफ है. हालांकि सुनवाई पर रोक लगी हुई थी क्योंकि परवेज मुशर्रफ देश से फरार थे. मुशर्रफ को अदालत पहले ही भगोड़ा घोषित कर चुकी थी.
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