पाकिस्तान में 25 जुलाई को होने वाले चुनाव में मेनस्ट्रीम राजनेताओं के साथ-साथ कई दिलचस्प व्यक्तित्व वाले उम्मीदवार भी मैदान में हैं. इनमें अलग-अलग फील्ड के जानकार, अवसरवादी, बाहुबली व्यक्तित्व वाले लोग शामिल हैं. वहीं एक कैंडिडेट तो ऐसा भी है जो 41 बार चुनाव हार चुका है, फिर भी इस चुनाव में मैदान में है. कुछ ऐसे ही मजेदार उम्मीदवारों पर डालते हैं एक नजर-
गटर में बैठ कर प्रचार कने वाले अयाज मेमन मोतीवाला
चुनाव में खड़े अयाज मेमन मोतीवाला पेशे से पारिस्थितिकी विज्ञानी है. यह पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची से निर्दलीय मैदान में उतरे हैं. अपने अभियान की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए उन्होंने कूड़े के ढेर और नालों के अंदर घुसकर प्रचार किया. चुनाव में भ्रष्टचार और पर्यावरण उनका एजेंडा है.
मोतीवाला ने बताया, ‘‘अगर नेता गटर बंद नहीं करते तो उनके अंदर बैठना और प्रदर्शन करना मेरा अधिकार है.’’ मोतीवाला का चुनाव चिन्ह पानी का नल है.
सिख समुदाय के पहले निर्दलीय कैंडिडेट रादेश सिंह टोनी
उम्मीदवार रादेश सिंह टोनी पाकिस्तान के सिख समुदाय के पहले निर्दलीय उम्मीदवार हैं जो उत्तर पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. स्थानीय सिख नेता चरणजीत सिंह की गोली मारकर हत्या किए जाने और उसके कुछ सप्ताह बाद चुनावी रैली में बम धमाके में 20 लोगों के मारे जाने की घटना ने टोनी को चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया. टोनी ने कहा, ‘‘हम आसान निशाना हैं. हम डर के माहौल में प्रचार कर रहे हैं.''
41 बार हार चुके हैं नवाब अंबर शाहजादा
अपने लुक को लेकर लोकप्रिय नवाब अंबर शहजादा का हौसला 41 बार हार का मुंह देखने के बाद भी नहीं टूटा. अपनी पार्टी के प्रमुख एवं इकलौते सदस्य 32 साल से चुनाव में अपनी किस्मत आजमां रहे हैं. साल 2013 में इनकों केवल सात वोट मिले थे.
उन्होंने कहा, ‘राजनेता हमें पागल बना रहे हैं, वह जनता को गुमराह कर रहे हैं और मैं अपनी हास्यास्पद अंदाज से लोगों को जागरूक करना चाहता हूं.'' उनका नारा ‘‘जरूरत आधारित भ्रष्टाचार'' है. और जीत हासिल होने पर उन्होंने ‘‘कम भ्रष्ट'' होने का वादा किया.
हर चुनाव पार्टी बदलते हैं अब्दुल करीम नौशेरवानी
दूसरी ओर अवसरवादी विचारधारा वाले मीर अब्दुल करीम नौशेरवानी साल 1985 से पाकिस्तान के सबसे गरीब और अस्थिर प्रांत दक्षिणी बलूचिस्तान से चुनाव लड़ रहे हैं. अब तक वह सात बार पार्टी बदल चुके हैं. इस बार वह बलूचिस्तान अवामी पार्टी की ओर से मैदान में उतरे हैं. वहां के आम लोगों का कहना है कि चुनाव जीतने के लिए नौशेरवानी हर चुनाव पार्टी बदल लेते हैं.
आतंकवाद को खत्म करने की अली वजीर की ललक
आतंकवाद से प्रभावित दक्षिण वजीरिस्तान के निवासी अली वजीर ने अपने घर पर हुऐ आतंकवादी हमले में अपने 10 रिश्तेदारों को खो दिया था. लेकिन इससे उन्होंने कभी हार नहीं मानी. वजीर ने कहा, ‘‘मैं अपने लोगों की मांग पर चुनाव लड़ रहा हूं. मैं उनके अधिकारों के लिए लड़ूंगा.''
(इनपुटः AFP)
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